नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रॉबी है. मैं इस साइट का आशिक हूँ. जो मज़ा इन कहानियों को पढ़ने में है वो पोर्न फिल्म देखने में नहीं है. यह कहानी कितनी सच है, मैं ये नहीं कहूंगा, पर कहानी आपका नमकीन अमृत बहा देंगी, ये पक्का है. मुझे बचपन से ही सेक्स का शौक है.
मैं एक अच्छे परिवार से हूँ, जिसमें मैं मॉम डैड, एक बहन हैं. बहन की शादी हो गयी है. मैं दिखने में एवरेज हूं.
मैं महाराष्ट्र के जलगांव से हूँ. हम जिस जगह पर रहते हैं, वह एक पॉश इलाका है. इधर रहने वाले सब अपने काम से काम रखते हैं. हमारी बिल्डिंग में कुल नौ परिवार रहते हैं. उनमें एक सहारे जी का परिवार रहता है, उस परिवार में 4 लोग थे. पति पत्नी और दो लड़कियां. एक छह साल की और एक 4 साल की थी. जो नाना नानी के यहां रहते थे. सहारे जी किसी मेडीकल कंपनी में मैनेजर पद पर थे.
उनके परिवार से हमारी जान पहचान नहीं थी. बस आते जाते हाय हैलो हो जाती थी. मिस सहारे एक पढ़ी लिखी मॉडर्न हाउस वाईफ हैं, उनका नाम कोमल है. वो अपने ऩाम के उलट बड़ी सख्त मिजाज थीं और दिखने में कामदेवी लगती थीं. नशीली आँखें, जिनसे शराब छलकती थी. गोरा बदन संगमरमर की मूरत सा तराशा हुआ. सामने दो दूध के ठोस कटोरे.. और उठी हुई गांड ऐसी कि लंड तड़प जाए. जब से उनको देखा था, बस तब से ही उन्हें चोदने का सपना देखते और सोचते हुए मुठ मार लिया करता था.
उनके यहां कई बड़े लोग आते जाते थे. कोमल भाभी से कभी औपचारिक बातें भी हुआ करती थीं.
एक रविवार की बात है, मैं घर पर अकेला था. मॉम डैड शादी में गए हुए थे.
मैं अपने दोस्तों से मिलने के लिए घर से निकला. नीचे भाभी कहीं जाने के लिए खड़ी थीं. वे काले टॉप और जींस में गजब ढा रही थीं. दो मिनट तक मैं आँखों से उनकी जवानी का रसपान करता रहा.. फिर उनको हाय कहा, तब उनका ध्यान मेरी ओर गया.
मैं अपनी गाड़ी बाहर निकालने लगा.
तब एक सुरीली सी आवाज़ मेरे कानों में पड़ी- रॉबी कहाँ जा रहे हो?
मैं- दोस्त के घर.
भाभी- मेरी गाड़ी ख़राब है, क्या मुझे बाजार तक छोड़ दोगे?
मैंने खुश होते हुए कहा- जी भाभी जरूर.. मैं उसी तरफ जा रहा हूँ.
वो गाड़ी पर बैठ गईं, उनकी परफ्यूम की सुगंध उनकी जवानी की तरह नशीली थी.
मेरा हाल बुरा होने लगा और मैं गरम होने लगा.. मेरे लंड में भूचाल आने लगा.
तभी उन्होंने पूछा- तुमने कभी कोई औरत नहीं देखी़? जो मुझे घूरता रहता है़. मैं सब समझती हूँ तुम जैसों को.
मैं आते जाते उनके बदन के उतार चढ़ाव नापा करता था. पर मुझे ये नहीं पता था कि वो इस बात को नोटिस करती थीं. कोमल भाभी की बात से मेरी गांड फट गई. मैंने कहा- सॉरी भाभी.. अब ऐसा नहीं होगा!
कोमल भाभी- बस इतने में ही फट गई.. डर मत.. मैं किसी को नहीं बताऊंगी.
फिर वे मुझसे मेरे बारे में पूछने लगीं. यूं ही बात करते हुए हम बाजार पहुँच गए. जाते हुए कोमल ने थैंक्स कहा और बोलीं- शाम का डिनर साथ करेंगे, मेरी दोस्त आई है.. उसे भी घूर लेना.
यह कहते हुए भाभी हंस कर चली गईं.
मैंने भी कह दिया कि मैं आपके फोन का इन्तजार करूँगा.
हमने नम्बर एक्सचेंज किए और अलग अलग हो गए. अब मेरे मन में लड्डू फूटने लगे.
मैं वापस घर आया और शाम की तैयारी करने लगा. अपने लंड को चिकना किया, तेल की मालिश की. ये मालिश तेल लंड में ऊर्जा भर देता है़. मैं बेसब्री से रात का इन्तजार करने लगा.
नौ बजे घर का फोन बजा. मैंने रिसीव किया- हैलो कौन?
‘भूख नहीं लगी क्या?”
मैं- ओह भाभी.. आता हूं.
मैंने जल्दी से जाकर उनके दरवाजे की डोरबेल बजाई. अन्दर से आवाज़ आई ‘खुला है.. आ जाओ, लॉक करके आना!”
अन्दर का नज़ारा देख कर मेरे होश उड़ गए. दोनों सहेलियाँ शॉर्ट नाईटी में बैठी वोड्का के पैग लगा रही थीं.
कोमल भाभी- आओ रॉबी बैठ यार.. कभी कभी हम भी मौज कर लेते हैं.
मैं बैठ कर दोनों के अधनंगे बदन को देखने लगा. कोमल भाभी की नज़र मेरी पैंट पर बने टेंट पर गई और वे दोनों हंस पड़ीं.
कोमल भाभी- रॉबी, हम खुले विचारों वाले हैं और लाईफ का मज़ा लेते रहते हैं. अब देखना ये है तेरे में दम कितना है.
मैं जोश में आकर आगे बढ़ा और कोमल भाभी का पैग उठा कर पी गया.
कोमल भाभी- ये मेरी कजिन है सोनी.
मैं- हाय सोनी.
सोनी कोमल भाभी की तरह थी, बड़े बाल फैली गांड.. कांटा माल थी वो भी.
हम तीनों पी रहे थे. कुछ ही देर में वोडका अपना असर दिखाने लगी. कोमल भाभी ने अपने नाईटी का एक बटन खोल दिया. उनके दूध से भरे प्याले दिखने लगे. वो अपने होंठों को दांत से दबा कर खड़ी हो गईं, फिर झटके से नाइटी उतार कर मेरे मुँह पर फेंक दी.
अन्दर से भाभी पूरी नंगी थीं. मैं एकटक उनको देख रहा था.
कोमल भाभी- देख ले कैसी लग रही हूँ मैं.
मैं उन्हें देखने में खोया हुआ था, मुझे उनकी आवाज़ दूर से आती सुनाई दे रही थी. वो मेरे पास आकर अपने कबूतरों को मसलने लगीं.
कोमल- रॉबी छुप कर देखते थे.. अब शर्माओ मत.. लूट लो लॉटरी लगी है.
उनकी बिंदास बातों से मेरे अन्दर उत्तेजना भरने लगी. कोमल भाभी की चूत चॉकलेटी थी, जिसका दाना मेरे मुँह के सामने था. चूत पर बाल वो रखती नहीं थी.. मेरे मुँह में पानी आने लगा. मैंने अपनी जीभ उनकी चूत के दाने पर रखते ही ऊपर से नीचे तक फेर दी.
कोमल भाभी की आह निकल गई- आह रॉबी…
भाभी मेरा सर अपनी चूत पर दबा कर पैर सोफे पर रखकर अपनी चूत मेरे मुँह पर दबाने लगीं.
उनकी चूत की महक से मेरा नशा दुगना हो गया. मैं अपनी जीभ से चूत चाटने लगा. उनकी गरम आहें मेरा जोश बढ़ा रही थीं. उन्होंने मेरे हाथों को मम्मों पर रखवा दिया. आह.. नरम मुलायम रेशम जैसे दूध.. मैं जोर से दबाने लगा.
कोमल भाभी- आह रॉबी कम ऑन सक मी.. आह.. औह.. आह.. रॉबी और जोर से करो.. चूसो जान.. मेरा अमृत पियोगे ना..
मैं जीभ को चूत के अन्दर बाहर करने लगा. उनकी चूत रिसने लगी, चूत का पानी मेरे मुँह पर बहने लगा.
तभी मेरे लंड पर कुछ लगा. मैंने देखा सोनी भी नंगी होकर नीचे बैठकर लंड सहलाने लगी. मेरी पैंट उतारने की कोशिश करने लगी. मैंने बिना चुत पर से मुँह हटाए गांड उठा कर पैन्ट उतारने में सहायता कर दी.
कोमल भाभी मस्ती में गांड हिलाने लगीं और चुत रगड़ने लगीं. नीचे सोनी मेरा लंड निगल चुकी थी. मैं आनन्द के सागर में गोते लगा रहा था, कोमल भाभी की चुत के होंठों को अपने होंठों के बीच लेकर जोर जोर से चूसने लगा. भाभी की आहें कमरे में गूंज रही थीं- आह.. ऊंह.. वॉव.. सक.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह..
कोमल भाभी का बदन अकड़ने लगा. वे मेरे सर को पूरी ताकत से चूत पर दबाकर चीखकर झड़ने लगीं. दबाव के कारण पूरा पानी मेरे मुँह में आ गया. पानी टेस्टी था.. पर पूरा नहीं पी सका. भाभी के झड़ने की स्पीड इतनी तेज थी कि बस पहली पिचकारी में मुँह भर गया. मैं उसे पी पाता, उससे पहले दूसरी फिर तीसरी.. आधा रस पिया, आधा सोनी के सर पर गिरा. सोनी ने सर गीला होने पर भी लंड नहीं छोड़ा था.
मैंने कहा- मैं झड़ जाऊंगा.. हट जा.
तब जा कर रुकी और बोली- कोमल तो ठंडी हो गई, पर मेरी चुत जल रही है.
वो सोफे पर लेट गई. उसकी वासना भड़क चुकी थी.
वो अपने हाथों से अपने दूध दबाने लगी. कोमल ने मेरे लंड पर कंडोम लगाया. उसकी चुत पर लंड रखने से वो तड़प कर बोली- मत तड़पा रॉबी.. डाल कर फाड़ दे.
वो लंड पकड़ कर निशाने पर लगाकर चुत के होंठों में फंसाकर कमर हिलाने लगी. नशे में मैंने भी एक करारा झटका मारा. आधा लंड चूत में घुस गया था.
“आह.. रॉबी.. डाल पूरा घुसा दे.. चूत बहुत तंग करती है.”
मैं भी पूरे जोश में था.. दूसरे झटके में पूरा जड़ तक लंड ठोक दिया. लंड घुसते ही उसने गांड उछाल कर लंड का वेलकम किया- आह.. ईह.. ऐह..
चूत तंदूर बनी हुई थी, मैं धीरे धीरे धक्के मार रहा था. हर धक्के पर चूत सिकुड़ कर लंड का आलिंगन करती. इससे पहले इतना मज़ा कभी नहीं आया था. वो एक नंबर की चुदक्कड़ थी, उसे मज़ा क्या है पता था.
मेरी चोदने की रफ्तार के साथ उसकी आवाज़ बढ़ गई थी. कोमल भाभी को डर था कि आवाज़ बाहर न चली जाए. वो सोनी के मुँह पर चूत रखकर बैठ गईं.
कोमल भाभी हमारी चुदाई देख कर गरम हो गई थीं. मैंने रफ्तार बढ़ा दी, फुल स्पीड से चोदने लगा. तभी कोमल भाभी जोर से चीख पड़ीं और सोनी अपने कामरस से मुझे भिगोने लगी. मैंने कोमल भाभी के चीखने की वजह जानने के उनकी तरफ देखा तो कोमल भाभी खड़ी हो कर अपनी चुत देखने लगीं.
रॉबी- क्या हुआ कोमल भाभी?
कोमल भाभी- साली कुतिया ने चूत पर काट लिया.
सोनी हंसने लगी.
मैं चुदाई रोक कर कोमल भाभी की चूत देखने लगा. उनकी चूत के दाने के ऊपर दांत के निशान थे, चुत पर भी निशान थे.
सोनी चुदाई के नशे में एक चूत ज़ख्मी करके हंस रही थी. मुझे गुस्सा आ गया, एक चूत का घाटा हो गया था. मैंने चोदने की रफ्तार बढ़ा दी. पूरी ताकत से चूत चोदने लगा.
वो चिल्लाने लगी- मुझे पेशाब आई.
पर मैंने और तेज़ कर दी, जिसे वो झेल नहीं पायी और मूतते हुए झड़ने लगी.
काफी लम्बी चली इस चुदाई में वो दो बार झड़ चुकी थी. ये मेरे तेल का कमाल था. उधर कोमल भाभी चूत पकड़ कर बैठी थीं.
मैं भी चरम पर था- सोनी कहां निकालूँ?
“ऐसे जानदार लंड का रस पीना है.” सोनी बोली.
वो घुटनों पर बैठ कर लंड चूसने लगी, मैं उसके सर को दबा कर झड़ने लगा. सोनी पूरा रस चूस कर पीने लगी. पूरा निचोड़ कर पी गई और लंड साफ कर के वहीं ढेर हो गई.
थोड़ी देर तक आराम के बाद तीनों फ्रेश होकर कपड़े पहनने लगे. सोनी ने कहा- क्यों ना नंगे ही डिनर करें.
उस रात मैं और सोनी ने 3 बार चुदाई की. दूसरे दिन वो चली गई.
पर कोमल भाभी मेरी चुदाई की दीवानी हो गई थीं. जब मौका मिलता हम चुदाई कर लेते. कोमल भाभी ने अपनी 2 सहेलियों को भी चुदवाया.. वो बाद में लिखूँगा.
इसी बीच 2 महीने पहले सहारे सर का तबादला मुंबई हो गया और मैं कोमल से दूर हो गया.
कहानी पर कमेन्ट के लिये आप मुझे मेल करें. थैंक्स. मेरी ईमेल ये है.