दोस्तो, आज मैं आपको अपने जीवन में घटी वह घटना बताने जा रहा हूँ जो आज से पहले मैंने किसी के भी साथ कभी भी साझा नहीं की और शायद कभी दोबारा भी कभी साझा नहीं करूँगा.
कहानी बताने से पहले मैं आपको अपने बारे में कुछ बताना चाहूँगा. मैं जबलपुर मध्यप्रदेश का निवासी हूँ, 25 साल का एक आकर्षक दिखने वाला युवक हूँ. बीस साल की उम्र से ही मैंने जिम जाना चालू कर दिया था तो मेरा जिस्म बहुत ही आकर्षक है.
मैं सोचता था कि इस साइट पर पोस्ट की गई अधिकतर कहानियाँ काल्पनिक होती हैं, ऐसा तो कभी वास्तविक जीवन में हो ही नहीं सकता. पर एक साल पहले घटी एक घटना ने तो मेरी सारी सोच ही बदल कर रख दी.
बात सिर्फ़ एक साल पुरानी है, जब मैं रात के लगभग 8 बजे जिम से वापस लौटा, तो मैंने पाया कि मेरे घर पर ताला लगा हुआ है. तो मैंने बाजू वाली संगीता आंटी के घर जाकर पूछा कि शायद मेरी माँ चाबी उनको दे गई हों, पर उन्होंने मुझे इन्कार कर दिया कि चाबी उनके घर पर नहीं है.
मैंने आंटी से कहा- ठीक है आंटी मैं पास में ही अपने दोस्त के घर पर होकर आता हूँ.
तो उन्होंने मुझसे कहा- बहुत दिनों बाद तो घर आए हो, कम से कम चाय तो पीकर जाओ.. वैसे भी ठंड बहुत हो रही है.
तो मैंने भी उन्हें चाय के लिए ‘हाँ’ कर दिया.
तभी मैंने आंटी से पूछा- घर पर कोई दिख नहीं रहा है?
तो उन्होंने बताया कि उनकी लड़की आज अपनी मौसी के घर गई है, सुबह तक वापस आ जाएगी और उनके पति ऑफिस के काम से भोपाल गए हुए हैं.
आंटी रसोई से बात करते हुए चाय बनाती जा रही थीं, तभी अचानक उनके घर की गैस खत्म हो गई तो उन्होंने मुझे पूछा- क्या तुम दूसरे कमरे से भरा हुआ गैस सिलिंडर उठाकर रसोई में रख सकते हो?
मेरे लिए तो यह बाएँ हाथ काखेल था, मैंने फ़ौरन उन्हें ‘हाँ’ कह दिया.
जब मैं सिलिंडर उठाकर रसोई में लाया तो चूँकि जिम से तुरंत लौटने की वजह से मेरे बायसेप्स बहुत ही फूल गए थे तो उन्होंने मेरे कब्जों पर हाथ लगाकर देखा और कहा- अरे वाह.. तुम्हारे मसल्स तो वाकयी बहुत शानदार हो गए हैं, कोई भी लड़की इन पर फिदा हो जाएगी.
मैंने आंटी से इस तरह के बर्ताव की कभी भी उम्मीद नहीं की थी, चूँकि वो हमेशा बहुत कम बात किया करती थीं व शांत रहती थीं.
मैंने थोड़ा सा झेंपते हुए जवाब दिया- क्यों मज़ाक कर रही हैं आप.. मेरी तो आज तक एक भी गर्लफ्रेंड नहीं है.
तो उन्होंने मुस्कुराकर कहा- ऐसा हो ही नहीं सकता कि इतने स्मार्ट लड़के की कोई गर्लफ्रेंड ना हो.
पर मैंने दोबारा उन्हें ज़ोर देकर कहा- वाकयी मेरी अभी तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
इसी बीच हम दोनों मिल कर नया सिलिंडर लगा रहे थे कि अचानक अंजाने में मेरा हाथ उनके मम्मों पर लग गया, तो एक पल के लिए वो एकदम ठिठक सी गईं.
मैंने उनसे इस ग़लती के लिए कई बार ‘सॉरी’ बोला तो वो हँसने लगीं और बोलीं- इसमें ‘सॉरी’ की क्या बात है, तुमने कोई जान-बूझकर थोड़े ही ऐसा किया है.. यह तो मेरी वजह से हुआ है.
मुझे उनकी बात कुछ समझ में नहीं आई तो मैंने उनसे पूछा- आपकी वजह से कैसे?
तो उन्होंने कहा- मैं ही तुम्हारे कुछ ज़्यादा करीब आ गई थी.
फिर अचानक उन्होंने हंसते हुए मुझसे कहा- इतने हैण्डसम होते हुए भी इसीलिए तो तुम्हारी आज तक कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं बनी…
मैं मूर्खों जैसे अपनी पलकें झपकाता रहा.
थोड़ी देर रुककर वो अचानक मुझसे बोलीं- आज तक तुमको मेरी आँखों की भाषा नहीं समझ में आई?
मैं तो अचानक मिले इस उत्तर से एकदम सकपका सा गया.
अब मैंने अपने आपको संभालते हुए कहा- मुझे आपकी बातें आज बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही हैं.
तो उन्होंने बताया- मैं पिछ्ले दो सालों से तुमको बहुत पसंद करती हूँ और हमेशा तुम्हारे साथ कुछ वक्त बिताने के बारे में सोचती रहती हूँ, पर तुमने कभी मेरी आखों की भाषा को समझा ही नहीं और शायद अभी भी अगर मैं नहीं बताती तो तुम कुछ भी नहीं समझते.
मैं तो बस हैरानी से उनका चेहरा ही देखे जा रहा था.
फिर अचानक उन्होंने मुझसे पूछा- अभी भी कुछ समझे कि नहीं? बुद्धू..!
अब मामला मेरी समझ में आ रहा था, पर फिर भी मैंने अंजान बनते हुए कहा- मुझे आपकी बातें बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही हैं.
तो उन्होंने गुस्से में मुझसे कहा- शायद इसीलिए तुम्हारी अभी तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, तुमको लड़कियों की भावनाएँ भी समझ में नहीं आती हैं.
अब मैंने थोड़ा शरमाते हुए जवाब दिया- मैंने कभी भी आपके बारे में ऐसी बात सोची ही नहीं और वैसे भी आपकी शादी हो चुकी है… आपके बच्चे हैं… मैं भला आपके बारे में ऐसा कैसे सोच सकता हूँ?
यह सब तो मैं ऐसे ही बोल रहा था जबकि नीचे लोवर के अन्दर मेरा लौड़ा तंबू बनाए जा रहा था.
शायद उन्होंने भी ये नोटिस कर लिया था, फिर भी उन्होंने उसे अनदेखा करते हुए कहा- क्या जिनकी शादी हो जाती है उनका दिल नहीं होता? क्या कोई शादीशुदा औरत किसी से प्यार नहीं कर सकती? और रही बात तुम्हारी… तो मुझे भी पता है कि तुम मुझे अक्सर तिरछी निगाहों से देखते रहते हो… तुमने मुझे छुप-छुप कर कई बार मेरी चूचियों को नहाते वक्त देखा है और अब बड़े सीधे बन रहे हो और तुमको शायद यह नहीं पता कि मोहल्ले की अधिकतर शादीशुदा औरतें तुम पर फिदा हैं, हम लोग जब भी गपशप करते हैं, तो तुम्हारी बात ज़रूर करते हैं.
अब तो मुझे भी अपने आप पर कुछ-कुछ गर्व होने लगा था, पर आंटी की बातें सुनकर डर भी लग रहा था कि कहीं वो छुप-छुप कर नहाते हुए देखने वाली बात मेरी माँ से ना बोल दें.
अब मैं अब एकदम चुपचाप सा हो गया, पर आंटी अभी भी मुझे देखकर मुस्करा रही थीं.
फिर वो चाय और बिस्किट लेकर आईं और मेरे बगल में बैठ गईं और मुझे चाय देते हुए बोलीं- चिंता मत करो.. मुझे अपना दोस्त समझो.. मैं तुम्हारी मम्मी से कुछ भी नहीं बोलने वाली हूँ.. अगर मुझे बोलना ही होता तो मैं कब की तुम्हारी शिकायत कर चुकी होती.
आंटी और मैं एक ही सोफे पर बैठे थे और उनके गहरे गले वाले ब्लाउज में से उनके 38 साइज़ के दूध देखकर तो मुझे अब बिल्कुल भी अपने आप पर संयम नहीं हो रहा था.
फिर भी मैं किसी तरह अपने तंबू के बम्बू बने लौड़े को छुपाने की कोशिश कर रहा था.
शायद वो ये सब जानबूझ कर कर रही थीं और अचानक बात करते-करते उन्होंने अपना एक हाथ मेरी जाँघों पर रख दिया.
उनके इस व्यवहार से मैं एकदम सकपका गया और इसी घबड़ाहट मैं मेरे हाथ से चाय का कप गिर गया और थोड़ी सी चाय मेरे ऊपर ही गिर गई.
चाय गरम होने की वजह से मुझे जलन होने लगी थी. आंटी भी अब थोड़ा सा घबड़ा गई थीं.
मैंने उनसे पूछा- क्या मैं आपका वॉशरूम उपयोग कर सकता हूँ?
तो वो तुरंत मुझे अन्दर लेकर गईं और बोलीं- लाओ मैं पानी से जल्दी से धो देती हूँ.. वरना ज़्यादा जलन होगी.
तो मैंने कहा- नहीं.. मैं साफ कर लूँगा. पर उन्होंने ज़िद करते हुए मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं- यह सब मेरी वजह से ही हुआ है.. लाओ मुझे साफ करने दो.
अब मैं कुछ भी नहीं बोला, वो मेरे लोवर के ऊपर से पानी डाल-डाल कर चाय का दाग मिटाने लगीं.
उनके हाथ लगते ही मेरा लौड़ा एक बार फिर लोवर फाड़ कर बाहर आने को बेताब होने लगा.
अब उन्होंने अचानक से मेरा लोवर नीचे कर दिया और मेरी जाँघों पर ठंडा पानी डाल-डाल कर धोने लगीं. अब तो मेरा हाल बहुत ही बुरा हो रहा था, तभी उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा- लाओ तुम्हारे अंडरवियर के अन्दर भी जलन हो रही होगी… उसे भी धो देती हूँ.
मेरे कुछ कर पाने के पहले ही उन्होंने मेरा लौड़ा पकड़ लिया और उसे बाहर निकाल कर ठंडे पानी से धोने लगीं.
अब तो मुझे अपने आप पर ही काबू नहीं था क्योंकि ज़ीवन में पहली बार किसी ने मेरा लौड़ा पकड़ा था और वो भी उसी ने पकड़ा था जिसे नहाता हुआ देख कर मैं मुठ मारा करता था.
मेरे लौड़े को हाथ में लेकर वो बड़े प्यार से मुझे बोलीं- तुम्हारा लौड़ा तो बहुत बड़ा हो गया है.. मैंने इतने बड़े की कल्पना नहीं की थी…
मैंने शरमाते हुए कहा- आंटी पानी बहुत ठंडा है और मुझे बहुत ठंड लग रही है. आपने तो मुझे पूरा ही गीला कर दिया है.
वो बोली- अगर ठंड लग रही है तो कोई बात नहीं.. मैं गरम कर दूँगी.
अब उन्होंने मुझे उसी अवस्था में मेरा हाथ पकड़ कर रसोई में ले गईं और मेरा अंडरवियर पूरा उतार दिया और मुझे प्लेटफार्म के ऊपर बैठने को कहा और अचानक मेरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगीं.
मैंने कहा- आप ये क्या कर रही हैं.. ये सही नहीं है.
तो उन्होंने अपना एक हाथ मेरे मुँह पर रखते हुए कहा- चुप रहो.. कुछ भी मत बोलो.. तुमको ठंड लग रही है ना..? तो पहले मुझे तुम्हारी ठंड दूर करने दो, वरना सर्दी लग जाएगी.
अब तो मैं एकदम मस्त हो गया था, ऐसा आनन्द मुझे अपने ज़ीवन में कभी नहीं आया था, जैसा सिर्फ़ उनके चूसने में आ रहा था.
लगभग 2-3 मिनट तक वो ऐसे ही मेरा लौड़ा चूसती रहीं, फिर बोलीं- लाओ अब इस पर दवाई भी लगा देती हूँ.
वो फ्रिज में रखी हुई शहद की बोतल निकाल लाईं और धीरे-धीरे सारा शहद अपने हाथों में लेकर उसे मेरे लौड़े पर लगा दिया और फिर उन्होंने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया और मेरी छाती की घुंडियों पर भी कुछ शहद लगा दिया.
अब सीधे खड़े होकर मेरे चूचुकों को चूसने लगीं.
मुझे सनसनी होने लगी और मेरे मुँह से अजीब-अजीब सी आवाजें निकलने लगीं.
जैसा कि मैंने सिर्फ़ ब्लू-फिल्मों में ही देखा था.
मेरा अपने-आप पर बिल्कुल भी संयम नहीं रह गया था.
वो इतने प्यार से कभी मेरा एक निप्पल चूसती तो कभी दूसरा चूसती.
मैंने भी अब बेधड़क होकर उनके ब्लाउज में हाथ डाल दिया और उनके बड़े-बड़े और मुलायम मम्मों का स्पर्श पाकर तो मेरी उत्तेजना दोगुनी हो गई.
अब वो धीरे-धीरे मेरे गले और पेट को चूमते हुए नीचे की तरफ आने लगी और साथ ही साथ मुझ पर शहद भी उड़ेले जा रही थी.
अब उन्होंने अपना ब्लाउज उतार कर फेंक दिया और मेरे लौड़े को अपने चूचुकों पर रगड़ने लगीं और अपने दोनों चूचुकों के बीच में मेरे लौड़े को फंसा कर रगड़ने लगीं.
मैं तो अपने आप को जन्नत में महसूस कर रहा था. अब वो घुटने के बल बैठ गई और बड़े ही प्यार से मेरा लौड़ा चूसे जा रही थी जैसे कोई लॉलीपॉप हो.
मैंने उनसे कहा- आंटी मैं झड़ने वाला हूँ.. प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए.
तो उन्होंने और ताक़त से मुझे जकड़ लिया और बोलीं- मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ आज मेरी प्यास बुझा दो… मेरा मुँह अपने वीर्य से भर डालो…
उनकी ऐसी बातों ने मेरी उत्तेजना को और भड़का दिया और मैंने अपने दोनों हाथों से उनका सिर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से झटके देने लगा और दस-पंद्रह झटकों के बाद अपने वीर्य से उनका मुँह भर दिया.
उन्होंने बड़े प्यार से सारा का सारा वीर्य पी लिया और फिर मेरे लौड़े पर से सारा वीर्य भी चाट-पोंछ कर साफ़ कर दिया और बोलीं- वाकयी तुम्हारा वीर्य भी तुम्हारी तरह ही मस्त है.
मैं निढाल सा उनको देख रहा था.
फिर वो बोलीं- अब मुझे भी खुश कर दो और मेरा हाथ पकड़कर मुझे कमरे में ले जाने लगीं कि तभी दरवाजे की घन्टी बज गई, मैं तो एकदम ही घबड़ा गया कि कौन आ गया.
तो उन्होंने मुझे संभालते हुए कहा- तुम फिक्र मत करो और जाकर बाथरूम में छुप जाओ.. मैं देखती हूँ कि कौन आया है.
उन्होंने जल्दी से अपना ब्लाउज पहना और बाहर जाकर देखा तो दरवाजे पर मेरी माँ थीं, जोकि घर की चाभी लेने के लिए आई थीं.
आंटी ने उनको अन्दर से चाभी लाकर दे दी.
मेरी माँ ने उनसे पूछा- क्या विवेक आया था?
तो उन्होंने झूठ बोल दिया- नहीं.. वो तो अभी नहीं आया.
मेरी माँ घर की चाभी लेकर चली गईं.
माँ के जाते ही मैंने बाहर निकल कर आंटी से कहा- अब मुझे जाना होगा वरना मेरी माँ को चिंता हो जाएगी कि मैं इतनी देर से कहाँ घूम रहा हूँ.
तो उन्होंने मुझसे कहा- अभी उनको तो संतुष्टि मिली ही नहीं.
तो मैंने उन्हें फिर किसी दिन जी भर कर संतुष्ट कर देने का वादा किया और चुपचाप वहाँ से अपने घर चला आया.
तो दोस्तो, यह थी मेरी जीवन की असली घटना जिसने मुझे असीम सुख दिया, पर आगे भी अभी बहुत कुछ बाकी था, जो मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊँगा.