नमस्कार मित्रो, मैं अनिल, मेरी उम्र चौबीस साल है, ये मेरी पहली कहानी है. उम्मीद है आप सभी को पसन्द जरूर आएगी. यह चुदाई कहानी मेरे सगे चाचा चाची की है. मेरे चाचा की उम्र 55 साल है और चाची 50 साल की हैं, लेकिन देखने में चाची 40 की लगती हैं. चाची का नाम किरण है.. वो एक कसे हुए गदराये से बदन की मालकिन हैं. हालांकि मेरी चाची थोड़ी सी मोटी सी हैं.. लेकिन मोटी होते हुए भी मन को बेचैन कर देने वाली जवानी की दुकान हैं. उनकी विशाल थलथल करती गांड.. नागिन सी कमर पतली पर टिकी है.. जब वो चलती हैं तो मानो उनके मोटे चूतड़ों के हिलने से कयामत ही बरसती है.
जब चाची अपनी गांड के गोले हिला हिला कर चलती हैं, तो मेरा लंड अनाकोंडा सा होकर फुंफकार मारने लगता है. उनकी चूचियां भी बहुत बड़ी और ठोस, बिल्कुल तने हुए पपीते की तरह हैं. उनके मुलायम पेट पे जो गहरी नाभि सामने से नजर आती है, आह.. उसका क्या कहना.. मेरा दिल तो करता है उनकी नाभि में ही लंड पेल दूँ. मीडियम कद की चाची अच्छों अच्छों का लंड खड़ा कर देने वाले जवानी की खान लगती हैं.
मैं हमेशा ही अपनी सेक्सी चाची को ख्वाबों में चोदता हूँ.. और इस फिराक में लगा रहता हूँ कि चाची को कैसे चोदूँ.
पर चाची वैसी औरत नहीं थीं. वो चाचा से बहुत प्यार करती हैं.
मैं ज्यादातर चाची के घर पे ही चाची के साथ समय गुजारता हूँ.. और नजरें बचा कर चाची को घूरता रहता हूँ. मेरी छिपी हुई नजरें चाची की अधखुली चुची.. नाभि और मटकती गांड देख कर लंड को मुठ्ठ मारने पर मजबूर कर देती हैं. मेरे चाचा स्कूल टीचर हैं.. वे देखने में वो भी थोड़े मोटे ही हैं.
बात उस दिन की है.. मैं करीब शाम को आठ बजे चाची के घर पहुंचा, चाची खाना बना रही थीं और चाचा हॉल में पड़े बिस्तर पर लेटे कोई किताब पढ़ रहे थे. मुझे देखते ही चाचा ने मुझे बैठने को कहा, मैं चाचा के पास बैठ गया और इधर उधर की बातें करने लगा.
तभी किचन से चाची की आवाज आई- अनिल.. खाना यहीं खा लेना.
मैंने पूछा- कुछ विशेष बन रहा है क्या चाची?
“हां.. सत्तू का पराँठा बना रही हूँ.”
“ओके चाची..”
इतना कहने के बाद मैं चाचा से बात करने लगा. रात के 9:45 बज गए. तभी चाची खाना लेकर आ गईं. चाचा के साथ मैं भी खाना खाने लगा.. साथ में चाची भी खाना खाने लगीं.
तभी अचानक से बारिश होना शुरू हो गई. बारिश इतनी तेज होने लगी थी कि थमने का नाम ही नहीं ले रही थी. हम लोग खाना खा चुके थे, लेकिन बारिश बन्द होने का नाम ही नहीं ले रही थी. रात के 10 बज गए मौसम काफी खराब हो गया था.
चाची बोलीं- अनिल तुम यहीं पर सो जाना, तेज बारिश हो रही है.. घर कैसे जाओगे?
मेरे पास भी दूसरा कोई चारा नहीं था सो मैंने हामी भर दी. चाचा चाची अपने कमरे में चली गए और अन्दर से दरवाजा बन्द कर लिया. मैं वहीं हॉल में सो गया.. मेरी आंखों से नींद कोसों दूर थी.
तभी मेरे कानों में चाची की चूड़ियों के खनकने आवाज सुनाई दी. मेरे कान खड़े हो गए और ये सोच कर मेरा लंड खड़ा हो गया कि शायद चाचा चाची चुदाई कर रहे हैं. मैं झट से बिस्तर से उठा और दबे पांव खिड़की के पास चला गया और खिड़की से कान सटा कर सुनने लगा.
चाची फुसफुसा कर चाचा से कह रही थीं- अनिल बाहर सोया हुआ है.. कहीं उसको पता न चल जाए, आज छोड़ दीजिए कल कर लेना.
चाचा- आज पाँच दिन हो गए हैं मेरी रानी.. आज तो बर्दाश्त नहीं हो रहा. अनिल को पता भी चल गया तो क्या हुआ.. बेचारा अपनी चाची की चुदाई सुनकर मुठ्ठ मार के सो जाएगा.
चाची- बहुत बड़े चुदक्कड़ हो आप..
चाचा- क्या करूँ रानी, तुम्हारी चूत ही ऐसी है कि चोदे बिना नहीं ठहर सकता.
उन दोनों की गर्म बातें सुन कर मेरा लंड तो सातवें आसमान पर था. मेरे पूरे बदन में एक कंपकंपी सी होने लगी, मुँह हलक तक सूख गया, कनपटी गर्म हो गईं. मैं अपने चाचा चाची की चुदाई देखने के लिये तड़प उठा. तभी अन्दर से चुम्बन की आवाजें आने लगीं. शायद दोनों एक दूसरे को ताबड़तोड़ चूम रहे थे. मैं पागल सा हो गया, खिड़की भी बन्द थी, अब उन दोनों की चुदाई कैसे देखूँ. मैं विचलित हो गया.. पता नहीं ऐसा मौका फिर कभी हाथ आएगा भी या नहीं, मैं ये मौका हाथ से गंवाना नहीं चाहता था.
तभी चाची की लम्बी सीत्कार सुनाई दी.
चाचा बोल रहे थे- आह.. क्या चुची बनाई है भगवान ने.. जी चाहता है इसे रात भर चूसता ही रहूँ.. पुच.. पुच..
चूमने की आवाज सुनाई दी.. तो लगा कि शायद चाचा चाची की चुची चूसने लगे थे.
चाची ‘आह… ओह…’ कर रही थीं.
मेरा हाल बुरा था, मैं अपना लंड पकड़ कर तड़पने लगा. तभी मैं हॉल की दूसरी तरफ बनी खिड़की के पास दबे पांव गया, ऊपर वाली खिड़की खुली हुई थी.. अन्दर से रोशनी आ रही थी. ये देखते ही मेरी आँख मारे खुशी के चमक उठीं, मेरे दिल धड़कन तेज हो गईं. मैं किसी तरह खिड़की के पास पहुंचा.. अन्दर झाँका और जो नजारा नसीब हुआ, उसे देख कर मैं हिल गया.
मैं सर से पांव तक काँपने लगा, मुझे अपने पैरों पर खड़ा होना मुश्किल हो रहा था.
अन्दर बिस्तर पर चाची पूरी नंगी चित लेटी हुई थीं और चाचा उनकी चूचियों पर टूटे पड़े थे.
आज पहली बार किसी औरत को इतने करीब से पूरी नंगी देख रहा था. क्या बदन था चाची का.. दूध सी चमचमाती गदरायी हुई मादक जवानी सामने मचल रही थी. जिन चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से देखा करता था, आज वो दोनों कठोर मम्मे मेरी आंखों के सामने चमचमा रहे थे. चाची की दोनों मोटी मोटी जांघों के बीच चूत नजर आ रही थी. काफी फूली हुई बड़ी सी चूत थी, जिस पर छोटी छोटी झांटें चूत की सुन्दरता बढ़ा रही थीं.
चाचा बार बार चाची कि चूत को मुठ्ठी भर पकड़ कर ऐसे मसल रहे थे मानो चुची मसल रहे हों. चाची भी बार बार अपनी गांड उछाल रही थीं.
जैसे ही चाचा ने अपनी एक उंगली को चाची की चूत में घुसाया कि चाची का पूरा बदन सनसना उठा और वो अपने बदन को ऐंठते हुए चूतड़ उछालते हुएऔर बड़बड़ाने लगीं- ओह.. मेरे राजा.. बहुत मजा आ रहा है..
चाचा- आह.. तुम्हारी चूत बहुत गर्म है मेरी चुदक्कड़ डार्लिंग..
चाची- ओह मेरे चोदू राजा.. जब तक आपका लंड जब अन्दर नहीं घुसेगा, आपका वीर्य जब तक मेरी चूत की गहराई में नहीं गिरेगा, तब तक मेरी चूत इसी तरह आग उगलती रहेगी.. आह.. जल्दी से पेल दो.
चाचा ने अपने हाथ की स्पीड बढ़ाते हुए मादक स्वर में कहा- कसम से आज तेरी चूत को बहुत चोदूँगा.. बहुत चोदूंगा.. मेरी चुदक्कड़.. मेरी प्राण प्यारी.. तेरी चूत चोदे बिना कहां रह पाता हूँ मैं..
इतना कहने के बाद चाचा ने अपना हाथ चाची की चूत से हटाकर एक चुची को दबोच लिया और पागल की तरह दोनों हाथों से दोनों चुची मसलने लगे. फिर बारी बारी से दोनों चुची को चूसने लगे.
चाची का जोश चार गुना बढ़ गया. वो पागलों की तरह चाचा से लिपट गईं. चाची का पूरा बदन कांपने लगा.. उनकी आंखों के डोरे बिल्कुल लाल हो गए.. सांसें तेज हो गईं.. नथुने फूलने लगे और उनके मुँह से मादक सीत्कारें निकलने लगीं.
चाचा समझ गए कि अब उनकी बीवी को लंड चाहिए है. तभी चाचा चित लेट गए और उन्होंने अपना कच्छा उतार दिया. जैसे ही चाचा ने अपना कच्छा उतारा कि उनका लंड फुंफकार मारता हुआ बाहर निकल आया. चाचा का लंड देखते ही चाची मानो पागल हो गईं.
चाची झट से चाचा का मोटा काला लंड पकड़ कर मसलते हुए चूमते बोले जा रही थीं- हे भगवान क्या लंड दिया है मेरे पति को आह… कितना मस्त लंड है.. आज जी भर के चुदवाऊंगी इस लंड से…
चाचा का मोटा लंड किसी बैंगन के समान था. लंड का सुपारा काफी बड़ा था, जैसे टेनिस की गेंद हो.
चाची सुपारा देखकर हिनहिना उठीं और अपनी मुठ्ठी से सुपारा पकड़ कर बोलने लगीं- बहुत बड़ा सुपारा है आपका.. मेरी चूत आज निहाल हो जाएगी..
चाचा- तो मुँह में भर लो न इस सुपारे को मेरी रंडी रानी..
चाची जैसे ही सुपारा मुँह में डाला कि चाचा के मुँह से सीत्कार निकल गई और वो नीचे से कमर चलाने लगा. चाची बड़े चाव से लंड का सुपारा चूसने लगीं.
दो मिनट बाद ही चाची कहने लगीं- अब रहा नहीं जाता.. जल्दी से चोद दो न, चूत में बहुत तेज खुजली हो रही है.
चाची चाचा का लंड को जोर जोर से हिलाते हुए बोले जा रही थीं- जल्दी घुसा दो अपना मूसल लंड मेरी चूत में.. इस मोटे सुपारे से चोदो मुझे..
चाचा- आह.. कितनी बेचैन है तू लंड के लिये मेरी रानी..
चाची लंड को जोर जोर से हिलाते हुए कहने लगीं- आपका लंड भी तो मेरी चूत चोदने के लिए देखो.. कितना फुंफकार मार रहा है.. क्या गजब का लंड है आपका.. आओ अब देर मत करो चोद लो.. प्लीज जल्दी से पेल दो मेरी झांटों से भरी चूत में अपना लौड़ा पेल दो..
उन दोनों की बातें सुनकर मेरा लंड जोश के मारे और ज्यादा सख्त हो गया. मैंने मुठ्ठ मारना शुरू कर दिया. उधर चाचा ने चाची को चित करके उनके दोनों पैरों को घुटने तक मोड़ा और कंधों तक ले लिया. इस वजह से चाची की चूत और गांड आसमान को देखने लगी.
क्या दिलकश नजारा था.. ऐसी पोजीशन में चाची की चौड़ी गांड देखने में और ज्यादा चौड़ी नजर आ रही थी. मांसल और भरी फूली हुई चूत और चूत की मोटी मोटी फांकें मुझे पागल बना रही थीं.
मैं अपना लंड को जोर जोर से मसलने लगा.
तभी मैंने देखा कि चाचा ने अपना लंड चाची की चूत की फांकों पर रख दिया. चूत पर लंड लगते ही चाची मचल उठीं और कराह भरते हुए चाचा का लंड पकड़ कर चूत की फांकों पर रगड़ने लगीं. उधर चाचा भी अपने लंड को फांकों पर रगड़ने लगे. वे दोनों पूरे जोश में थे. चाचा चूत को देखते हुए फांकों पर लंड रगड़ रहे थे. चाची भी अपने सर को उठा कर चूत पर रगड़ते हुए लंड को देख रही थीं.. और जोर जोर से सिस्कार रही थीं. चाची का चेहरा चुदास के मारे लाल हो गया था, नाक फूलने और पिचकने लगी थीं. वे आंखें फाड़ कर लंड को देखे जा रही थीं.
चाची- कितना रगड़ रहे हो.. चूत पनिया गई है.. अब तो पेल दो न!
चाचा- थोड़ा सा सबर कर न मेरी चुदक्कड़.. चूत की फांकों पर लंड रगड़ने में बहुत मजा आ रहा है.. थोड़ा रगड़ का मजा लेने दो मेरे रानी.. कितना गर्म है तुम्हारी बुर.. ऐसा लगता है मेरे लंड को आज जला ही देगी.
चाची- आपका लंड भी तो बहुत गर्म है.
चाचा- पेलता हूँ अब..
चाची- हां पेल दो..
चाचा- क्या पेलूँ?
चाची- अपना लंड मेरी चूत में पेल दो..
चाचा- आज बहुत पेलूँगा साली..
चाची- तो पेल दो न भोसड़ी के.. खाली पेलूँ पेलूँ बोलते हो.. और पेलते नहीं हो.. प्लीज मेरी जान अब पेल दो अपना मूसल लंड..
तभी चाचा ने अपना लंड चाची की चूत के छेद पर रखकर अपने दोनों हाथों से चाची की दोनों चुचों को पकड़ कर जोर से लंड ठेला, तो सुपारा चूत के अन्दर घुस गया. चाची गनगना उठीं.. और उन्होंने नीचे से अपने चूतड़ों को उचका दिया. इससे आधा लंड चाची की चूत के अन्दर घुस गया.
चाची जोर जोर से सिसकारने लगीं.. और मादक स्वर में कराहते हुए बोलीं- ओह.. राजा.. स्वर्ग में पहुंच गयी मैं..
चाचा- अभी तो आधा लंड ही घुस पाया है मेरी जान.. और तुम स्वर्ग में पहुंच गईं.. आह ले..
चाची- पूरा पेलो न.. बहुत मजा आ रहा है.
चाचा- इस उम्र में भी तेरी चूत इतनी कसी हुई है कि एक बार में घुसता ही नहीं है.
चाची- मेरी चूत कसी हुई नहीं है मेरे राजा.. आपका लंड ही इतना मोटा है कि जल्दी घुसता नहीं है.
इतना कहकर चाची ने एक बार फिर से अपनी गांड को जोर के उछाल दिया.. और इसी वक्त चाचा ने भी जोर से लंड ठेल दिया. इस बार पूरा का पूरा लंड जड़ तक समा गया. चाची एक बार फिर से एक लम्बी सिसकारी भरते हुए दाँतों पर दाँत बैठा कर अपनी गांड को जोर जोर से उछालते हुए बोलने लगीं- आह.. अब चोदो मेरे राजा.. जितना चोदना है.. मेरी चूत को चोद चोद कर लाल कर दो.. आह चोदो मेरी चूत को.
चाचा चाची को जोर जोर से चोदने लगे. ऊपर से चाचा का लंड ठाप मार रहा था और नीचे से चाची चूतड़ उछाल रही थीं. दोनों तरफ जोश बराबर था, दोतरफी धकापेल चलने लगा.. दोनों तरफ से चुदाई का खेल चलने लगा. दोनों एक दूसरे को चोदने लगे. पूरा कमरा गूँज उठा, पलंग चुँ.. चुँ.. करने लगा.
चाचा का जोश शायद बहुत ज्यादा बढ़ गया था.. वो किसी सांड की भांति हुँकार भरते हुए चाची को चोदने लगे. चाची भी रुकने का नाम नहीं ले रही थीं, वो उसी तरह बेतहाशा अपनी भारी भरकम गांड को उछाले जा रही थीं.
चाची के चूतड़ों की उछाल देखकर मैं जोश के मारे थरथर कांपने लगा. मैं तो सोच में पड़ गया कि इस उम्र में भी एक गाँव की देहाती औरत इस कदर से चुदाई कर सकती है.
चाचा- कैसा लग रहा है मेरी लंडखोर रानी..
चाची- बहुत मजा आ रहा है मेरे चुदक्कड़ राजा..
चाचा- आज रात भर चोदूँगा..
चाची- हां मेरे राजाजी.. जितना मर्जी उतना चोदो.. मेरी चूत तो तुम्हारे लंड के लिए ही तो बनी है.. तुम्हारे लंड के सिवाए दुनिया का कोई लंड मेरी चूत की आग को नहीं बुझा सकता.
चाचा- इतना मजा देता है मेरा लंड तेरी चूत को?
चाची- हां राजा.. बहुत मजा देता है तुम्हारा लंड..
चाचा का जोश और बढ़ गया, तभी चाचा ने चाची के दोनों पैरों को सीधा किया और चाची के ऊपर छा गए. वे दोनों चुची को अपने दोनों हाथों से कस कस कर मसलते हुए चोदने लगे. चाची भी अपने दोनों हाथ से चाचा की गांड पकड़ कर उनको अपनी तरफ दबा कर बदन को ऐंठने लगीं.
तभी चाचा का मुँह और चाची का मुँह एक दूसरे से गुत्थमगुत्था करने लगा और जोर लगा कर चोदने और चुदवाने लगे. चुदाई के कारण चाची की चूत बिल्कुल पानी पानी हो गयी.. जिसकी वजह से चूत से पचर.. पचर की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी. चाचा अपने लंड से नीचे चाची की चूत चोद रहे थे और ऊपर अपनी जीभ से चाची के मुँह को चोद रहे थे. चाची की चूत से पचर.. पचर की और तेज आवाज आने लगी थी और उनके मुँह से गुँ.. गुँ की आवाज भी चाचा की चुदास को गति दे रही थी.
इस तरह का चुदाई देख कर इधर मेरे लंड से पिचकारी निकलना शुरू हो गया. मैं झड़ गया.. लेकिन वो दोनों चुदाई करते ही जा रहे थे.
तभी चाची बोलीं- अब मैं चोदूँगी ऊपर चढ़ कर..
चाचा- आजा मेरी रानी..
इतना कहकर चाचा चाची के ऊपर से एक पलटी मार कर चित लेट गए. चाचा का मोटा लंड और मोटा हो गया था. लंड की नसें उभर आई थीं.. सुपारा खुला हुआ लाल नजर आ रहा था. चूत के पानी से नहाया हुआ लंड झटके पर झटके खा रहा था.
यह देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा. तभी चाची चाचा के ऊपर सवार हो गईं. चाची की भारी भरकम गांड मोटी और गहरी गांड की दरार देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. चाची ने चाचा के लंड को पकड़ कर चूत के छेद पर टिकाया और अपनी भारी भरकम गांड का भार लंड पर छोड़ दिया. पूरा लंड सरसराता हुआ चूत के अन्दर समा गया. अब मुझे सिर्फ चाचा के आंड दिखाई दे रहे थे.
फिर चाची ने अपनी गांड को चाचा के लंड पर पटकना शुरू किया. उनके चूचे मस्त डिस्को करने लगे थे. थप.. थप.. की मस्त आवाजों से कमरा गुंजायमान हो गया.
चाची- अब बोलो.. राजा जी, मैं चोद रही हूँ तो कैसा लग रहा है?
चाचा- बहुत मजा देती हो तुम.. अभी लंड पूरा अन्दर तक घुसा हुआ है.
चाची और जोर जोर से हिलने लगीं, चाची अपनी गांड पटक पटक कर चाचा को चोद रही थीं. उनकी मांसल गांड थिरक थिरक कर हिल रही थी. चाचा भी नीचे से कमर चलाते हुए चाची की हिलती हुई चुचियों पर नजर टिकाए हुए थे.
चाची पागलों की तरह चाचा को चोद रही थीं. चाची की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी, वे जोर जोर बोले जा रही थीं- चोद.. चोद.. साले.. चोद मुझे..
चाचा- वाह.. मेरी रानी क्या चोद रही है तू मुझे.. कितनी चुदासी चूत है तेरी.. मेरी छिनाल.. मेरी चुदक्कड़.. आज मेरा लंड तेरी चूत में ही टूट जाएगा.. आह कितनी बड़ी चुदक्कड़ है तू.. आह.. साली हर रोज चुदवाती है.. फिर भी तेरी चूत की आग शान्त नहीं होती.
चाची- ये तो तुम्हारे लंड का कमाल है.. कोई भी औरत तुम्हारा लंड जो एक बार देख ले, वो तुमसे चुदवाये बिना नहीं रह पाएगी.. तुम्हारा लंड ही ऐसा है कि चुदवाए बिना नहीं रह सकती..
इतना सुनते ही चाचा झट से उठ के बैठ गए. चाची के दोनों पैरों को पीछे की ओर किया और हाथों से चूतड़ पकड़ कर चोदने लगे. चाची भी चूतड़ चला रही थीं और चाचा भी.. दोनों तरफ से चूतड़ चल रहे थे.
चाची की एक चुची को मुँह भर रख कर चाचा जोर जोर से चूसने लगे और चूतड़ के मांस को मुठ्ठी भर पकड़ कर अंधाधुँध चोदने लगे. चाची जोर जोर से आह.. उह.. करने लगीं. चाचा बार बार चाची की गांड पर थपकी लगाते और फिर चूतड़ के मांस को मुठ्ठी भर पकड़ कर चोदने लगते.
चाचा- रानी अब थोड़ा घोड़ी बन जाओ.. तुम्हारी गांड की तरफ से चूत को चोदूँगा.. आह.. तुम्हारी विशाल गांड देख देख कर चोदूँगा.
चाची झट से घोड़ी बन गईं.. चाचा वक्त गंवाए बिना जल्दी से चाची के पीछे आए और अपने लंड को फिर से चाची की चूत में घुसा दिया. फिर चाची की गांड पकड़ कर चोदते हुए बोलने लगे.
चाचा- बाप रे बाप.. क्या गांड है मेरी रानी की.. दिल तो करता है तुम्हारी गांड भी मारूं.
चाची- पहले चूत की आग शान्त करो गांड किसी और दिन मार लेना राजा.. अभी चूत की खुजली खत्म नहीं हुई है.. ऐसे ही चोदो..
चाची भी गांड हिला हिला कर चुद रही थीं.
इस आसन में करीब दस मिनट ऐसे ही चुदाई का खेल चलता रहा, फिर चाची बोलीं- अब मैं झड़ने वाली हूँ..
इतना सुनते ही चाचा ने अपना लंड बाहर निकाला और बोले- चित लेट जा.. जल्दी.. मैं भी झड़ने वाला हूँ..
चाची झट से चित लेट गईं और अपने दोनों पैर खोल के आसमान की तरफ उठा लिए. चाचा भी जोश में थे. वो जल्दी से चाची के ऊपर चढ़ गए और धकाधक चोदने लगे. नीचे से चाची भी गांड उचकाने लगीं. दोनों तरफ जोश बढ़ता गया.. दोनों की स्पीड बढ़ गई. दोनों की सीत्कार भी तेज होती गईं. दोनों आनन्द की चरम सीमा पर पहुंच रहे थे. उनकी चुदाई की स्पीड और तेज हो गई. चाची अपनी टांगें और ऊपर उठाती चली गईं. चाचा की स्पीड भी बढ़ती गई.. और अगले ही पल दोनों के मुँह से एक लम्बी आह.. निकल गई.
उसी बीच चाचा बोल उठे- कहां झड़ूं?
चाची जोर जोर से हांफते हुए बोलीं- चूत के अन्दर ही झड़ा दो राजा..
चाचा की स्पीड और तेज हो गई. चाची की गांड की उछाल भी तेज हो गई. तभी दोनों कचकचाकर एक दूसरे से लिपट गए और इधर मेरा लंड भी एक बार और पिचकारी छोड़ गया.
दोनों एक साथ झड़ गए, चाचा का समूचा वीर्य चाची की चूत के अन्दर ही पिचकारी छोड़ते हुए निकल गया. चाची की चूत ने भी ढेर सारा पानी छोड़ दिया. दोनों हांफते हुए एक दूसरे से लिपट गए.. और गहरी सांसें लेने लगे.
थोड़ी देर यूं ही पड़े रहने के बाद दोनों एक दूसरे से अलग हो गए. चाचा का लंड और चाची की चुदी हुए चूत का सीन देखने लायक था.
कुछ देर के बाद दोनों कपड़े पहनने लगे और मैं दबे पांव अपने बिस्तर पर चला गया.