मेरा नाम साहिल है और मैं 26 वर्ष का औसत शरीर का मालिक हूं. मैं दिल्ली में रहकर जॉब कर रहा हूं.
यह बात एक वर्ष पहले की है जब मैं अपने गांव गया हुआ था.
वहां पर मेरी मुलाकात मेरे साथ बचपन से पढ़ने वाली एक लड़की ज़ारा से हो गयी जो अब भी मुझे जानती थी.
ये घटना कैसे हुई वो आपको बताता हूं. बात नवम्बर महीने की है. ऑफिस में सात दिनों की छुट्टी हो गयी थी. मैंने आफिस से थोड़ा पहले निकलकर ट्रेन पकड़ने का मन बना लिया.
चूंकि रविवार का दिन था और अगले दिन सोमवार को मेरा ऑफिस नहीं रहता था इसलिए मैं सात दिन की छुट्टी को आठ दिन की बनाने का प्लान कर चुका था.
स्टेशन पर पहुंचते ही कानपुर जाने वाली ट्रेन में मैं बैठ गया. चूंकि ट्रेन दिल्ली से ही बनकर चलती थी इसलिए ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं थी.
मेरे सामने की सीट पर कुछ लोग बैठे हुए थे.
तभी बगल की सीट पर एक लड़की ने आकर अपना सामान रखते हुए मुझसे पूछा- आपके साथ कोई और तो नहीं?
मैंने ना में सर हिलाया और अपना सामान एडजस्ट किया.
थोड़े ही समय में ट्रेन ने सीटी मारी और आगे चल पड़ी.
कुछ देर बाद मैंने जब बगल वाली सीट की तरफ ध्यान किया तो देखा कि वह लड़की एक प्रश्न पुस्तिका हाथ में लेकर कुछ पढ़ रही थी.
मैं भी उसकी तरफ देखने लगा.
अचानक से उसने पूछा- आप कहाँ जा रहे हैं?
तो मैंने बताया कि मैं कानपुर जा रहा हूँ.
उसने भी बताया कि वह भी कानपुर ही जा रही है.
कुछ ही देर में बात करने में लगा कि शायद हम एक दूसरे को जानते हैं.
फिर अचानक से स्कूल व कॉलेज टाइम की हिस्ट्री पूछने पर वह मेरे ही कालेज की एक शर्मीली सी दिखने वाली लड़की जारा निकली.
मैंने उससे कहा- तुम तो 6 साल में एकदम बदल गयी हो!
उसने भी कहा- तुम भी तो एकदम पहचान में नहीं आ रहे हो!
बातें करते हुए ही मैंने बैग से एक चिप्स का पैकेट निकाला और उसको ऑफर कर दिया.
दोनों मिलकर एक ही पैकेट से चिप्स खा रहे थे.
अचानक दोनों के हाथ पैकेट के अंदर एक बार मिल गए, मेरे शरीर में तो जैसे करेंट दौड़ गया.
जारा ने भी झटके से अपना हाथ खींच लिया.
उसने बातों ही बातों में मुझसे पूछा कि क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड है?
तो मैंने ना में सर हिलाते हुए उससे भी उसके ब्वॉयफ्रेंड के बारे में पूछ लिया.
थोड़ी सी मायूस होकर उसने जवाब दिया कि वह एक लड़के को वह पसन्द करती थी और उससे कई बार बताया भी. मगर उस लड़के की कई गर्लफ्रेंड होने की वजह से वह बाद में उससे दूर हो गयी.
इस तरह से हम दोनों बातें करते रहे.
बातों ही बातों में रात काफी हो गयी थी.
हम दोनों ने एक दूसरे को गुडनाइट कहते हुए अपना अपना सिर ढक लिया.
सुबह जब नींद खुली तो ट्रेन कानपुर स्टेशन पर खड़ी थी.
हम दोनों जल्दी जल्दी अपना सामान उठाकर बाहर निकल पड़े.
स्टेशन पर ही उसने मेरा नम्बर लेते हुए कहा कि उसके पापा उसको स्टेशन लेने आये हैं और बाद में काल करने की बात कहकर वह बाहर निकल गयी.
मैं भी घर पहुंच गया.
दोपहर में अचानक मेरे फोन की घन्टी बजी.
जब मैंने हैलो कहा तो उधर से जारा की आवाज सुनाई दी.
हम लोग दो दिन तक बात करते रहे और फिर तीसरे दिन उसने डबल मीनिंग सेक्सी बातें शुरू कर दीं तो मैंने भी मौके को भांपते हुए उससे मिलने का पूछा.
थोड़ा ना नुकुर के बाद वह अगले दिन बस स्टॉप पर मिलने को तैयार हो गयी.
दूसरे दिन सुबह उठकर मैं नहाने गया और हेयर रिमूवर क्रीम लगाकर अपने सभी अंगों को साफ करके एक परफ्यूम लगाकर बाइक से निकल पड़ा.
रास्ते में ही मैंने एक दोस्त को फोन करके कमरे का जुगाड़ किया और जारा को लेने बस स्टॉप पहुंच गया.
वहाँ जारा ने मुझे देखते ही हाय कहा और मेरी बाइक पर बैठ गयी.
उसने कहा कि पार्क में बैठकर बात करते हैं.
मगर मैंने उसको कहा- यहां बैठना ठीक नहीं, चलो दोस्त के घर चलते हैं, वहां पर सब सेफ होगा. यहां कोई देखेगा तो शक करेगा.
वहाँ से निकल कर मैं सीधे दोस्त के घर पहुंचा.
दोस्त को पहले से पता था कि मैं उसके कमरे पर लड़की लेकर आने वाला हूं.
उसको मैंने सारी बात फोन पर पहले ही समझा दी थी.
प्लानिंग के मुताबिक वह वहां से मार्केट जाने की बात कहकर तुरन्त चला गया.
अब मैं और जारा दोनों रूम में अकेले थे.
कुछ देर तो हमने हंसी मजाक किया फिर मैंने धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया.
वो चुप हो गई.
मैंने उसके हाथ को सहलाया तो वो समझ गई.
उसने भी मेरा हाथ पकड़ लिया.
हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे.
देखते देखते दोनों के होंठ मिल गए और मैं उसे लेकर बेड पर लेट गया.
मेरी बांहों में आते ही उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया.
मैं भी एक भूखे शेर की तरह उस पर टूट पड़ा. मैं उसकी गर्दन और उसके गले के आसपास हर जगह चूमने लगा.
वो भी कभी मेरे होंठों को चूमती तो कभी मुझे अपने से लिपटाकर मेरी पीठ को सहलाने लगती और मेरे चुम्बनों का आनंद लेने लगती.
मेरे हाथ धीरे धीरे उसकी चूचियों को दबाने लगे थे. फिर मैंने जोर जोर से उसकी चूचियों को भींचना शुरू कर दिया.
मेरा लंड पूरा तन गया था और उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत में घुसने के लिए धक्के लगाने लगा था.
वो भी बेतहाशा मुझे चूमे जा रही थी.
फिर मैंने उसको बैठाया और उसके शर्ट को उतार दिया.
उसने नीचे से किनारों पर जालीदार ब्रा पहन रखी थी. उसकी चूचियां काफी कसी हुई थीं.
मैंने उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से चूमना शुरू कर दिया. उसकी क्लीवेज में मुंह देकर चाटने लगा. वो भी मेरे सिर को अपने सीने पर दबाने लगी.
उसकी चूचियों को मैं ब्रा समेत ही जैसे खा जाना चाहता था.
फिर मैंने उसकी सलवार उतार दी.
नीचे से उसने पैंटी भी सफेद ही पहनी थी.
मैंने उसकी चूत को सहलाया तो उसने शर्माकर मेरा हाथ हटा दिया.
तो मैंने उसने दोबारा से नीचे गिरा लिया और उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को भींचते हुए उसके होंठों को तीन चार मिनट तक अच्छे से चूसा.
इस बीच मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से कई बार उसकी चूत के ऊपर भी हाथ फेरा जिससे उसकी शर्म खुल गई और वो हाथ को अब नहीं हटा रही थी.
तब मैंने उसकी ब्रा निकलवा दी और उसके बूब्स को जोर जोर से पीने लगा.
उसकी सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … आह्ह … आईई … आह्ह … साहिल … आह्ह… मेरे बूब्स!
मैंने उसकी चूचियों को इतना चूसा और इतना भींचा उसकी चूची लाल हो गयी और निप्पल मटर के दाने के जैसे सख्त हो गए.
अब मैंने उसको सपाट लेटाया और उसकी नाभि को चूमते हुए उसकी पैंटी तक पहुंच गया.
पैंटी के ऊपर से ही मैंने उसकी चूत को मुंह में भर लिया.
उसकी चूत ने पैंटी गीली कर दी थी और उससे चूतरस की मनमोहक खुशबू आ रही थी जिसको सूंघने से ही मेरे लंड में झटके लग रहे थे.
फिर मैंने आराम से उसकी पैंटी को उतार दिया.
उसकी गीली चूत मेरे सामने थी जो थोड़ी फूली फूली लग रही थी.
मैंने उसकी चूत पर जीभ से चाटा तो उसके बदन में झुरझुरी दौड़ गई.
उसकी चूत को मैंने हथेली से सहलाया और फिर उसको जीभ से चाटने लगा.
वो मचलने लगी.
फिर मैंने जीभ अंदर दे दी और उसको धीरे धीरे अपनी जीभ से चोदने लगा.
जब उसकी हालत खराब हो गई तो मैंने भी उठकर झट से अपने कपड़े उतार फेंके.
अब हम दोनों नंगे थे और मेरा लंड तनकर बेकाबू हुआ जा रहा था; उसमें बार बार झटके लग रहे थे.
अपने लंड को जारा के हाथ में दे दिया.
उसने शर्माते हुए लौड़े को पकड़कर हिलाना शुरू कर दिया.
मैं उसके दोनों निप्पल चूस रहा था और वह सिसकारियां भर रही थी.
मैंने एक उंगली अचानक से उसकी चूत में दी तो उसकी आह … निकल गयी, उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी और वह सिसकारियां ले रही थी.
अचानक से मैंने उंगली उसकी चूत में पूरी अंदर तक डाल दी.
उसने चीखते हुए मेरी उंगली बाहर निकाल दी और फिर मुझसे छुड़ाने का प्रयास करने लगी.
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये. वह फिर से गर्म होने लगी; पूरा कमरा उसकी सिसकारियों से गूंज रहा था.
अब मैंने मौका देखा कि वो मेरे होंठों को चूसने की मस्ती में खोई हुई थी.
मैं उसकी चूत को सहला रहा था.
फिर मैंने अचानक से अपना लौड़ा उसकी चूत में रगड़ना शुरू किया.
उसको मजा आने लगा.
मगर फिर मैंने एकदम से टोपा घुसा दिया.
लंड का टोपा चूत में जाते ही उसकी तो मानो जान निकल गयी.
उसने सेक्स करने से मना कर दिया.
मेरे बहुत समझाने के बाद वह राज़ी हुई.
फिर मैंने देर न करते हुए अपने सुपारे को चूत के छेद पर टिका दिया और उसके मुंह में अपने होंठ डालकर किस करने लगा.
जैसे ही मैंने देखा कि अब उसका शरीर कुछ ढीला है मैंने लौड़े को झटका देकर आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में उतार दिया.
वह दर्द से कराह उठी.
मगर मैंने किस करते हुए उसको कुछ देर जकड़े रखा.
थोड़ी देर में मैंने एक बड़ा झटका देते हुए पूरा लंड चूत के अंदर कर दिया.
उसकी आँखों में आंसू आ गए और उसकी चूत से खून निकलने लगा.
हम दोनों उसी पोजिशन में दो मिनट रुके रहे.
थोड़ी देर बाद मैंने धीरे धीरे उसकी चूत को चोदना शुरू किया.
कुछ ही देर में उसको भी मजा आने लगा; वह भी आगे पीछे होकर चुदने लगी.
हम दोनों सेक्स में डूब चुके थे.
उसके मुंह से सिर्फ एक आवाज निकल रही थी, आह्ह … साहिल कमॉन … फक मी … हार्ड!
मैं भी पूरी शिद्दत से उसकी चूत में लंड को पेल रहा था.
हम दोनों जैसे जन्नत में थे.
मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं आपको शब्दों में बयां नहीं कर सकता हूं.
जारा की चूत अंदर से बहुत गर्म थी और साथ ही टाइट भी बहुत थी.
उसकी चूत में लंड से चोदते हुए ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी तपती भट्टी में लंड को दे रहा हूं.
चूत में लंड देते हुए चोदने का जो सुख है वो दुनिया की किसी और चीज में नहीं है.
जारा की चूत पाकर मैं तो स्वर्ग पा गया था.
उसकी आंखें भी आनंद में भारी हो गई थीं.
उसने बदन को ढीला छोड़ दिया था और मेरे लंड के धक्कों का मजा ले रही थी. उसकी चूचियां तनाव में पूरी टाइट हो गई थीं, निप्पल एकदम सख्त थे.
बीच बीच में मैं उसकी चूचियों को पीते हुए निप्पलों को भी काट रहा था जिससे वो अपनी टांगों को मेरी गांड पर लपेट लेती थी और मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ लेती थी.
अब 20 मिनट से ऊपर हो चुके थे.
हम दोनों अब थकने लगे थे मगर चुदाई की प्यास मिट नहीं रही थी. मैं उसको लगातार चोदता रहा.
वो इस बीच एक बार झड़ चुकी थी.
फिर मैं उसकी साइड में लेट गया और उसकी एक टांग उठाकर पीछे से लंड को डालकर चोदने लगा.
मेरे हाथ ऊपर से उसकी चूचियों को भींच रहे थे.
इस तरह से काफी देर की चुदाई के बाद हम दोनों की सांसें बहुत भारी हो गयीं.
इतने में वह दो बार झड़ चुकी थी.
मैंने तेज धक्के लगाते हुए सारा वीर्य उसकी चूत के ऊपर उड़ेल दिया.
हम दोनों अब निढाल हो चुके थे.
कुछ देर बाद हम लोग उठे और एक दूसरे को किस किया.
जारा से चला नहीं जा रहा था; किसी तरह बाथरूम जाकर उसने चूत धोयी.
फिर बाहर आकर मुझे किस किया और फिर हम दोनों जल्द मिलने की बात कहकर वहां से निकल पड़े.
उसके बाद वह जब भी किसी एग्ज़ाम में दिल्ली आयी तो मेरे पास ही रुकी और हमने कई बार जमकर सेक्स किया.
यह देसी इंडियन लड़की जारा के साथ मेरी पहली चुदाई थी.
उसके बाद भी हम लोगों ने सेक्स का खूब मजा लिया. उसके बारे में मैं अपनी अगली कहानियों में लिखूंगा कि कैसे मैंने अपनी फ्रेंड के साथ वाइल्ड सेक्स किया.