माँ मौसी सेक्स कहानी मेरी मोसी की चुदाई की है. मेरी माँ की मौत के बाद पापा और मौसी की शादी हो गयी और मौसी हमारे घर आ गयी. मासी पापा से संतुष्ट नहीं होती थी.
दोस्तो, मेरा नाम अनिल है. मैं 19 साल का हूँ, 12वीं का छात्र हूँ. मेरे घर में मेरे पापा मम्मी और मेरी एक बहन रहती है.
मैंने इस घटना से पहले तक किसी लड़की की चूत नहीं मारी है. हर लड़के का यही एक सेक्सी सपना होता है कि उसे चूत चोदने का अवसर मिल जाए.
यह बात तब की है जब पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ था.
कुछ व्यापार छोड़ कर हर तरह का काम धंधा बंद पड़ा था.
उसी दौरान मेरी जिन्दगी में एक ऐसी खुशी आयी, जो हर लड़का चाहता है.
यह माँ मौसी सेक्स कहानी तभी की है.
लॉकडाउन के इस कठिन समय में चार लोगों का खर्चा चलाना बहुत मुश्किल हो रहा था.
हम सब किराए के मकान में रहते थे, उस मकान का किराया देना भी भारी पड़ रहा था.
इसी वजह से पापा ने सब्जी की रेहड़ी लगाना शुरू कर दी और बहन किसी तरह से मामा के यहां चली गयी थी.
उस दिन गर्मी बहुत थी. रात का समय था. मुझे नींद नहीं आ रही थी.
मैं कमरे से निकल ही रहा था कि तभी मेरी नज़र मेरी मां के ऊपर जा पड़ी.
गर्मी के कारण मां बड़ी बेचैन थीं और उनकी साड़ी उनके घुटने तक जा पहुंची थी.
उनकी चूचियों से पसीने से धार ऐसे निकल रही थी मानो उनके चूचों में समंदर भरा हो.
उस दिन मैंने मां को ध्यान से देखा.
मेरी मां की उम्र करीब 38 साल है. वो देखने में केवल 30 साल की लगती हैं और उनकी आंखों में देख कर लगता है कि वो एक प्यासी औरत हैं.
आप मेरी मां के बारे में जानकर हैरान हो गए होंगे कि उनकी उम्र इतनी कम कैसे है. दरअसल वो मेरी मौसी हैं.
चार साल पहले मां की मृत्यु हो गई थी और मेरे नाना जी ने अपनी आर्थिक तंगी के चलते मेरे पापा से मेरी मौसी की शादी कर दी थी.
अब मेरी मौसी ही हम दोनों भाई बहन की मां बनकर हमारे घर में आ गई थीं.
वो हम दोनों भाई बहन की सौतेली मां जरूर थीं लेकिन हम दोनों ने ही उन्हें अपनी मौसी के रूप में बहुत चाहा था, तो अब मां के रूप में भी उनके साथ अच्छी तरह से हिल मिल गए थे.
मौसी से मां बनकर उन्होंने भी हम दोनों को खूब प्यार देना शुरू कर दिया था.
तो उस रात मैं मां को देख रहा था और उनकी मदमस्त जवानी कमर पर मेरी निगाहों ने मेरे मन में अपने विचार बदल लिए थे.
उनके बदन से निकलते पसीने को देख कर मैं ये भूल रहा था कि वो मेरी मां हैं.
कुछ देर तक मैंने ये नजारा देखा फिर न जाने क्यों मन अशांत हो गया.
मुझे मेरी मां एक माल दिखाई देने लगीं.
कुछ देर सोचने के बाद मैं मां के पास जाकर सो गया.
अब मेरा लंड उनकी जवानी देख कर कच्छे से बाहर निकल कर उनकी कमर पर चलने के लिए बेकरार हो रहा था.
तभी मेरी मां ने करवट बदली और उनकी साड़ी थोड़ी और ऊपर हो गयी.
इससे मुझे उनकी गोरी जांघें दिखने लगीं. उनकी कदली सी जांघें देख कर मेरा मन उनकी चूत देखने का हो रहा था.
मैंने हिम्मत करके हाथ बढ़ाया और मां की साड़ी को ऊपर सरका कर उनके पेटीकोट के अन्दर हाथ डाल दिया.
हाथ अन्दर गया तो पाया कि मौसी माँ ने पैंटी नहीं पहनी थी क्योंकि मेरा हाथ उनकी चूत पर उगी झांटों के जंगल से जा टकराया था.
एक दो पल रुकने के बाद मैं मां की चूत पर उगे छोटे छोटे बालों में अपनी उंगली घुमाने लगा था.
तभी मेरी मां ने करवट ली और मैंने तुरन्त हाथ बाहर निकाल लिया.
मैं सोने का नाटक करने लगा.
कुछ देर बाद मैंने फिर से मां के पेटीकोट में हाथ डाल दिया और उनकी चूत में एक उंगली डाल कर उनके पास ही सो गया.
मेरी मां की चूत को टटोल कर मुझे ऐसा साफ़ लग रहा था कि वो बहुत दिन से किसी से चुदी नहीं थीं.
उनकी चूत में उंगली डाल कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
मैं अपने लंड को मौसी की चूत में पेलना चाहता था.
मेरे पापा पास में सो रहे थे, इस डर से हिम्मत नहीं हो रही थी.
तभी मैंने मां की चूत में दो उंगलियां डाल दीं. इससे मेरी मां को थोड़ा दर्द हुआ और उनकी आंखें खुल गईं.
मैं डर के मारे आंखें बन्द करके वैसे ही सोने का नाटक करने लगा.
अब मैं सो गया.
दूसरे दिन मैं रात होने के इंतजार में था.
उस दिन मैं देख कर दंग था कि मां बड़ी खुश दिखाई दे रही थीं.
मां ने नीले रंग की साड़ी पहनी थी.
मैंने सोचा कि शायद आज वो रात आ ही गयी है.
मैं खाना जल्दी खा कर सोने चला गया और सोने का नाटक करने लगा.
मेरी मां ने भी खाना खाया और वो भी मेरे बगल में सोने के लिए आ गईं.
करीब एक दो घंटे के बाद मैंने देखा मां और पापा पूरी तरह से नींद में थे.
मैंने बिना कुछ सोचे मां के पेटीकोट में हाथ डाल कर उनकी चूत में उंगली डाल दी.
दूसरे हाथ में मोबाइल से मां की चूत की फोटो लेने लगा और उनकी चूत में उंगली करने लगा.
मां ने कुछ भी नहीं कहा और न ही करवट बदली. वो चुपचाप अपनी चूत में मेरी उंगलियों का मजा लेती रहीं.
उस दिन मैंने दो बार मुठ मारी और मां की चूत का रस भी चख लिया.
अब मेरी ये आदत रोज़ की होने लगी.
मैं कभी उनको नहाते हुए देख कर मुठ मारता, तो कभी कपड़े धोते हुए उनकी चूचियों को निहारता.
मेरी मौसी मां भी मुझे अपनी प्यासी जवानी के जलवे दिखातीं.
मेरा लंड मेरी मां की चूत में जाने के लिए बेकरार हो गया था.
उस दिन 17 तारीख थी और पापा अस्पताल गए थे. दरअसल मेरी बुआ को कोरोना के संदिग्ध मरीजों ले जाया गया था.
मेरी बुआ अस्पताल में एडमिट थीं इसलिए पापा को उस रात बुआ के पास वहीं रहना था.
आज मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था.
मैं जल्दी जल्दी खाना खाकर रोज़ की तरह अपने बिस्तर पर जाकर सोने का नाटक करने लगा.
मेरी मां भी खाना खाकर और पूरा काम करके आ गईं.
वे मेरे बाजू में सो गईं.
रात को करीब मेरी आंख 2 बजे खुली.
मैंने मां को देखा तो उनकी साड़ी उनके ऊपर से पूरी तरह हट चुकी थी.
मैंने तुरन्त उनकी सेक्सी फिगर को कैमरे में ले लिया. अब अब मैंने अपने लंड को निकाल कर मां के हाथ में रख दिया और रगड़ने लगा.
एक ही मिनट में मेरा लंड लम्बा चौड़ा होकर मां चोदने के लिए तैयार था.
मैंने आसन सैट किया और मां के ऊपर चढ़ गया.
अपने लंड को मैंने मां की कमर पर रखा और उनके गुलाब जैसे होंठों पर अपने होंठ लगा दिए.
मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था. मैंने मां के पेटीकोट के ऊपर ही लंड हिला कर सारा माल गिरा दिया और लंड उनके हाथ में रख कर सोचने लगा कि मां की चूत कैसे लूँ.
यही सब सोचते सोचते कुछ मिनट में लंड पहले जैसा सख्त हो गया.
अब मुझे मां को चोदना था.
मैंने मां के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और धीरे धीरे उनके पेटीकोट को नीचे सरका कर निकालने लगा.
कुछ ही पलों बाद मेरी मौसी मां की गोरी चूत मेरी आंखों के सामने थी.
मैंने बिना कुछ सोचे चूत पर जीभ लगा दी.
मैं उनकी झांटों और चूत मुँह में ऐसे लेने लगा मानो मुझे अब किसी बात का डर ही नहीं रह गया था.
अब मैं पूरा गर्म हो गया था और मां की चूत में लंड डालने के लिए बेकरार था.
जैसे ही मैंने मां के पैर थोड़ा सा खोला, उनकी चूत का मुँह खुल गया और मैंने चूत पर लंड लगा दिया.
हल्का सा धक्का मारा ही था कि तभी मां की आंख खुल गयी और मैं लंड निकाल कर सोने का नाटक करने लगा.
मौसी मां समझ चुकी थीं कि उसका बेटा अब जवान हो चुका है.
सुबह हुई पापा आ गए थे और अपनी रेड़ी लेकर चले गए थे.
मां मेरे पास आकर बोलीं- उठ जा नाश्ता कर ले … और सुन, रात जो हुआ मैं किसी को नहीं बताऊंगी.
ये बात सुन कर मानो मुझे नया जीवन मिल गया.
मैं उठ गया और अपनी दिनचर्या खत्म करके मोबाइल चलाने लगा.
दोपहर के 2 बज रहे थे मां नहाने जा रही थीं.
रोज़ की तरह मैं आज भी उनकी चूत देखना चाहता था.
तभी मां ने आवाज देते हुए कहा- इधर आ और ये कपड़े छत पर डाल आ.
मैं छत पर कपड़े डाल कर आया तो देखा कि मां अपनी पूरी साड़ी पेटीकोट उतार कर नीचे रख कर बैठी थीं.
मुझे देख कर बोलीं- तेरे कपड़े भी गीले हो गए … मुझे दे दे … मैं ये भी धो देती हूँ.
मुझे मां के पास जाने का मौका मिला और मैंने अपनी टी-शर्ट और पैंट निकाल कर मां को दे दी.
मां को बिना कपड़ों के देख कर मेरा लंड इतना मोटा व लम्बा हो गया था कि क्या कहूँ.
तभी मां ने कहा- मेरी पीठ पर साबुन लगा दे.
मैंने साबुन लिया और उनकी गोरी देह पर साबुन लगा कर मलने लगा.
एक मिनट हुआ नहीं था कि मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना लंड भी कच्छे से बाहर निकाल दिया.
अब मेरे पास तीन हाथ थे, दो हाथ मां की चूचियों तक पहुंच रहे थे और एक उनकी चूत के रास्ते की तलाश में था.
कुछ मिनट साबुन लगवाने के बाद मां ने मुझसे पूछ लिया- बेटे, मां की चूत में ऐसा क्या है, जो तू अपने बाप से मार खाने के लिए तैयार है?
ये सुन कर मैं चुप हो गया.
मां वहां से नंगी ही उठ कर दरवाजे की कुंडी लगा कर मेरे पास आ गईं.
मैं बस उन्हें नगी देख रहा था और मेरा लंड एकदम तन्नाया हुआ हिल रहा था.
मां ने मेरे हाथ से साबुन ले लिया और मेरे लंड पर लगा कर उसे मसलने लगीं.
ये देख कर मैंने तुरन्त मां की चूचियों पर हाथ रख दिया और एक को मसलाते हुए उनको अपनी ओर खींच लिया.
मां ने भी कोई उज्र नहीं किया और वो मेरे सीने पर अपनी चूचियां गड़ा कर मुझसे चिपक गईं.
मैंने मां के होंठों पर अपने होंठों रख दिए और चूमने लगा.
मौसी मां भी साथ देने लगीं. उनके हाथ में अभी भी मेरा लंड था जिसे वो दबा रही थीं.
दो मिनट किस करने के बाद मां बोलीं- बस होंठ ही चूसेगा या और कुछ भी ये हाथ भर का डंडा क्या मुठ मारने के लिए ही रखा है?
मां के इतना बोलते ही मैंने नीचे बैठ कर उनकी चूत पर मुँह लगा दिया और मां ने भी पूरा साथ देना शुरू कर दिया.
मेरी सौतेली मां के मुँह से कामुक आवाजें आने लगीं- आह चोद दे बेटा … अहहा अहह!
फिर कुछ देर बाद मां ने मुझे उठा दिया और खुद घुटनों के बल बैठ कर बिना कुछ कहे मेरा लंड मुँह में ले लिया.
मैं आह आह करने लगा.
मेरी मां मेरे लंड को ऐसे चूसने लगीं, जैसे न जाने कितने सालों से प्यासी थीं.
अब मां ने बाथरूम में ही सीधी लेट कर अपनी चूत का दरवाजा खोल दिया.
मां की गोरी चूत पर काले बाल देख कर लंड ने अपने आप ही रास्ता खोज लिया.
लंड चूत का मिलन हो गया और ‘आह उन्ह …’ के बाद चूत अपनी गांड का सहारा लेकर लंड से लोहा लेने लगी.
मेरी मौसी मेरे मोटे और लम्बे लंड से पूरी चूत की शांति करवा रही थीं- अहह अहह अहह बेटे … और जोर से चोद दे … अहह साले फाड़ दे मेरी चूत को … अहह अह्ह्ह तेरी मां कब से नहीं चुदी … अहह अहह अहह बेटे इतना सुख तेरे पापा के लंड से कभी नहीं मिला … अहह मुझे पता होता मेरा बेटा इतनी मस्त चुदाई करता है तो उस रात ही चुद जाती … जिस रात तूने मेरी चूत में उंगली डाली थी … मेरे प्यार बेटा अब घोड़ी बना कर चोद दे अहह … तेरा लंड लोहे की तरह मेरी चूत में घर बना रहा है बेटा … अहह अहह अब से तू रोज़ मुझे चोदना अहह अहह आज से से मैं सिर्फ अपने बेटे के लंड से चुदूँगी … दुनिया की नज़र में तू मेरा बेटा है लेकिन आज से मैं तेरी रखैल रंडी बनना चाहती हूँ बेटा!
मैं चूत को भोसड़ा बनाते हुए कहने लगा- आह हां मां … आज से तू मेरी रंडी छिनाल रखैल मां है … और मैं तेरा चोदू हूँ मां … अहह अहह!
मां- आह तेजी से पेल बेटा … अहह तेरे बाप ने आखिरी बार मुझे एक साल पहले चोदा था. तब मुझे लगा था कि अब मेरी चूत का सहारा कौन बनेगा, मगर ऊपर वाले ने मेरी सुन ली … आह आज मेरा बेटा ही मेरी प्यास शांत कर रहा है … अहह अह्ह चोद मादरचोद.
मैंने कहा- हां साली रांड मां … अहह अहह रंडी … अपना मुँह खोल अहह साली छिनाल मुँह खोल भैन की लौड़ी … आह छिनाल अहह मुझे तेरे मुँह में लंड का पानी गिराना है.
‘आह गिरा दे बेटा … मैं अपने बेटे का लंड काट कर खा जाऊंगी.’
‘अहह ले मां अहह अहह अह्ह्ह अहह.’
करीब आधा घंटा तक मैंने अपनी मां को चोदा और हम दोनों तृप्त हो गए.
उसके बाद से मैं हर रात को अपनी मां को चोदता हूँ.
अब यह बात मेरे पापा को भी पता चल गई है लेकिन वो कुछ नहीं बोलते.
बल्कि वे खुद भी कभी कभी मेरे साथ मां की चुदाई में मेरा साथ देते हैं.
उनका कहना है कि मां को लंड की जरूरत थी और घर में ही लंड मिल गया है. मां किसी से बाहर चुदने जाती तो बदनामी होती.
अगली सेक्स कहानी में मैं अपनी मौसी मां और पापा की रियल चुदाई की कहानी लेकर आऊंगा.
आपको यह माँ मौसी सेक्स कहानी ऐसी लगी?