यह कहानी कुछ दिन पहले की है, उस वक्त मैं पटना में जॉब कर रहा था. इसी के चलते मैं उधर एक रूम लेकर किराये पर रह रहा था. साधारणतया मैं इतना ज्यादा किसी आस पड़ोस वालों से मतलब नहीं रखता था. बस अपने काम पे जाता और आकर रूम में ही बना रहता था.
एक दिन मैं रूम से बाहर निकला तो देखा कि एक 35-36 साल की भाभी टाइप की मस्त औरत बगल वाली छत पर कपड़े सुखाने के लिए उन्हें पसारने आयी है. वो मुझे कनखियों से दबी नजर से ताड़ रही है.
मैं जब भी उसकी ओर देखता, तो वो नजर घुमा लेती थी. खैर वो दिन ऐसे ही निकल गया, लेकिन ना चाहते हुए भी दिल में हलचल सी होने लगी.
अब मैं भी सुबह उसी टाइम पर बाहर निकलने लगा था. कभी मैं उन्हें देख पाता, तो कभी नहीं.
खैर कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा. इस तरह की ताड़ने की हरकतों से मेरा समय पास होने लगा. उनकी छत भी जस्ट मेरे रूम के सामने ही थी.
लेकिन अब मैं एक एक बदलाव महसूस करने लगा कि अब जब भी वह बाहर आती हैं और मुझे बाहर नहीं पातीं, तो हल्का किसी बहाने से आवाज कर देतीं, जिससे मुझे पता चल जाता कि वह बाहर आ गई हैं. उनकी आवाज पर जब मैं बाहर आता, तो वह हल्की सी मुस्कान दे देतीं और रिटर्न में मैं भी उन्हें हल्का सा मुस्कान दे देता. यह सब यूं ही कुछ दिनों तक चलता रहा.
एक दिन शाम को मैं कुछ सामान लेने पास की दुकान दुकान पर गया, तो मैंने उधर उनको भी देखा. उन्होंने मुझे देख कर एक हल्की सी मुस्कान पास की. मैं भी यूं ही मुस्कुरा दिया. मुझे दुकान से कुछ ज्यादा सामान लेना नहीं था, इसीलिए मैंने अपना सामान लिया और वापस आने लगा.
भाभी ने मुझे रोका और कहा कि मेरे पास ज्यादा सामान है, प्लीज आप मेरी हेल्प कर देंगे.
मैं भी यही चाह रहा था. उससे बात करने की मौका मुझे मिल गया. मैंने कहा- हां जी जरूर मैं आपकी हेल्प कर दूंगा.
मैं उनका सामान लेकर उनके घर की ओर आने लगा.
रास्ते में हमारे बीच बातें होती रहीं. उन्होंने मेरा नाम पूछा, तो मैंने अपना नाम बताया कि मेरा नाम विकी है.. आपका?
उन्होंने अपना नाम प्रीति कहा.
मैंने उनसे पूछा कि आपके हस्बैंड क्या करते हैं.
भाभी ने कहा कि वे एक कंपनी में एरिया सेल्स मैनेजर हैं.
मैंने उनके बच्चे के बारे में पूछा तो उन्होंने बोला कि मेरे दो बच्चे हैं.. और दोनों बच्चे अभी अपने नानी के घर गए हुए हैं.
जब भाभी ने कहा कि उनके दोनों बच्चे अपनी नानी के यहाँ गए हैं तो मुझे लगा कि भाभी की इस बात में कुछ झोल है. इसी तरह बात करते करते मैं उनके घर तक पहुँच गया. मैं सामान रख कर जाने लगा कि तभी पीछे से आवाज आई कि रुको न.. चाय पीकर जाना.
जो मैं सोच रहा था, ये उससे ज्यादा हो रहा था. मैंने कहा- ठीक है.
मैं घर के अन्दर आ कर सोफे पर बैठ गया. थोड़ी देर में वो चाय लेकर आईं.. और मेरे सामने सोफे पर बैठ गईं.
धीरे-धीरे मैंने उनसे पूछा कि आपके हस्बैंड महीने में कितने दिन बाहर रहते हैं?
तो उन्होंने उदास होते हुए बताया कि लगभग बीस दिन बाहर रहते हैं.
मुझे लगा कि अब मेरा काम बन सकता है. मैंने कहा कि फिर आपका मन कैसे लगता है?
तो उन्होंने कहा कि किसी तरह मन मार के बर्दाश्त कर लेती हूँ.
इसके बाद उन्होंने मुझसे मेरे काम के बारे में पूछा. मैंने बताया जिस पर उन्होंने अचानक ही धर पूछा कि आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने समझ लिया कि गाड़ी पटरी पर आने की कोशिश कर रही है और अगले ही पल मैंने शर्माने का ड्रामा करते हुए कह दिया- जी.. नहीं है.
भाभी तनिक खुश सी हुईं, उन्होंने थोड़ी सी गहरी सांस ली और कहा- मुझे विश्वास नहीं है कि आपके जैसे हैंडसम को कोई गर्लफ्रेंड नहीं मिली.
इस तरह से धीरे धीरे बात को सेक्स की दिशा में घुमा दिया और कहने लगीं कि कोई बात नहीं.. जल्द ही आपके उसको वो मिल जाएगी.
मैंने कहा किसको क्या मिल जाएगी भाभी?
तो वो मुस्कुराते हुए बोलीं- अब इतने भोले भी न बनो.
मैं समझ गया कि भाभी मेरे लंड के लिए चूत मिलने की बात कह रही हैं.
मैंने कहा- पता नहीं कब मिलेगी जी.
भाभी ने झुकते हुए अपने मम्मे दिखाए और बोलीं- बड़ी जल्दी मची है.. मिल जाएगी.. कहा तो है.
अब हम दोनों की खुल कर लम्बी बात होने लगी. धीरे धीरे धीरे बात कुछ ऐसी बनी कि मैं उनकी सेक्स लाइफ में पूछने लगा. जब मैंने भाभी से उनकी सेक्स लाइफ के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि कुछ नहीं महीनों हो जाते हैं.. मुझे इनका प्यार ही नहीं मिलता है.
भाभी उदास हो गईं, उन्होंने अपना चेहरा नीचे कर लिया. मैंने सोचा कि सही मौका है, माहौल भी अच्छा है, मैं उनके पास को जाते हुए कहा- कोई बात नहीं.. मैं हूँ ना मैं आपका ख्याल रख सकता हूँ. आप दुखी मत हो.
मेरा लंड फूलने लगा था. मैं लंड को किसी तरह नीचे छुपा के उनके सामने बैठ गया और बातें करने लगा.
वह तो जैसे मेरी इसी बात का इन्तजार कर रही थीं और लगभग राजी ही थीं. उन्होंने मेरी तरफ देखा तो मैंने उनके होंठों पर चुम्बन धर दिया. भाभी ने मुझे सहयोग दिया और बस इसके बाद हम दोनों में चूमाचाटी होने लगी, लंबी किसबाजी चलने लगी.
हम दोनों में चुदास भड़क गई थी. भाभी भी चुदाई के मोड में आ गई थीं.
फिर उन्होंने कहा- रुको.. मैं गेट को अच्छे से बंद करके आती हूं.. और आज रात तुम यहीं रुकोगे, सुबह छत के रास्ते से ही अपने कमरे में चले जाना.
मैंने लंड सहलाते हुए कहा- ठीक है.
वे मेरे खड़े होते लंड को देखते हुए गेट बंद करने चली गईं. एक मिनट से भी कम समय में भाभी दरवाजा बंद करके आ गईं. फिर हम दोनों चालू हो गए. मैं उन्हें बेतहाशा किस करने लगा. इसी दरमियान हम दोनों के कपड़े कब निकल गए, कुछ पता ही नहीं चला.
उसके बाद भाभी ने मेरे लंड को सहलाते हुए कहा कि सब कुछ नहीं पर करोगे कि मुझे रूम में ले जाओगे.
मैंने उन्हें अपनी गोद में उठाया और उनके बेडरूम में ले आया. उसके बाद मैं उन्हें बेड पर लिटा कर उनके नंगे बदन पर किस करने लगा. उनकी चूचियों को दबाने लगा, जोर जोर से चूची मसलने लगा. वे भी मस्त होकर मुझसे अपने शरीर की मस्ती साझा कर रही थीं. मेरा हाथ उनकी एक चूची को दबाता चला गया और दूसरा हाथ उनकी पानी छोड़ती बुर पर चला गया. भाभी एकदम गरमा गई थीं और कामुक आहें भर रही थीं. उन्होंने मुझे फंसा लिया था और अब वे चित लेट कर अपनी हवस शांत करवाने का मजा ले रही थीं.
मैं चूची को चूसने लगा, फिर धीरे-धीरे उनके बदन पर किस करते हुए नीचे आने लगा. भाभी बेतहाशा आवाज निकाल रही थीं और मुझे कह रही थीं- आह.. और जोर से चूसो.. और जोर से.
दस मिनट तक चूची चूसने के बाद मैं अब उनकी बुर पर आ गया. भाभी की बुर पर होंठ लगा दिए और जीभ से चूत को चूसने लगा. भाभी की मस्ती बढ़ गई और उन्होंने अपनी टांगें खोल कर अपनी चूत चटाई का सुख लेना आरम्भ कर दिया. वे धीरे-धीरे मेरे सर पे हाथ घुमाने लगीं और मैं अपनी जीभ से उनका बुर चोदन करने लगा. करीब दस मिनट मुखचोदन करने के बाद वह तेज आवाज के साथ मेरे मुँह में ही झड़ गईं और मैं सारा रस पी गया.
वाह क्या आनन्द था.. भाभी का रस मुझे बहुत अच्छा लगा.. और उन्हें भी अपना माल पिलाना अच्छा लगा.
उसके बाद उन्होंने मेरा सर उठाया और एक लंबा किस करते हुए कहा कि मैं धन्य हो गई, आज तक किसी ने मेरी बुर नहीं चाटी थी. भाभी मुझे चूत चाटने के लिए बहुत धन्यवाद देने लगीं. फिर मुझे ऊपर खींच कर मेरे होंठों पर किस करके खुद अपनी बुर के रस का स्वाद लेने लगीं.
उन्होंने कहा- हनी, मुझे बहुत आग लगी है, पहले एक बार कर लेते हैं. उसके बाद खाना बना कर फिर रात भर मैं तुम्हारे लिए ही हूँ.
इस तरह किस करते करते उन्होंने फिर से मुझे और अपने आपको गर्म कर दिया. इस बार उन्होंने मेरा कुछ देर के लिए लंड भी चूसा, मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन मैं उनके साथ कुछ भी जबरदस्ती नहीं करना चाहता था. हर काम उन्हीं की मर्जी से करना चाहता था.
अब उन्होंने कहा कि अब पहले इसे अन्दर डाल दो.
मैंने एक बार और जीभ से भाभी की चूत को चाट कर थोड़ा गीला किया और अपना लंड धीरे धीरे उसके घुसा दिया.
जिस वक्त लंड घुसा रहा था, तो भाभी के चेहरे पर दर्द की रेखाएं साफ़ दिख रही थीं. मैंने महसूस किया कि उनकी चुत अभी भी टाइट ही थी. मेरे मोटे लंड के कारण उन्हें दर्द हो रहा था, उनकी आंखों में आंसू आने लगे थे.
उनके मुँह से निकला बहुत मोटा है.. दर्द हो रहा है.
मैं आपको यह बताना भूल ही गया कि मेरा लंड 7 इंच लंबा और 3.5 इंच मोटा है. लंड मोटा ज्यादा होने की वजह से दर्द ज्यादा हो रहा था, मैंने इशारे से लंड निकालने का पूछा तो भाभी ने मेरी कलाई पकड़ ली और उन्होंने कहा- दर्द की चिंता मत करो.. तुम अन्दर डालो.
मैं समझ गया कि भाभी लंड का पूरा मज़ा लेने के मूड में हैं.
मैंने इस बार कसकर धक्का मारा और उनके मुँह से एक दर्द भरी आवाज निकली. एक पल बाद ही आंखों में दर्द मिश्रित संतुष्टि का भाव था.
मैं थोड़ा रुक गया और उनकी चूची टूंगने लगा. चूची के चूसने से उनको लज्जत मिली.
उसके थोड़ी देर बाद वह खुद गांड हिलाते हुए कहने लगी- अब चालू करो.
बस फिर क्या था. मैं ताबड़तोड़ चुदाई के मूड में आ गया. मैंने शुरुआत के दो चार धीरे धक्के मारे, इसके बाद एक जोर का धक्का मार दिया. उनके मुँह से चीख निकल गई.
इस तरह कई बार हुआ.. मुझे भाभी की चीख सुनकर बहुत अच्छा लग रहा था, मैं इसी तरीके से भाभी की चुदाई करने लगा, इसी तरह मैं कभी धीरे कभी उनकी चूत में अपना लंड पेलता रहा.
भाभी को लंड का खूब मजा आ रहा था. अब वो सामान्य हो गई थीं और खुद भी गांड उठा कर लंड को अन्दर तक लेकर चूत का भोसड़ा बनवाने की कोशिश करतीं.
इसी तरह करीब बीस मिनट चोदने के बाद उन्होंने तेज स्वर में अकड़कर कहा- आह.. और जोर से करो.. मैं आ रही हूँ. जबकि मुझे लगता था कि इस बीस मिनट में वह दो तीन बार झड़ चुकी थीं.
भाभी की तेजी से मुझे भी लगा कि अब मैं भी झड़ने वाला हूं. मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा और वे भी जोर से बोलती गईं कि और जोर से..
मैं कोई मशीन बन गया और ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा. हर धक्के में उनके मुँह से आवाज निकलने लगीं. मुझे उनकी गरम आवाज सुनकर बहुत मजा आने लगा. बीच बीच में उनकी एक चूची को भी जोर से मसल दे रहा था.. कभी कभी उनको किस भी कर लिया करता था.
फिर मैंने उनकी बुर से लंड को निकाल लिया. भाभी शेरनी सी बिफर उठीं. तभी मैंने उनको उठाया और अपने ऊपर कर लिया.
मेरे से हाइट में छोटी होने की वजह से भाभी आसानी से मेरे ऊपर आ गईं और लगभग झपट कर लंड को अपनी चूत में फिट कर लिया. अब भाभी किसी बच्चे की तरह मेरे लंड पर खेलने लगीं. मैं नीचे से चूतड़ों को उठा उठा कर उनकी चुत की चुदाई जोर जोर से करने लगा. वे पूरे जोश में मादक आवाज निकाल रही थीं. उनकी तेज आवाज से ऐसा लग रहा था कि पूरे मोहल्ले के लोगों को बुला लेंगी. वे झड़ने वाली थीं, मेरा भी निकलने वाला था.
मैंने पूछा- भाभी मैं भी आने वाला हूँ, कहां निकालूं.
उन्होंने हांफते हुए कहा- अन्दर ही निकाल लो.. कुछ नहीं होगा.
इस तरह काफी लम्बी चुत चुदाई के बाद भाभी फिर से भलभला कर झड़ गईं. इस बार मैं भी उनकी बुर में ही झड़ गया. हम दोनों स्खलन का मजा लेते रहे. इसके बाद उन्होंने मुझे लंबा किस किया और मुझे धन्यवाद बोला.
कुछ देर बाद मैंने अपना लंड उनकी चुत से निकाला. भाभी की पूरी चुत पानी से भरी हुई थी. लंड निकालने के साथ ही पानी गिरने लगा.
वह बहुत खुश लग रही थीं. उन्होंने कहा कि अब मैं तुम्हारी हूँ, तुम जब चाहो तब मुझे चोद सकते हो.
मैं उनको अपनी बांहों में भर कर चूमने लगा. उन्होंने मुझसे कहा- मुझे बाथरूम ले चलो मुझे दर्द हो रहा है.
मैं उन्हें गोद में उठाकर बाथरुम ले गया और खड़ा कर दिया, लेकिन दर्द की वजह से भाभी खड़ी भी नहीं हो पा रही थीं. मैंने उन्हें सहारा दिया और वह खड़ी होकर ही मूतने लगीं. इतने में मुझे छेड़खानी करने का आइडिया आया और मैं उनकी बुर में उंगली करने लगा. जिससे उनका मूत उनकी बुर से छिछलने लगा और उन्हें इसमें आनन्द आने लगा.
एक बार और उनकी बाथरूम में ही जोरदार चुत चुदाई शुरू हो गई.
चुदाई के बाद स्नान हुआ और भाभी बोलीं- चलो अब कुछ खा लेते हैं. इसके बाद आज तुम मुझे रात भर चोदना.
इस तरह मैंने रात भर उनकी चार बार चुत चुदाई की और सुबह अपने कमरे में आकर थकान से चूर होकर सो गया.
भाभी संग चुत चुदाई का तो अब रूटीन ही बन गया था. महीने में दस से पंद्रह दिन उनकी चुत चुदाई करता. मेरी लाइफ इसी तरह चलती रही. इसके बाद उन्होंने मुझसे अपनी दो और सहेलियों को चुत चुदवाने का सुख दिलाया. उसका जिक्र अगली कहानी में करूँगा.
दोस्तो, कैसी लगी मेरी चुदाई की कहानी. आपको कृपया मुझे मेल कीजिएगा, पढ़ने के लिए धन्यवाद.