मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम प्रेम है. मैं XXXVASNA का नियमित पाठक हूं. ये मेरी पहली कहानी है मोसी की चुदाई की. पहले में अपने बारे मैं बता दूं मेरी लम्बाई छह फीट है, रंग गोरा है, उम्र चौबीस साल है मेरे लन्ड का साइज़ मेरी दस अंगुलियों को एक साथ रखने के बराबर है.
मुझे लड़कियों से ज्यादा आंटियों को चोदने में मजा ज्यादा आता है. ये कहानी है मेरी देहाती मोसी की चुदाई की! उसका नाम लता है, उसकी हाइट भी काफी अच्छी है. उसके बड़े बड़े बूब्स है. और मोसी की गान्ड का तो कहना ही क्या!
वैसे मैं राजस्थान का रहने वाला हूं परन्तु पोरबंदर गुजरात काम करता हूं.
मोसी की चुदाई की यह कहानी दो महीने पहले की है जब मैं गांव गया था. तो मोसी के घर गया. सर्दियों का मौसम था तो मोसी बाहर घर के आंगन में नंगी नहा रही थी जहां धूप आई हुई थी.
घर में और कोई नहीं था. उसके दोनों लड़के खेत में गए हुए थे.
मोसी को भी नहीं पता था कि मैं आ रहा हूं. और मैं सीधा अंदर आंगन में गया तो मुझे मोसी नंगी नहाती दिख गई.
अब जैसे ही मोसी ने मेरे को देखा- अरे रुक! मैं नहा रही हूं, इधर मत देखना.
तू वहीं खड़ा रह! मैं पांच मिनट में नहा लूंगी.
वैसे मैंने मोसी को देख लिया था. मुझे नंगी मोसी की गान्ड और एक साइड का बूब दिख गया था.
मैं- ठीक है. वैसे आज बाहर ही कैसे नहा रही हो?
मोसी- अरे अंदर सर्दी लग रही थी.
फिर मोसी बोली- अरे तू वहां कब तक खड़ा रहेगा. अंदर आ जा! देख, मेरी और मत देखना!
मैं- ठीक है.
अब मोसी नहा ली थी, बस कपड़े पहनने थे.
लेकिन मोसी कपड़े अंदर रूम में भूल गई थी तो नंगी मोसी कपड़े लेने जा नहीं सकती थी क्योंकि मैं रूम के बाहर ही बैठा था.
मोसी- अरे तू मेरे कपड़े ले आ!
जब मैं अंदर से कपड़े लेकर आ गया और देने गया. तब मोसी मेरी ओर मुड़ी. तो मैं देखता ही रह गया. मोसी की चूत; मोसी के बूब्स!
मोसी के स्तन लटक रहे थे और चूत पर एक भी बाल नहीं था.
जब मैं मोसी को कपड़े देने लगा तो मेरे को देख कर वे धीरे से मुस्कराने लगी. मैं भी मोसी की चूत देख कर मुस्कुराने लगा.
तो मोसी ने अपना हाथ अपनी चूत पर रखा और हंसने लगी.
मैं भी अपने लन्ड पर हाथ रख कर मसलने लगा.
तभी बाहर किसी की आवाज आई.
मोसी बोली- देखना ज़रा कि कौन है.
मैं बाहर आ गया और देखा कि जहां पर गाय भैंस बंधे रहते हैं. वहां पर उसका भैंसा खुल गया है.
तो मैंने मोसी को आवाज लगाई और बताया.
मोसी बोली- आ रही हूं.
मेरा लन्ड अभी भी खड़ा था.
जब मोसी बाहर आई तो मेरे लन्ड को देख कर मुस्कुराने लगी और बोली- क्या हुआ?
मैंने बोला- भैंसा खुल गया है.
मैं और मोसी आगे गए तो देखा कि भैंसा एक भैंस के पीछे खड़ा था और उसकी चूत चाट रहा था.
यह देख मोसी बोली- आज ये भैंस सुबह से ही बोल रही थी. भैंसे के लिए ये पाली में है.
तभी भैंसे ने भैंस पर चढ़ाई कर दी.
लेकिन भैंस साइड में हट गई तो उसका लन्ड बाहर ही लटकने लगा.
तभी मोसी बोली- ये ऐसे नहीं रुकेगी. तू इसको आगे से पकड़ ले.
तो मैंने पकड़ ली.
अब जब इस बार भैंसा चढ़ा तो पूरा लन्ड भैंस की चूत में डाल दिया. तो भैंस भी इधर उधर होने लगी.
लेकिन भैंसे की पकड़ मजबूत थी तो इधर उधर नहीं होने दिया.
तभी मोसी बोली- हाँ इस बार गया पूरा लौड़ा!
मैंने देखा कि भैंसे का लन्ड अभी भी लटक रहा था.
तभी मैंने मोसी की ओर देखा तो मोसी का एक हाथ अपनी चूत पर था. और वो उसे मसल रही थी.
अचानक भैंसा साइड में मोसी की ओर आने लगा.
तभी मैं बोला मजाक में- मोसी साइड में हट जा. नहीं तो आप पर चढ़ जाएगा.
मोसी- अब इसमें कहाँ दम है. ये तो अपना दम निकाल चुका. कोई दमदार हो, वही भिड़ सकता है मेरे से तो.
मैं- वो तो कहाँ से आयेगा?
तभी मोसी मेरे लन्ड की ओर देखकर मुस्कराने लगी. फिर बोली- लगता है दम नहीं है मेरे पर चढ़ने का?
मैं- अच्छा!
तभी मोसी भैंसे को अंदर बांधने चली गई. दो मिनट तक मोसी बाहर आई नहीं तो मैं अंदर गया तो देखा कि मोसी एक पैर साइड में रखकर अपनी चूत मसल रही है.
लेकिन मोसी का मुंह दूसरी साइड में था तो वो मेरे को देख नहीं पाई. मोसी की चूत चुदाई मांग रही थी.
मैं मोसी के पीछे खड़ा हो गया और एक हाथ उसके बूब्स पर ओर दूसरा उसकी चूत पर जो हाथ था उस पर!
तभी मोसी पीछे की ओर देखकर मुस्कराने लगी और बोली- मेरा भैंसा तैयार है.
मैं- हाँ!
मैं मोसी को जहां भैंसों का चारा होता है, वहां ले गया क्योंकि वहां कोई नहीं आता.
मैंने सबसे पहले जाते ही मैंने उसके ब्लाऊज को निकाल दिया. मोसी मेरे लन्ड को लोवर के ऊपर से ही मसल रही थी. मैंने मोसी के एक चूचे को मुंह लिया और चूसने लगा.
तो मौसी आह आह … करने लगी.
फिर मैंने उसका पेटीकोट भी उतार दिया. मोसी ने अंदर अंडरवियर भी नहीं पहना था तो मोसी पूरी नंगी हो गई.
उसके बाद मैंने वहां पड़े एक प्लास्टिक की तिरपाल को नीचे बिछा दिया और उस पर नंगी मोसी को लेटा दिया. मैंने उसके दोनों पैरों को फैला दिया और उसकी चूत के दाने को मुंह में लेकर चूसने लगा.
तो मोसी छटपटाने लगी, बोली- ये क्या कर रहे हो?
तो मैं बोला- जो भैंसा भैंस के साथ कर रहा था … वही.
फिर मैं मोसी के ऊपर चढ़ गया और अपना लौड़ा उसके बूब्स के बीच में दे दिया.
तब मैंने मोसी को बोला- अपने बूब्स को लन्ड से सटा दे.
उसने वहीं किया.
और मैंने लौड़े को आगे पीछे करना शुरू कर दिया. अभी मोसी आह आह कर रही थी और मोसी का मुख खुला हुआ था.
तो मैंने लौड़े को ज्यादा ही आगे कर दिया और लौड़े का सुपारा मोसी के मुंह में चला गया.
मोसी अचानक हुई इस हरकत से हैरान रह गई. उसने मुझे हाथ से इशारा किया कि इसको बाहर निकाल ले.
तभी मैं बोला- थोड़ी सी देर बस!
मैं लौड़े को आगे पीछे करने लगा और आधे से ज्यादा लन्ड मोसी के मुंह में डाल दिया.
अब उसको भी सांस लेने में दिक्कत होने लगी. तो मैंने बाहर निकाल लिया.
मैंने उसको बोला- भैंस बन जा!
तो वो घोड़ी बन गई.
मैं उसके पीछे से भैंसे की तरह मोसी की चूत चाटने लगा. तो मोसी अपनी चूत पीछे की ओर करने लगी. मैंने अपनी जीभ उसके चूत में डाल दी और चाटने लगा.
उसके बाद उसी पोजिशन में साइड में आकर उनके बूब्स चूसने लगा. फिर वापस पीछे से उसकी चूत चाट रहा था और अपने लौड़े को भी गीला कर लिया.
फिर मैं भैंसे की तरह उसके ऊपर चढ़ गया. मोसी ने शायद उम्मीद नहीं की थी.
और मेरा लौड़ा सीधा मोसी की चूत के अन्दर घुस गया.
जिससे मोसी की आह निकल गई, बोली- ऐसे तो भैंसे ने भी नहीं डाला था रे!
फिर मैं मोसी की दबा कर चुदाई करने लगा. लगभग दस मिनट में मोसी दो बार झड़ गई थी और मैं अभी भी लगा था.
मोसी बोली- अब उतर जा. मैं थक गई हूं.
तो मैं बोला- कि भैंस की फट गई.
तो बोली- तू भैंसे से भी बुरा है.
चार पांच झटकों के बाद मैं मोसी की चूत में ही झड़ गया.
उसके बाद हमने कपड़े पहन लिए.
तब के बाद से जब भी हमें मौक़ा मिलता है, मैं मोसी की चुदाई जरूर करता हूं.