हेलो दोस्तो मैं रमण आज फिर से आपके लिए एक नयी स्टोरी ले कर आया हूँ. जैसा की आप सब को पता ही है की मेरी सारी कहानिया एकदम असली होती है. क्योकि जो भी मेरे साथ सच मे होता है वो ही मैं आप सब को बताता हूँ. आज भी मैं एक सच्ची कहानी ले कर आया हूँ. मुझे उमीद है आप को मेरी आज की कहानी पसंद आएगी. जैसे आप को मेरी पहले वाली कहानिया पसंद आई है.
ये हादसा मेरे साथ पिछले महीने ही हुआ था. जिसे मैं आज लिख रहा हूँ. जैसा की आप सब मेरे बारे मे जानते ही है मेरा नाम रमण है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी उमर 25 साल हो गई है और मेरी शादी को 1 साल हो गया है. शादी के बाद अपनी वाइफ रीता के साथ मैं डेली सेक्स करता हूँ.
मैं अपनी वाइफ से बहोत खुश हूँ. क्योकि वो बहोत हॉट और सेक्सी है. पर मैं मर्द इस लिए बाहर की जवान लड़कियो को देख कर अक्सर दिमाग़ खराब हो जाता है. मैं दिल्ली मे ही टाटा मोटर्स मे काम करता हूँ. सब कुछ बहोत अच्छा चल रहा था. मैं टाइम से घर से निकलता था और टाइम से घर आ जाता था.
मेरे मम्मी पापा को अब मुझसे एक बच्चा चाहिए था इस लिए मैं और वाइफ बच्चे की प्लानिंग कर रहे थे. की तभी मुझे ऑफीस की तरफ से पुणे 1 वीक के लिए जाना पड़ गया. इससे मेरी वाइफ बहोत उदास सी हो गई थी. पर मैं कुछ नही कर सकता था मुझे किसी भी हालत मे जाना ही था. क्योकि टाटा की नयी कार टियागो आने वाली थी. मुझे उस कार के बारे मे सब कुछ जानना था वाहा पर जा कर.
इस लिए कंपनी ने मेरी ट्रेन टिकेट्स पहले ही बुक कर दी थी. मेरी ट्रेन रात को 11 बजे चलनी थी. इसलिए मैं घर से अकेला ही आया था क्योकि 11 बजे का माहोल दिल्ली मे ठीक नही होता है. और मैं नही चाहता था की मेरी वाइफ या मेरे मम्मी दादी स्टेशन से घर अकेले जाएँ.
मैने एसी स्लीपर मे अपनी सीट बुक करवाई थी. मैं टाइम से 20 मिनिट पहले ही ट्रेन मे बैठ गया था. और इतनी देर मे मैने अपना सारा समान सेट कर लिया था. फिर मैं ट्रेन के दरवाजे पर जा कर खड़ा हो गया और इधर उधर देखने लग गया. कुछ ही देर मे ट्रेन चल पड़ी.
तभी मैने देखा की 2 लड़किया डोर से भागी भागी आ रही है. मैने सोचा की उनकी हेल्प कर दु. मैने उन दोनो का बारी बारी से हाथ पकड़ ट्रेन के अंदर लिया. और फिर उन्होने मुझे थैंक्स कहा. मैने सोचा की मेरी तो लॉटेरी लग गई है. रात मे मेरे पास आज दो चाँद है.
इससे पहले मैं और सपने देखता तो उन्होने कहा की दरअसल हमारी सीट क्लास 3 की है और ये क्लास 1 है. ये सुनते ही मेरे सारे सपने टूट गये. तभी मैने सोचा की ये ट्रेन तो अब कम से कम 2 घंटे बाद ही रुकने वाली है. इस लिए मैं ऑफर किया की आप मेरी सीट पर इतनी देर बैठ सकती है.
मेरी सीट के सामने वाली सीट एकदम खाली थी. इसलिए वो दोनो वाहा पर बैठ गई. देखने मे मुझे लग रहा था की एक की उमर करीब 20 की होगी और एक की 18 या 19 की. उन दोनो ने मुझसे बात करना शुरू कर दिया. बातों ही बातों मे मुझे पता चला की बड़ी वाली का नाम दिशा है छोटी वाली का नाम दीक्षा है.
वो दोनो सिस्टर थी और सच मे दोस्तो दोनो की दोनो परी थी. इतनी हॉट और सेक्सी की मैं बता नही सकता. दोनो ने एकदम टाइट जीन्स और टॉप डाले हुए थे. ये कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
दोनो के बूब्स उनका टॉप को फाड़ कर बाहर आने की कोशिश कर रहे थे. मेरा दिल कर रहा था अभी इन दोनो का टॉप फाड़ कर इन दोनो के बूब्स को चूस डालूं. मेरा दिमाग़ उन दोनो को देख कर खराब सा होने लग गया था.
उन दोनो की जीन्स इतनी टाइट थी की दोनो जीन्स का आधे से ज़्यादा कपड़ा उन दोनो की चूत के उप्पर इखट्टा हो रखा था. दीक्षा का रंग काफ़ी गोरा था वो एक दम चमक रही थी. पर दिशा का रंग थोड़ा सा सांवला था. पर वो ज़्यादा हॉट एंड सेक्सी लग रही थी क्योकि उसके बूब्स और बॉडी काफ़ी बाहर निकली हुई थी.
दिशा को तो कोई भी देख कर कह सकता था की इस साली ने बहोत से लंड खाए हुए है. पर दिशा दिखने मे ऐसी नही थी और सेक्सी लग रही थी पर चुदि हुई नही लग रही थी. ऐसे ही हम तीनो बातें करते रहे. वो दोनो मुझसे कह रही थी की अगर टीटी आ गया तो. मैने कहा उसे कुछ पैसे देगें और समझा देगें की ट्रेन उस टाइम चल पड़ी थी.
इतने मे ही वो आदमी आ गया जिस सीट पर वो बैठी हुई थी. मैं उन दोनो को अपनी सीट पर कर लिया. वो आदमी तो आते ही सो गया और दीक्षा खिड़की वाली सीट के उप्पर बैठी हुई और दिशा मेरे दूसरी साइड बैठी हुई थी. मैं अपनी किस्मत को देख हैरान हो रहा था क्योकि मेरे दोनो और खूबसूरत परियाँ बैठी हुई थी.
मैं बहोत हिम्मत करके दीक्षा के पॅट्टो पर हाथ पहरना शुरू कर दिया. उसने मुझे कुछ नही कहा और जब उसने मुझे एक सेक्सी सी स्माइल करी तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई. मैने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसके बूब्स को सहलाने लग गया. मुझे बहोत मज़ा आ रहा था. क्योकि दिशा मेरे कंधे पर अपना सिर रख कर सो गई थी.
उसके टॉप मे से उसके दोनो बूब्स सॉफ सॉफ दिख रहे थे. मेरा लंड एक दम खड़ा हो गया. मैं दिशा को धीरे धीरे गरम कर रहा था ताकि मैं उसे चोद सकु. जब मुझे लगा की दीक्षा के मूह से गरम गरम साँसे आने लग गई है मतलब की वो गरम होना शुरू हो गई है.
तभी सला टी.टी आ गया और उन दोनो से फाइन माँगने लग गया. मैने उसे साइड मे ले जा कर बात करी. और कहा की ये दोनो अगले स्टेशन पर ही क्लास 3 मे चली जाएगी. पर साले इंडिया वाले सारे के सारे कुत्ते है उसने फिर भी मुझसे 500 रुपए ले ही लिए. अब मुझे दीक्षा को चोद कर अपने 500 रुपए पूरे करने थे.
इसलिए मेरे माइंड मे एक आइडिया आया. मैने दिशा से कहा की जब नेक्स्ट स्टेशन आएगा. तो आप नीचे जा अपनी सीट देख लेना और दीक्षा को फोन कर देना. फिर मैं दीक्षा के साथ आप का समान ले कर आप के पास आ जाऊंगा. मेरी बात दिशा को ठीक लगी उसने एक दम हाँ कह दिया और दीक्षा मुझे देख कर मुस्कुराने लग गई. शायद वो मेरा प्लान अच्छे से समझ चुकी थी.
रात के 1 बज चुके थे जैसे ही ट्रेन रुकी तो दिशा नीचे उतर कर अपनी सीट देखने चली गई. मैं और दीक्षा ट्रेन के डोर पर खड़े थे. ठंड काफ़ी थी इसलिए हमे ठंड लग रही थी. मैने उसे पीछे से हग किया हुआ था. तभी दिशा का फोन आ गया की उसे अपनी सीट मिल गई है. मुझे बहोत अफ़सोस हुआ की अब तो दीक्षा गई मेरे हाथ से.
पर भगवान मेरे साथ था तभी ट्रेन चल पड़ी. और दीक्षा ने फोन करके कह दिया की वो नेक्स्ट स्टेशन पर आएगी तेरे पास. बस फिर क्या मैने झट से ट्रेन का डोर बंद किया. और उसको अपनी बाहों मे भर लिया. और जान कर कापने का नाटक करने लग गया. दीक्षा ने तभी मुझे अपनी बाहों मे ले लिया. और मुझे किस करने लग गई.
उसने मुझे करीब 20 मिनिट तक किस किया और मुझे गरम करने लग गई. मेरे हाथ अब उसके बूब्स पर आ गये थे. जिसे मैं ज़ोर ज़ोर से दबाने लग गया. मैने देखा की सब सो रहे है. मैने वहीं पर दीक्षा को नीचे बिठा दिया और अपना लंड बाहर निकाल कर उसे अपना लंड चुसवाने लग गया.
उसके मूह की गरमी से मैं भी गरम होने लग गया. मुझे सच मे बहोट मज़ा आ रहा था. उसके बाद मैने उसे अपनी सीट पर ले आया और उप्पर वाली सीट पर उसे चड़ा दिया. मैने ट्रेन की लाइट बंद कर दी. और खुद भी उप्पर चड़ गया मैं अपने साथ एक कंबल ले आया था.
सीट पर आते ही मैने उसे अपने नीचे ले लिया और उसके होंठो को पागलो की तरह चूसने लग गया. फिर मैने उसका टॉप उप्पर कर दिया और ब्रा मे से उसके दोनो बूब्स को बाहर निकाल लिया. उसके दोनो बूब्स को पागलो की तरह चूसने लग गया. उसके मूह से आहह आह की मस्ती भरी आवाज़ें आने लग गई. मुझे लगा की अब तो मैं गया तभी मैं उसके होंठो पर अपने होंठ रखे.
और उसके कान मे धीरे से कहा की शोर मत करो अगर कोई उठ गया ना तो वो भी तुम्हारी चूत मारेगा. फिर मैने अपना लंड बाहर निकाला और उसकी जीन्स एक तंग से बाहर निकाल ली. मैने जोश मे आ कर उसकी पैंटी भी फाड़ दी. और अपना थूक उसकी चूत पर लगा कर अपना लंड उसकी चूत मे डाल दिया.
उसको दर्द हो रहा था पर वो चिल्ला भी नही सकती थी. इस लिए उसने मेरे कंधे पर अपने दाँत गाड़ दिए. मुझे इस दर्द मे बहोत मज़ा आ रहा था. मैं ट्रेन के धक्के के साथ अपने धक्के शुरू कर दिए थे. मैं बड़ी तसल्ली से उसकी चूत मार रहा था. उसने धीरे से मेरे कान मे कहा की आप का लंड तो सच मे बहोत बड़ा है.
फिर क्या था मुझे उसकी बात सुन कर जोश आ गया और ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत को चोदने लग गया. मैने उसकी चूत को करीब 30 मिनिट तक चोदा और फिर मैं उसके उप्पर ऐसे ही लेट गया. कंबल मे हम दोनो को नींद कब आई पता तक नही चला
सुबह के 4 बजे गये थे तभी दिशा का फोन आया की स्टेशन आ गया है जल्दी से मेरे पास आ जा. फिर क्या था हम दोनो ने जल्दी से कपड़े डाले और मैने उसका समान ले कर उसे वाहा तक छोड़ने गया. जाते जाते दीक्षा ने मुझे लिप्स किस किया और कहा कल रात को फिर आउंगी.
क्योकि उन्होने भी मुंबई जाना था. मैने ट्रेन के अपने 4 दिन के सफ़र मे दीक्षा और दिशा को बारी बारी से चोदा. और मैने उन दोनो बहनो को कैसे चोदा. और मै ये अपनी आने वाली कहानी मे बताऊंगा. आप को ये मेरी सच्ची कहानी कैसी लगी मुझे ये ज़रूर बताना,