मेरा नाम युसरा है. मैं लखनऊ के डालीगंज में रहती हूं. मेरी उम्र 27 साल हो गयी है. मेरी शादी भी हो गयी है लेकिन मेरी पहली चुदाई तब हुई थी जब मैं 19 साल की थी और पढ़ाई कर रही थी. मैं जब 12वीं में थी तो मुझे ज़्यादा सेक्स में इंटरेस्ट नहीं था बल्कि मेरी सहेलियां बहुत बार चुद चुकी थी.
एक दिन मैं अपने घर जा रही थी तो मुझे बहुत तेज़ पिशाब लग गया और रास्ते में एक पब्लिक टॉयलेट पड़ता था तो मैं उसी में चली गई.
वहां बहुत हल्की रोशनी थी. एक तरफ लाइन से जेंट्स के लिए यूरिनल लगा हुआ था और एक तरफ लाइन से बहुत से केबिन वाले टॉयलेट्स थे.
मैं एक केबिन में चली गयी और जल्दी से सलवार नीचे सरका कर बैठ गयी और पिशाब करने लगी.
पिशाब करते करते मुझे किसी लड़की की आवाज़ आने लगी तो मैं परेशान होने लगी. टॉयलेट्स की प्लास्टिक दीवार में कुछ छेद भी थे तो मैंने उन छेदों में से झाँक कर देखा. उधर का हाल देखकर मैं दंग रह गयी.
उसमें मेरी जूनियर लड़की नंगी कमोड पर बैठी हुई थी और मेरी क्लास का लड़का उसकी चूत को चाट रहा था.
इस दृश्य को देखकर मैं भी गर्म हो गयी और मेरी उंगली अपनी चूत में चली गयी. यह पहली बार मैंने अपनी चूत के अंदर उंगली डाली थी. और मैं अपनी उंगली चूत में अंदर बाहर करने लगी.
उधर अब उस लड़के ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया और अंदर बाहर करने लगा.
थोड़ी देर बाद उसने उस लड़की की चूत में लंड को सटाया और हल्के से धक्के में ही अंदर चला गया. लंड लगभग 5″ का रहा होगा लेकिन मोटा था.
5 मिनट बाद उसने रफ्तार बढ़ा दी और अपना लंड बाहर करके उसकी टांग पर अपना पूरा माल निकाल दिया.
इसके बाद दोनों जल्दी जल्दी अपना कपड़े पहन कर निकल गए.
मुझे उंगली अंदर बाहर करने से फिर से पिशाब लगने लगा था लेकिन यह पिशाब नहीं बल्कि झड़ने से पहले का अहसास था जो मैंने कभी नहीं किया था.
जब मैंने स्पीड बढ़ाई तो मेरे दूसरी ओर वाले बाथरूम से एक अंकल की आवाज़ आयी- कब तक ऐसे ही उंगली अंदर बाहर करोगी?
मैं थोड़ी डर गई लेकिन इतनी गर्म हो गयी थी कि मैंने उन अंकल की बातों को नहीं सुना और जब मैं झड़ गयी तब मैंने अपनी सलवार ऊपर की और निकलने लगी.
पीछे से वे अंकल कह रहे थे- कल आना तो मज़ा दूंगा.
मैं जल्दी से घर आ गयी और खाना खा पीकर लेट गयी और बार बार मेरी नज़रों के सामने वही जूनियर का नज़ारा आ रहा था.
रात में जब मैं सोने लगी तो फिर से मैंने उंगली चूत में डाली और मुझे उन अंकल की भी बात याद आने लगी कि उंगली से लंड का मज़ा नहीं मिलता.
फिर मैं कब सो गई उंगली करते हुए … मुझे याद नहीं.
सुबह मैं स्कूल गयी तो दिन भर यही दुआ कर रही थी कि आज फिर मेरी जूनियर उसी पब्लिक टॉयलेट में चुदे.
छुट्टी के बाद जब घर जा रही थी तो मैंने देखा वह लड़की उसके अंदर गयी और लड़का उसके पीछे पीछे गया. मैं भी जल्दी से अंदर गयी और उसी टॉयलेट में घुस गई और छेद में से देखने लगी और कल ही वाला नज़र देखा और खुद 2 बार झड़ गयी.
वे लोग जैसे ही गए तो कल वाले अंकल की आवाज़ आयी- मेरा लंड ही हिला दो बस … और कुछ नहीं करूंगा.
इसके बाद मैं सोच ही रही थी कि अंकल ने उसी छेद में से अपना लंड डाल दिया और इसका लंड लगभग 6″ का था.
मैं देख ही रही थी तो उसने बोला- तुम्हारे साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं है, अगर तुमको जाना है तो चली जाओ.
मैंने सोचा यह मौका पता नहीं कब मिले, हिलाना ही तो है. मैंने हल्के से अंकल का लंड पकड़ा और यह मैंने पहली बार किसी का लंड पकड़ा था. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई रबर की बहुत सख्त चीज़ हो.
लगभग 5 मिनट तक हिलाया तो अंकल ने बोला- अगर तुम मुँह में लोगी तो और मज़ा आएगा.
मैंने मुँह में ले लिया लेकिन कोई खास मज़ा नहीं मिल रहा था तो मैंने उन से बोला- मज़ा नहीं आ रहा.
तो अंकल बोले- अगर तुम्हारी इजाज़त हो तो मैं तुम्हारे टॉयलेट में आ जाऊं?
मैंने उन्हें बुला लिया और अंदर आते ही अंकल ने कुण्डी लगायी और अपने कपड़े उतार दिये और मुझसे बोले- तुम भी कपड़े उतार दो.
तो मैंने अपनी सलवार उतार ली और कमोड पर बैठ गयी.
वह मेरी चूत को देखते ही बोला- ऐसी चूत आज तक नहीं देखी मैंने! इतनी फूली हुई कुंवारी चूत है तुम्हारी.
इतना बोलते ही अंकल ने मेरी चूत पर किस कर दिया और चाटने लगे. इस बार सबसे ज़्यादा मज़ा आ रहा था. उनकी गर्म गर्म ज़ुबान मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी और अब मेरी भी उसी जूनियर की तरह आवाज़ निकल रही थी. क्या गज़ब का मज़ा आ रहा था. मैं 3-4 बार झड़ चुकी थी लेकिन दिल कर रहा था वे करते रहें.
इसके बाद मैंने ही कहा- अंकल, आज चोद भी दीजिये.
तो उन्होंने बोला- बहुत दर्द होगा क्योंकि तुम्हारी चूत एकदम कुंवारी है. मैं एक बार चोदना शुरू कर दूंगा तो रुकूँगा नहीं.
मैं बोली- आप जब झड़ जाना, तभी रोकना चाहे … मैं कुछ भी कहूँ.
इसके बाद मैं बैठी ही रही और अंकल ने मुझे पूरी नंगी कर दिया.
मेरी चूचियाँ बहुत छोटी थी लेकिन उनको देखकर अंकल पागल हो गए और दांत से नोचने लगे. मेरे चूचों पर चोट भी लग गयी लेकिन वे नहीं रुके और चूसते रहे. थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे किस करना शुरू किया.
क्या गज़ब का किस किया अंकल ने. उनकी खुरदुरी गर्म ज़ुबान से मेरी ज़ुबान छुलते ही मैं हिल जाती.
फिर अंकल जी ने मुझे अपना लंड चूसने के लिए बोला. इस बार मुझे मज़ा आ रहा था और वे एक हाथ से मेरी चूत में अपनी उंगलियां डाल रहे थे. बड़ा ही मज़ा आने लगा.
अब अंकल ने अपना लंड मेरी चूत पर सटाया और अंदर डालने की कोशिश करने लगे. अभी उनका टोपा थोड़ा सा ही अंदर हुआ था कि मुझे बहुत तेज़ दर्द शुरू हो गया लेकिन मुझे अपनी बात याद थी तो मैंने उनसे मना नहीं किया.
इसके बाद उन्होंने एक कस के झटका दिया और उनका टोपा अंदर चला गया और मैं बहुत तेज़ चिल्ला दी और बोली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकाल लो अंकल!
तो उन्होंने पहली बार मुझे रंडी बोला और कहा- मैं अब नहीं रुकूँगा रंडी. बहुत शौक था न तुझे चुदने का? आज मज़ा ले. मुझे तो मज़ा आने लगा, तुझे भी आएगा थोड़ी देर में!
और इतना कह कर अंकल मुझे किस करने लगे.
थोड़ी देर बाद मुझे मज़ा आने लगा और मैं उनका साथ देने लगी.
लगभग 10 मिनट बाद उन्होंने पूछा- मुँह में लोगी?
तो मैंने बोला- हाँ!
और अंकल ने झट से मेरे मुंह में डाल दिया. उसी में वो झड़ गए और उनका वीर्य मेरे मुँह से बाहर आने लगा.
तो उन्होंने मेरे होंठों से होठ लगा कर मुझे किस करके कुछ वीर्य खुद भी पी लिया. वीर्य का टेस्ट मुझे अच्छा नहीं लगा लेकिन मैं पी गयी.
इसके बाद मैं खड़ी हुई तो मुझे खड़े होने में बड़ा दर्द हो रहा था. तो अंकल जी ने मुझे कपड़े पहनाये और मुझे घर तक छोड़ा.
घर में मेरी अम्मी से बताया- यह सड़क पर गिर गयी थी तो चोट के कारण चल नहीं पा रही.
मेरी अम्मी ने अंकल जी का बहुत शुक्रिया अदा किया, उन्हें चाय नाश्ता करवाया.
इसके बाद वे अंकल हमारे घर पर भी आने लगे और अम्मी के न रहने पर एक दिन उन्होंने गांड भी मारी.
लेकिन ज्यादातर मैं अंकल से उसी पब्लिक टॉयलेट में चुदाई करवाती थी.