मेरे प्यारे पाठकों को मेरा प्यार भरा नमन, मैं प्रधान जी अपनी एक और अनुभव ले कर आपके सामने प्रस्तुत हूँ, मेरे नए पाठको से अनुरोध है कि आप मेरी पिछली कहानियों को जरूर पढ़ें ताकि मेरे इस कहानी के पात्र आपको ठीक से समझ आ सकें और आप इस कहानी का ज्यादा मजा ले सकें।
फिर भी थोड़ा पात्र परिचय दे दूँ.
मैं प्रधान जी एक स्कूल में शिक्षक हूँ, मेरे सहकर्मी शिक्षक शंकर कुमार झा जो विधुर हैं. झा जी के पड़ोसी रमेश और उनकी पत्नी कौशल्या! और मेरे स्कूल की टीचर देविका
समय बीत रहा था और मेरी जिंदगी और भी खुशहाल और रंगीन होती जा रही थी. मैं और देविका अपने प्रेम सम्बन्ध और यौन जीवन से काफी खुश थे, मैं अब गांडू लड़के की रंगीन मम्मी मोहिनी जी से किसी भी तरह के संपर्क में नहीं था, आना-जाना तो दूर मेरी अब उनसे बात चीत भी बंद थी, क्योंकि मैं और देविका एक दूसरे से काफी संतुष्ट थे।
सर्दियों का समय था, हमारे स्कूल और कार्यालय को एक महीने की छुट्टी दी गयी थी, काफी अच्छा समय था अपने घर परिवार से मिलने का, इसी बीच हमें कौशल्या जी के घर से एक आमंत्रण आया, कौशल्या जी और उनके हसबंड की शादी की बीसवीं सालगिरह की पार्टी थी, मैंने और देविका ने सोचा ये पार्टी में सम्मलित होकर अपने अपने घर चले जाएंगे.
चार पांच दिनों के बाद वो पार्टी का दिन भी आ गया, मैं भी कोट पैन्ट पहन कर टिपटॉप तैयार हो गया. देविका ने भी एक मस्त नील रंग की साड़ी पहनी थी, क्या जबराट दिख रही थी, हम दोनों की जोड़ी देखने में भी काफी सुन्दर लगती है.
मैंने उसे देखते ही अपनी बाँहों में भर लिया और दोनों रोमांटिक पोज़ में थोड़ा डांस करने लगे.
मैंने देविका की गर्दन चूमते हुए कहा- वाह क्या लग रही हो जानू, एकदम नयी नवेली दुल्हन की तरह! जी करता है अभी सुहागरात मना लूं!
देविका- क्या जी, आप भी ना चलिए चलिए पार्टी को लेट हो रहे हैं, अपना कार्यक्रम रात को करियेगा।
मैं- हाँ मेरी जानेमन, अब क्या करूँ, तुम हो ही इतनी कमाल की, आज पार्टी में सारे मर्दों की नजर मेरी दिलरुबा पर ही होगी, चलो क़यामत ढाने!
और हम पार्टी के लिए रवाना हो गए.
आगे फूल की दुकान से गुलाब के फूल की बूके ली और पार्टी के अवेन्यु पहुँच गए. मैंने देखा कि शंकर झा जी तो पार्टी का कार्यभार इस तरह संभाल रहे हो मानो इनकी सालगिरह है, एकदम वयस्त!
मैंने उन्हें आवाज लगाई- झा जी … ओ शंकर बाबू, कितना बिजी हो यार?
शंकर- आरे आरे आइए आइए सर, नमस्ते देविका मेम … क्या करें सर, कौशल्या ने सारी जिमेदारी मेरे माथे पे थोप दी है. और आप जानते हैं ना कौशल्या मेरी लाइफ में कितना इम्पोर्टेंस रखती है।
मैं- हाँ यार, मैं जनता हूँ. अच्छा वो सब छोड़ … कौशल्या जी कहाँ हैं?
स्टेज पर तो उसका मरियल हस्बैंड रमेश बैठा है शिर्फ़।
इस बीच कौशल्या जी भी वहा अचानक पहुँच गयी- नमस्ते सर! और क्या बाटें हो रही हैं? आज तो आप दोनों की जोड़ी भी कमाल की दिख रही है।
मैं- हाँ और आप दोनों की भी!
मैंने झा जी और कौशल्या जी की तरफ इशारा करते हुए कहा.
कौशल्या- अच्छा ठीक है सर, आप पार्टी एन्जॉय कीजिये, मैं कुछ देर बाद आपको अपने एक बड़े इन्वेस्टर से मिलवाती हूँ।
और कौशल्या जी वहाँ से चली गयी.
मैं और देविका पार्टी एन्जॉय कर रहे थे, मैंने ध्यान दिया कि पार्टी में आये सारे कपल मेरी और देविका की जोड़ी से काफी जल रहे थे क्योंकि देविका मुझे अपने हाथों से खिला पिला रही थी, कभी मेरी टाई ठीक करती तो कभी मेरे बालों को संवारती.
मैंने भी देविका का हाथ अपने हाथों में थाम रखा था, हमारे बीच के वो रोमांटिक प्यार की झलक पूरी पार्टी में आकर्षण का केंद्र थी. पार्टी यूँ ही मजे में चल रही थी.
फिर कुछ समये बाद कौशल्या जी ने हमारी मुलाकात एक बड़े बिज़नसमैन से करवाई, जो उनके कंपनी के अच्छे खासे इन्वेस्टर थे मिस्टर रंजन घोष।
घोष बाबू- हेलो सर, नाइस मीटिंग यू! और कैसा चल रहा है, घर पे सब ठीक ठाक है ना सर!
मैं- बस सब प्रभु की कृपा है घोष बाबू, आप सुनाइये, और कौन कौन आये हैं पार्टी में साथ?
घोष बाबू- मेरी पत्नी और मैं … रुकिए उनसे मिलवाता हूँ.
और उन्होंने अपनी पत्नी को इशारा कर के बुलाया. उनकी पत्नी कुछ दूरी से सामने आ रही थी.
जैसे ही वो सामने आई, मैं तो चौंक गया, वो कोई और नहीं बल्कि मोहिनी जी थी जिनके साथ मैंने आन जाने में शारीरिक संबंध बनाया था, जिसका उलेख मैंने अपनी पिछली कहानी ‘गांडू लड़के की रंगीन मम्मी’ में किया है।
मोहिनी जी- अरे प्रधान जी आप, वाह क्या बात है, आज तो पार्टी और भी रंगीन हो गयी. मुझे जरा भी उम्मीद नहीं थी कि आप मुझे यहाँ मिलेंगे.
घोष बाबू- अरे आप सर को जानती हैं? पर कैसे? मेरी तो आज पहली मुलाकात है इनसे!
मोहिनी जी- आपको काम से फुरसत मिले तब ना आप जानेंगे जी.
और हमारे बीच कुछ जान पहचान की बातें होने लगी. कुछ देर बाद देविका भी आ गयी, मैंने उनको दोनों से मिलवाया, दोनों औरतें आपस में बात करने लगी और मैं और घोष बाबू पार्टी से थोड़ा अलग हो गए और मदिरापान की महफ़िल की तरफ चले गये. एक एक पैग के बाद हमारे बीच कुछ पर्सनल बातें भी हुई.
घोष बाबू- अच्छा सर, एक बात पूछूँ, आप और देविका मैडम एक दूसरे से काफी घुल मिल के बातें करते हो मानो वो आपकी पत्नी हो. मैं काफी देर से आप दोनों को नोटिस कर रहा था, मुझे लगा वो आपकी पत्नी होंगी।
मैं- अब आपसे क्या छुपाऊँ! हाँ, मैं और देविका हमेशा एक साथ ही रहते हैं, हम दोनों की फॅमिली यहाँ से दूर है तो दोनों एक दूसरे का ख्याल रखते हैं और एक दूसरे की जरूरत पूरी करते हैं।
घोष बाबू- मतलब आपने उनके साथ?
मैं- जी हाँ, आप सही सोच रहे हैं, हम दोनों के बीच शारीरक संबंध भी हैं।
घोष बाबू- क्या बात है सर … आपको इस उम्र में भी इन सब चीजों में इंटरेस्ट है।
मैं- इसमें उम्र की क्या बात है, इस उम्र में तो सेक्स करने में और भी मजा आता है. क्यों आप नहीं करते क्या? आपकी उम्र भी तो 55 साल पार ही होगी, ऊपर से आपकी मैडम भी रूप की धनी हैं।
घोष बाबू- अरे कहाँ सर, कितने साल हो गए ये सब किये हुए … अब तो बस बिज़नस में ध्यान रहता है।
मैं- ये तो बहुत गलत बात है. आप सिर्फ़ अपने बारे में कैसे सोच सकते हैं, मोहिनी जी आपकी पत्नी है, थोड़ा रोमान्स लाइये अपनी जिंदगी में, उनकी इच्छा जानिए, किसी दंपति की जिंदगी में प्यार के साथ सेक्स लाइफ भी अच्छी होनी चाहिए. नहीं तो वो अपनी जरूरत किसी और में ढूँढने लगते हैं. माफ़ी चाहूँगा ऐसा मेरा मानना है।
घोष बाबू- बात तो आपकी बिल्कुल सही है. पर क्या करूँ … आज देखता हूँ कोशिश करके … कहीं आपकी बात सही तो नहीं. क्या पता शायद उसे सेक्स की जरूरत हो।
मैं तो जानता था ही कि मोहिनी कितनी प्यासी होगी क्योंकि मैं भी अब उसके संपर्क में नहीं था.
चलो यह काम तो मैंने ठीक कर दिया।
मैं- ठीक है घोष बाबू, आशा करता हूँ आज आपकी रात अच्छे से गुजरे! और एक बात … सेक्स की कोई गोली खा लीजियेगा, क्या पता जरूरत पड़ जाए… हे हे हे।
घोष बाबू- अरे जरूर सर, थंक्स फॉर दी सजेशन, आपको जरूर बताऊंगा कि रात कैसी गुजरी।
फिर हम दोनों ने एक दूसरे को अपना नंबर दिया और थोड़े नशे की हालत में हम दोनों अपनी आइटम के पास आ गए. जाते ही घोष बाबू ने बड़े रोमांटिक अंदाज में मोहिनी जी की कमर में हाथ डाला और एक प्यारी सी पप्पी उनके गाल पर दे दी।
मोहिनी जी- क्या बात है जी, आज बड़े रोमांटिक मूड में हो? ऐसी क्या बातें हो गयी आप दोनों के बीच में प्रधान जी?
मैं- कुछ नहीं भाभी जी, बस आपके पति देव को आपको खुश रखने की कुछ टिप्स दे रहा था।
मोहिनी जी- अच्छा जी, काश आपकी संगत का थोड़ा असर इन पे भी हो जाये।
घोष बाबू- क्यों डार्लिंग, मैं तुम्हें खुश नहीं रखता क्या?
मोहिनी जी- आप नहीं समझोगे जी, हर खुशी पैसों से नहीं खरीदी जाती।
घोष बाबू – ठीक है मेरी जान, आज से में तेरी हर कमी पूरी कर दूँगा.
नशे की हालत में थोड़े लड़खड़ाये शब्दों में उन्होंने कहा.
पार्टी भी समाप्त होने को थी, सभी ने डिनर किया, एक दूसरे को गुड बाय किया और अपने अपने घर को निकल पड़े.
अगले दिन मुझे शाम को घोष बाबू का फ़ोन आया- हेल्लो प्रधान सर, घोष बाबू हियर!
मैं- ओ हेल्लो घोष बाबू, नमस्कार नमस्कार … और कैसे हैं?
घोष बाबू- सर, सब बातें फ़ोन में ही करेंगे क्या? आपसे मिल के बात करूँगा, कहाँ हैं आप?
मैं- बस निकल ही रहा था मार्केट की ओर …मिलिए वहीं!
और उन्होंने मुझे मार्केट से पिक किया और बैठक के लिये बार पहुँचे, फिर कुछ एक पैग के बाद उन्होंने अपनी रात की कहानी सुनाई।
कुछ बातों को मैंने थोड़ा संक्षिप्त में लिखा है ताकि कहानी थोड़ी मजेदार लगे. तो आइये जानते हैं घोष बाबू की जुबानी कि उनकी रात कैसे गुजरी।
पार्टी खत्म होने के बाद हम घर के लिए रवाना हो गए, मैंने गाड़ी एक मेडिकल स्टोर पर रोकी और स्टोर में दुकानदार से सेक्स स्टेमिना वाली कुछ गोलियाँ और कॉन्डम मांगे. उस वक़्त रात के करीब 9:30 हो रहे थे और स्टोर पर भी दुकानदार के अलावा कोई नहीं था.
मेरे टेबलेट मांगने पर दुकानदार ने पहले तो मुझे बड़े गौर से देखा फिर मेरी कार की ओर देखा, दुकानदार मेरा हमउम्र ही था, इस पर मैंने उसे कहा- भाई जी, वो मेरी पत्नी है, कोई कॉल गर्ल नहीं।
दुकानदार- अरे नहीं नहीं साहब, ऐसी कोई बात नहीं है, बस खुश रहिए और जिंदगी के मजे लीजिये सर!
और मैं वहाँ से निकल गया. घर पहुँच कर हम दोनों ने कपड़े बदले. मैंने एक सेक्स टेबलेट खा ली और टीवी ओन करके बैठ गया. करीब आधे घंटे बाद गोली असर दिखाने लगी, दिल की धड़कन तेज हो गयी और मैं बहुत गर्म और उत्तेजित महसूस करने लगा.
फिर मैंने मोहिनी को आवाज लगाई- मोहिनी, मोहिनी ओ मैडम इधर आइएगा जी!
मोहिनी- हाँ जी बोलिये, कुछ चाहिए था क्या?
मैं- कुछ नहीं चाहिए, पहले आप इधर मेरे बगल में बैठिये.
और मैंने उसका हाथ खींच कर अपनी बगल में बिठा दिया और उसकी गोद में सिर रख कर उससे पूछा- आप मेरी धर्म पत्नी हो, मुझ पर आपका पूरा अधिकार है, तो फिर अगर आपको सेक्स की इच्छा है, तो अपने कभी मुझ पर अपना हक़ क्यों नहीं जताया?
मोहिनी- ऐसी बात नहीं है जी, वो क्या है ना, आप हफ्ते में एक दो दिन के लिए आते हैं, ऊपर से आप अपने बिज़नस को लेकर इतने टेंशन में रहते हैं, तो आपको तंग करना ठीक ना होगा, सोच कर मैंने कभी अपनी इच्छा जाहिर नहीं की, बस और कोई बात नहीं थी।
मैं- अच्छा मेरी जान को मेरी इतनी चिंता है. माफ़ करना डार्लिंग, अब मैं तुम्हें ज्यादा से ज्यादा समय देने की कोशिश करूँगा।
फिर मैं उसे गोद में उठा कर बैडरूम ले गया, हल्के से उसे बेड पे लिटाया और लिपट कर उसके होंठों को चूमने लगा. इतने दिन बाद अपनी बीवी को यूं बाँहों में भर कर मजा आ गया. मैंने उसके शारीरिक बदलाव को महसूस किया. वो पहले से और भी ज्यादा खिली हुई और भरी पूरी लग रही थी.
मैं उससे लिपट कर रगड़ रगड़ कर उसे चूम रहा था. एक तो दवा का असर, ऊपर से मेरी नर्म गर्म बीवी … मैंने उसकी नाइटी खोली और उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को चूसने लगा, जोर जोर से दबने लगा. उसकी सिसकारियाँ मुझे और उतेजित्त कर रही थी.
फिर उसने कॉन्डम मेरे लन्ड पर लगाया और हल्के हाथ से ऊपर नीचे करने लगी.
अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था, मैंने उसके पैर फैलाये, थोड़ा सा तेल उसकी चूत पर गिराया, लन्ड का सुपारा उसकी चूत पे टिकाया और जोर का एक शॉट लगाया. लन्ड पचक से उसकी चूत को खोलता हुआ अंदर पिल गया और मैं जोर से उससे लिपट कर उसे चूमने लगा.
हम दोनों यों ही एक दूसरे से करीब 5 मिनट लिपटे रहे, फिर मैंने अपना लन्ड निकाला और धीरे धीरे लन्ड अंडर बाहर करने लगा।
मैं- डार्लिंग, कैसा लग रहा है? तुम तो एकदम बदली बदली सी लग रही हो।
मोहिनी- बहुत अच्छा लग रहा है जानू, कितने समय बाद आप मुझसे हमबिस्तर हुए हैं।
फिर मैंने बीवी की चूत की ठुकाई थोड़ी तेज कर दी, पच-पच … पच-पच पचपचपच … क्या मस्त समा बना था वो!
“आ हा हाहा … उम्म्ह… अहह… हय… याह…” उसकी वो हल्की दर्द भरी आवाज!
“आह अह हम्म आह अह …” करीब 20 मिनट की उस चोदाई करम में कॉन्डम फट गया. मैं रुक कर दूसरा कॉन्डम लगा रहा ही था कि मोहिनी ने कहा- जी बिना कॉन्डम के करिये ना, मैं कोई पराई औरत हूँ क्या!
यह सुन कर तो मैं और भी वहशी सा हो गया. हल्का सा थूक उसकी चूत पर गिरा कर लन्ड से अच्छे से रगड़ रगड़ के उसकी उभरी जगह पर मालिश की, सुपारा टिकाया और जोर से एक धक्का मारा और फिर चोदाई चालू कर दी. बिना कॉन्डम के चोदाई का मज़ा तो कुछ और ही होता है.
मैं दोनों हाथों से उसकी चुचियाँ मसल मसल कर किसी बच्चे की तरह उसका दूध पी रहा था. फिर मैंने उससे उल्टा होकर लेटने को कहा. अब बारी मेरी बीवी की गोल मटोल पिछवाड़े की थी.
उसने भी निसंकोच अपने चूतड़ आगे कर दिये मानो आज वो बस मेरी हर तमन्ना पूरी करना चाहती हो.
मैंने एक तकिया उसके पेट के नीचे लगाया ताकि पकड़ थोड़ी अच्छी मिले. फिर लन्ड उसकी चूतड़ के छेद यानि पर टिकाया और अंदर ठेल दिया.
वो भी दर्द से चिल्ला उठी- आह्ह्ह्ह … आराम से डार्लिंग … थोड़ा आहिस्ता!
“हाय मेरी प्यारी बीवी … अब कहाँ आहिस्ता … इतने दिन बाद तेरी ठुकाई कर रहा हूँ, थोड़ा बर्दाश्त कर ले मेरी रानी!” और पीछे से जोर से पकड़ कर उसकी चोदाई जारी रखी.
करीब 20-25 जबरदस्त शॉट लगाने के बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया और उससे लिपट कर कुछ देर शान्त हो गया.
लेकिन 10 मिनट बाद मैं फिर चार्ज हो गया, अब मैंने उसे उठा कर अपने ऊपर कर दिया और नीचे से उसकी चोदाई चालू कर दी. वो भी खूब मज़े से उछल उछल कर मेरा साथ दे रही थी. उसकी चुचियाँ ठीक मेरी छाती से रगड़ खा रही थी और मैं उसके होंठों का रसपान कर रहा था.
कभी वो मेरे नीचे तो कभी मैं उसके नीचे, पूरी रात चोदाई का यह खेल चलता रहा।
घोष बाबू- ओ प्रधान जी, कहाँ खो गए सर? रात की बात खत्म हो गई.
मैं- अरे कहीं नहीं घोष बाबू, आपकी बात सुनकर उत्सुक हो गया हूँ, बस घर पहुँचने की इच्छा है अब तो जल्दी!
घोष बाबू- आपके तो मज़े ही मज़े हैं! सर घर में अपनी बीवी, बाहर देविका जी! अच्छा सुनिए ना … कहीं बाहर चलने का प्लान बनाइये. आप देविका जी को ले लीजिये, मैं अपनी मिसेज को ले लेता हूँ, हो सके तो शंकर जी और कौशल्या जी को भी ले लिया जाए. मुझे उन दोनों के प्रेमसंबंधों के बारे में भी पता है.
मैं- यह तो बहुत कमाल का आईडिया है, ठीक है फिर चलते हैं कहीं.
और हमारी बातें खत्म हुई, दोनों हल्के नशे में खड़े लन्ड लेकर अपने अपने जुगाड़ के पास पहुँचने को निकल पड़े।