maa hai ya randi आप सभी अन्तर्वासना के पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार. मेरा नाम सोनू है. मैं कानपुर का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 22 साल की है.
चूंकि मेरे पापा हार्ट के मरीज़ थे और एक बार छोटा सा अटैक आ भी चुका था.. इसलिए मुझे एक साल पहले ही अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ कर कानपुर आना पड़ा ताकि मैं पापा का बिजनेस सीख सकूँ. पापा का रियल एस्टेट का बिजनेस है.
अभी 6 महीने पहले पापा को दूसरा अटैक आया, जिसमें उनकी डेथ हो गई. तब से मैं यहाँ कानपुर में ही पापा का बिजनेस संभालता हूँ. अब मेरे घर में सिर्फ मैं, मेरी मॉम और बड़ी बहन रहती हैं.
मेरी मॉम का नाम रुचिका है. वो एक कॉलेज में प्रिंसिपल हैं. उनकी उम्र 44 साल है. चूंकि उनकी शादी कम उम्र में ही हो गई थी. इसी लिए मॉम आज भी एकदम जवान दिखती हैं. ना चेहरे पे झुर्रियां.. ना लटका हुआ बदन.. वे अब भी हसीन तरीन दिखती हैं. मॉम शुरू से ही फिटनेस कॉन्शियस भी रही हैं. वे सुबह सुबह योग करती हैं खाना पीना भी प्रॉपर फ़ूड डाइट ही लेना उनकी आदत में है. मॉम को बन संवर कर रहना भी बहुत पसंद है.
मॉम वैसी दिखती हैं, जैसे बिल्कुल मेरी दीदी हैं. दीदी भी मॉम का जीरोक्स कॉपी हैं. वही नाक नक्शा.. वही कद काठी.. पर दीदी की दो चीज़ें मॉम से अलग हैं. दीदी मॉम से काफी लम्बी हैं और उनके चूचे और चूतड़ मॉम से काफी बड़े हैं. जिसकी वजह से दीदी मॉम से ज्यादा आकर्षक दिखती हैं. मेरी दीदी का नाम रागिनी है, उनकी उम्र 26 साल है. दीदी भी उसी कॉलेज में टीचर हैं, जहाँ मॉम प्रिंसिपल हैं. दीदी की शादी हो चुकी थी लेकिन तीन साल पहले उनका डाइवोर्स हो गया था, तब से वो भी यहीं कानपुर में ही हमारे साथ रहती हैं.
बात एक साल पहले की है.. तब मेरे पापा जीवित थे. जब मैं अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ कर मुंबई से वापस कानपुर आ रहा था. उस वक़्त मुझे भी इस बात का पता नहीं था कि यही मेरा पढ़ाई का आखरी साल है. मैं अब दोबारा कॉलेज नहीं आ सकूंगा. सेकंड ईयर की छुट्टियों में मैं घर वापस जाने के लिए बहुत खुश था.. क्योंकि मैंने अपनी पढ़ाई घर से हमेशा दूर रह कर की है.. तो घर की सुख सुविधाओं से वंचित रहा हूँ. इसी वजह से मैं फैमिली के साथ रहने की सोच कर घर वापसी के वक्त ज्यादा खुश था.
मैंने अपने सेकंड ईयर का लास्ट पेपर दिया और दूसरे दिन ट्रेन पकड़ कर दूसरे दिन कानपुर स्टेशन पहुँच गया. मैंने घर में किसी को अपने आने की खबर नहीं दी थी. मैं सबको सरप्राइज देना चाहता था. मैंने स्टेशन से टैक्सी पिक की और सीधा अपने घर की ओर चल पड़ा. जैसे जैसे घर करीब आ रहा था, मेरी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी.. क्योंकि मैं पूरे 2 साल बाद घर जा रहा था.
पूरे रास्ते मैं यही सोचता रहा कि मॉम को कैसे सरप्राइज दूंगा, दीदी को कैसे सरप्राइज दूंगा.. वगैरह वगैरह.
करीब पन्द्रह मिनट में टैक्सी मेरे घर के सामने पहुंच गई. घर के आस पास का वातावरण बहुत शांत था. अभी सुबह के साढ़े सात हो रहे थे. मैं घर के मेन गेट से होता हुआ घर में अन्दर की ओर बढ़ने लगा. तभी अचानक मुझे ख्याल आया कि मेन डोर से जाऊंगा तो मॉम को पता चल जाएगा और सारा सरप्राइज बेकार हो जाएगा.. सो मैं पीछे के दरवाज़े से सीधा मॉम के कमरे में ही जाके मॉम को सरप्राइज देता हूँ. यही सोच कर मैंने अपना रास्ता पिछले दरवाज़े की ओर बदल दिया और मैं दबे पांव पिछले दरवाज़े की ओर बढ़ने लगा. किचन के पीछे का दरवाज़ा जो बैकयार्ड में खुलता है, अक्सर खुला रहता है. मैं उस दरवाज़े से होते हुए किचन में दाखिल हो गया. किचन में नाश्ते की अच्छी सुगंध आ रही थी, जैसे कि अभी अभी नाश्ता बना हो. भूख तो मुझे तेज़ लग रही थी, पर पहले मैं मॉम से मिलना चाह रहा था.
मैं सीधा दबे पांव लिविंग रूम की तरफ बढ़ने लगा. किचन का डोर डायनिंग में खुलता है, डायनिंग ओर लिविंग अटैच है. जैसे जैसे मैं डाइनिंग रूम के करीब होने लगा, मुझे कुछ अजीब सी आवाज़ें सुनाई देने लगीं. आवाज़ कुछ साफ नहीं थी तो मैं समझ नहीं पा रहा था.
आवाज़ डाइनिंग रूम की तरफ से आ रही थी. मैं समझ गया कि डाइनिंग में कोई है. मैं सतर्क हो गया कि कोई मुझे देख ना ले. अब मैं बहुत ख़ामोशी के साथ किचन के दरवाज़े के पास पहुंचा और बाहर डाइनिंग में कौन है, ये देखने के लिए मैं दरवाज़े की दरार से डाइनिंग रूम में झाँकने लगा. जैसे ही मैंने अपनी आँख दरवाज़े की दरार से लगाई, डाइनिंग रूम का नज़ारा देख कर मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए. मुझे ऐसा लगा मेरे नीचे से किसी ने धरती छीन ली हो.. मेरा दिमाग एकदम सुन्न हो गया था. न मैं कुछ सोच पा रहा था, न समझ पा रहा था. मैं कुछ देर इसी अवस्था में खड़ा रहा.
मैंने जैसे तैसे अपने आप को संभाला और दोबारा अपनी आंख किवाड़ की दरार से लगा कर अन्दर का नज़ारा देखने लगा. लिविंग रूम के अन्दर वो घिनौना खेल चल रहा था, जिसकी कल्पना मैंने कभी सपने में भी नहीं की थी.
अन्दर मेरी मॉम बिल्कुल सजी धजी थीं. जैसा कि वो हमेशा कॉलेज जाने के लिए तैयार होती हैं. चेहरे पे मेकअप.. अपना नंबर वाला चश्मा लगाए हुए.. खुले हुए बाल.. हल्के नीले रंग की साड़ी पहने हुए.. डाइनिंग टेबल के करीब खड़े होकर किसी मर्द से ऐसे लिपटी हुई थीं, जैसे दो सांप आपस में लिपटे रहते हैं. वो आदमी एक हाथ से मॉम का सर पकड़ कर मॉम के होंठों को अपने मुँह में भर कर चूस रहा था.. और दूसरे हाथ से मॉम के चूतड़ मसल रहा था. मॉम भी पूरी तरह से उस आदमी का साथ दे रही थीं. वो कभी उस आदमी के बालों को कस के पकड़ लेतीं, तो कभी उसकी कमीज के अन्दर हाथ डाल कर उसकी पीठ को किसी बिल्ली की तरह नोंच रही थीं.
मुझे अभी भी अपनी आँखों पे यकीन नहीं हो रहा था कि ये सब वास्तव में मेरी आँखों के सामने हो रहा है. मैं उस आदमी को पहचान नहीं पा रहा था क्योंकि उसकी पीठ किचन के दरवाज़े की ओर थी.. यानि मेरी तरफ जहाँ खड़ा होकर अपनी मॉम और उस आदमी का ये वासना भरा खेल देख रहा था. उसके कद काठी से वो पापा तो नहीं लग रहे थे और दूसरा कोई मर्द हमारे घर में था नहीं. तो मुझे उस आदमी को पहचानने में बहुत दिक्कत हो रही थी.
मैं उस आदमी के बारे में सोचना चाह रहा था, पर सोच नहीं पा रहा था. कोई चेहरा मेरे सामने नहीं आ पा रहा था. मैं उसे पहचानने की कोशिश में ही लगा हुआ था तभी मेरे कानों में मेरी मॉम की आह सुनाई दी और मैंने दोबारा लिविंग की तरफ अपना ध्यान एकत्रित कर दिया. अभी भी वो आदमी मॉम को किस कर रहा था और मॉम भी उसे किस कर रही थीं. पर अब उस आदमी का हाथ मॉम की गांड पर नहीं था बल्कि उसने अपने हाथ से मॉम के बड़े बड़े चुचों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबोच रखा था.
तभी मॉम की चीख निकली- आआह.. धीरे.. दर्द होता है..!
तब उस आदमी ने अपनी पकड़ को थोड़ा ढीली कर दी और आराम आराम से मॉम के चुचों को मसलने लगा. अपने चुचों के मसलने से मॉम एकदम मस्ती से भर उठीं और ज़ोर ज़ोर से सीत्कारने लगीं- आाह.. आाह.. ओह.. हाँ ऐसे ही.. थोड़ा ओर ज़ोर से.. ओह.. निचोड़ डाल मेरे चुचों को नवीन.. ऊऊह..
ये सुन कर मेरे होश उड़ गए.. वो आदमी पापा तो बिल्कुल नहीं था.. बल्कि कोई और नहीं हमारे पुराने नौकर रामू काका का बेटा नवीन था.
रामू काका की उम्र ज्यादा हो गई है.. अब वो काम नहीं कर सकते हैं. तो मॉम ने उनके बेटे को नौकरी पर रख लिया था. मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था कि मेरी मॉम अपने घर के नौकर के साथ ऐसा घिनौना काम करती हैं. मैं यहाँ इस सोच में डूबा हुआ था, वहां नवीन मॉम को चूसने चाटने में व्यस्त था.
मैं चुपचाप खड़ा ये सब देखता रहा. अब नवीन मॉम के ब्लाउज़ का हुक खोलने की कोशिश कर रहा था. तभी मॉम ने नवीन का हाथ पकड़ लिया.
मॉम- नहीं नवीन ब्लाऊज़ मत निकाल.. स्कूल के लिए लेट हो जाएगा. अभी ऊपर से ही कर ले.
नवीन ने एक आज्ञाकारी नौकर की तरह हाँ में सर हिला कर कहा- जी मालकिन.
ये कह कर वो मॉम के चुचों को ब्लाउज़ के ऊपर से ही मसलने लगा. मॉम मस्ती से बिल्कुल भर उठी थीं. मॉम के मुँह से निकल रहा था- ओह नवीन.. ओह..
वो सीत्कारने के साथ ही पैंट के ऊपर से ही नवीन के लंड को मसल रही थीं.
तभी मॉम ने कहा- रुको नवीन.
मॉम ने अपने हाथ से अपने ब्लाउज़ का नीचे का हिस्सा ब्रा के साथ पकड़ कर ब्लाउज़ को आगे की तरफ से ऊपर उठा दिया.. जिससे मॉम के बड़े बड़े चुचे टपक करके नीचे से दिखने लगे.
मॉम- ये ले नवीन चूस ले.. जितना चूसना है.
यह कहकर मॉम ने अपना एक दूध का थन पकड़ कर और एक हाथ से नवीन का सर पकड़ कर अपना चूचा उसके मुँह में ठूंस दिया और जैसे ही नवीन ने मॉम का निप्पल चूसना शुरू किया, मॉम “आह..” करके सीत्कारने लगीं.
नवीन भी मॉम के निप्पल को मुँह में भर के कस कस कर चूसने लगा. मॉम मस्ती से एकदम सिहर उठीं. मॉम का ये रूप मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. उनकी मदमस्त जवानी को देखकर एक पल के लिए तो मैं भी भूल गया था कि ये मेरी मॉम हैं.. क्या चूचे थे यार..
मैंने मॉम के चूचे पहली बार देखे थे. बड़े बड़े.. एकदम दूध से सफ़ेद सफ़ेद.. और उन सफ़ेद रंग के चुचों पर लाल रंग के कड़क निप्पल.. उफ्फफ्फ्फ़.. मेरा लंड मेरी पैंट में ही खड़ा हो गया था.
मैं वहीं खड़ा खड़ा अपने लंड को सहलाने लगा. मुझे नवीन की किस्मत से जलन होने लगी थी कि इतनी मस्त परी जैसी जवानी को एक देहाती नौकर चूस रहा है. यहाँ मैं खड़ा खड़ा अपने लंड को हिला रहा था, वहां नवीन मेरी मॉम के चुचों को बकरी के बच्चे की तरह खींच खींच कर चूस रहा था.
मॉम भी मदमस्त होकर नवीन का सर पकड़े हुए अपने चुचे नवीन के मुँह में ठूँसे जा रही थीं.
नवीन मेरी मॉम का कभी एक चूचा मसलता तो दूसरा चूसता.. तो कभी दूसरा मसलता तो पहला चूसता और मॉम आँखें मूंदें चूची चुसाई का मज़ा ले रही थीं.
तभी नवीन ने अपने एक हाथ से मॉम की साड़ी आगे से पकड़ ली.. और आहिस्ता आहिस्ता मॉम की साड़ी को ऊपर की ओर उठाने लगा.. उसने अपना हाथ साड़ी के अन्दर डाल कर मॉम की चूत पे रख दिया. जैसे ही नवीन ने मॉम की चूत को हाथ लगाया, मॉम जैसे पागल सी हो गईं और उन्होंने नवीन के बालों को मुठ्ठी में कस कर पकड़ लिया.
“ओह.. नवीन… उफ़.. उफ़.. खा जा नवीन अपनी मालकिन के चुचों को काट के.. आह.. क्या मस्त मजा आ रहा है.”
ये कह कर मॉम नवीन के होंठों को किस करने लगीं. बीच बीच मैं मॉम नवीन के होंठों को दांत से पकड़ कर खींच लेती थीं.
नवीन साड़ी के अन्दर हाथ डाले हुए मॉम की चुत को मसल रहा था.
तभी अचानक मॉम चिल्ला उठीं- आह.. आउच.. साले क्या कर रहा है?
मॉम ने नवीन को मुस्कुरा के हल्का सा एक थप्पड़ मारा.
मैं कुछ समझ नहीं सका कि क्या हुआ.. पर मुझे लगा कि नवीन ने साड़ी के अन्दर ही कुछ किया है.
तभी नवीन बोला- माफ़ करना मालकिन आपकी चुत बहुत पानी छोड़ रही है, इसी लिए हल्का सा दबाने से दो उंगलियां अन्दर घुस गईं.
ये सुन कर मॉम मुस्कुराने लगीं.
मॉम- कोई बात नहीं.. तू जितनी चाहे उतनी घुसा दे.. आह.. आह..
ये सुन कर नवीन अपनी उंगली से मॉम की चुत चोदने लगा. वो अपनी उंगलियों को तेज़ तेज़ मॉम की चुत में अन्दर बाहर कर रहा था… और मॉम नवीन का सर पकड़े हुए “आह.. ऊह..” करके चिल्ला रही थीं. पूरे रूम में मॉम के सीत्कारियों की आवाज़ गूंज रही थी.
ये सब कुछ देर इसी तरह चलता रहा.
तभी मॉम बोलीं- चल नवीन फटाफट लग जा काम पर देर न कर.
नवीन मॉम की बात सुन के फटाफट अपने पजामे का नाड़ा खोलने लगा. तभी मॉम हंसने लगीं और नवीन के लंड को पाजामे के ऊपर से ही पकड़ कर बोलीं- तुम देहात वालों को सिर्फ अन्दर डालना ही आता है क्या.. पहले थोड़ा चाट तो ले.
नवीन खिसिया गया और दांत दिखाता हुआ बोला- वो क्या है न मालकिन.. हमारे यहाँ तो ऐसे ही होता है ना.. हमारी लुगाई साड़ी खोल कर लेट जाती है और हम अपना लंड झट से पेल के शुरू हो जाते हैं. ई चुत को चाटा चूटी का विदेशी खेल तो हम आपसे सीखे हैं.
यह सुन कर मॉम हंसने लगीं और पास में पड़ी कुर्सी पर अपना एक पैर उठा कर रख दिया, जिससे मॉम के दोनों पैरों में गैप हो गया ताकि चुत आराम से चाटी जा सके. नवीन झट से नीचे बैठ गया. मॉम की साड़ी थोड़ा सा ऊपर उठाकर मॉम की साड़ी के अन्दर ही घुस गया और मॉम की चुत चाटने लगा.
जैसे ही नवीन ने मॉम की चुत पे जीभ लगाई, मॉम एकदम से सिहर उठीं.. मानो मॉम के शरीर में बिजली दौड़ गई हो- आह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह.. नवीन.. क्या अन्दर ही घुस जाएगा मेरी चुत में.. ओह.. हाँ ऐसे ही ओह.. चाट ले साले मेरी चुत का पूरा पानी नवीन.. आह आह..
अब मुझे नवीन नज़र नहीं आ रहा था क्योंकि वो मॉम की साड़ी के अन्दर घुस गया था. वहीं अन्दर बैठ कर वो मॉम की चुत चाट रहा था. मॉम उसका सर साड़ी के ऊपर से ही पकड़े हुए सीत्कार रही थीं.
करीब दस मिनट चुत चटाई के बाद मॉम ने नवीन का सर कस कर पकड़ लिया और “तेज़ तेज़.. चूस..” चिल्लाने लगीं
“ओह नवीन.. मैं गईइ इ..इइ.. मैं छूटने वाली हूँ.. नवीन.. आह.. आआआआह मैं गईईईईई..”
चिल्लाते हुए मॉम ने कुर्सी का बैक अपने हाथों से कस के पकड़ लिया और कांपने लगीं. थोड़ी देर में मॉम ढीली पड़ गईं और दोनों हाथों से कुर्सी पकड़ कर खड़ी हो गईं. रूम का माहौल शांत हो गया था, पर नवीन अभी भी साड़ी के अन्दर बैठा मॉम की चुत चाट रहा था.
मॉम अब “उउउह उउउह..” कर रही थीं.
इधर मैं सोच रहा था कि नवीन साला कितना बड़ा मादरचोद है.. भैन का लौड़ा अभी भी मॉम की चुत चाट रहा है.
अब मॉम उसके सर को साड़ी के ऊपर से सहला रही थीं. तभी अचानक मॉम की नज़र घड़ी पर पड़ी- ओह फ़क… ओ माय गॉड.. नवीन जल्दी कर आठ बज गए हैं.. कॉलेज की गाड़ी आती हो होगी. चल बस कर नवीन…
मॉम की बात सुन कर नवीन साड़ी से बाहर अपना मुँह पौंछता हुआ निकला. नवीन का मुँह बिल्कुल गीला था. मॉम की चुत का पानी उसके मुँह पर लगा हुआ साफ दिखाई दे रहा था.
मेरी माँ के व्यभिचार की कहानी जारी रहेगी.