नमस्कार दोस्तो, अन्तर्वासना हिंदी सेक्स स्टोरीज साईट पर यह मेरी पहली कहानी है.. तो सबसे पहले मैं आप सबसे गुजारिश करता हूँ कि अगर कोई गलती दिखे तो मुझे मैसेज करके जरूर बताइयेगा.
मेरा नाम रॉकी है और मैं छतीसगढ़ का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 19 साल है और मेरी हाइट 5 फिट 7 इंच है. मैं दिखने में ठीक ठाक हूँ.
दोस्तों मैं एक कम्पनी में काम करता हूँ. मेरी कम्पनी के पास ही वाली जगह एक ब्यूटी पार्लर है. उसमें एक लड़की काम करती है, उसका नाम नेहा है.
नेहा दिखने में बेहद ही खूबसूरत है दोस्तों उसके अंगों की बनावट इतनी अधिक मादक है कि देखने वाला उसको देखता ही रह जाए. मैं रोज ऑफिस जाते वक्त उसे देखता रहता था. मैंने महसूस किया था कि मेरे देखने से वो भी कुछ इस तरह से देखने लगती थी, जिससे ऐसा लगता था कि शायद उसके मन में मेरे लिए भी कुछ है. पर हिम्मत न होने के कारण ऐसे कैसे उससे कुछ कह सकता था. हालांकि उसको देखते समय मैं इतना जरूर करने लगा था कि जब भी मेरी उससे आँख मिल जाती थी, तो मैं स्माइल कर देता था. जिस पर उसने कभी मुँह भी नहीं फेरा था और स्माइल भी नहीं की थी.
मैं कुल मिला कर असमंजस की स्थिति में था कि पता नहीं मैं इसको लेकर गलत सोच रहा हूँ या वास्तव में कुछ होने की उम्मीद है.
एक दिन मैं मार्केटिंग के सिलसिले में वहां से गुजर रहा था तो मैंने देखा कि वो बिलकुल फ्री बैठी थी. मैंने सोचा आज इससे थोड़ी बात कर ही लूँ. मैं उसके करीब गया और उसको देख कर मुस्कुराया.
वो भी मुस्कुरा कर बोली- आइये.
मैं- शुक्रिया.
मैंने आगे बात बढ़ाई- जी मैं पास के ही ऑफिस में काम करता हूँ.
वो- जी पता है, आपको आते जाते देखती हूँ. बैठिये, आप कुछ लेंगे ठंडा या गर्म?
मैं- नहीं, मैं तो बस आपसे ऐसे ही बात करने आया था.
कुछ देर हम दोनों ने बात की उसे मेरा व्यवहार अच्छा लगा और मुझे भी उसका स्वभाव पसंद आया.
इसी तरह हमारी दोस्ती हो गई. फिर हमारी रोज बात होने लगी.
फिर एक दिन ऐसे ही मैंने बातों बातों में उसका नंबर मांग लिया. पहले तो वो बोली कि नहीं यार कहीं तुमने नंबर किसी और को दे दिया. तो सही नहीं रहेगा.
वो नम्बर देने में बहाने बनाने लगी तो मैंने भी बोल दिया- क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है?
तो अंत में उसने भी नंबर दे ही दिया. फिर मेरी उससे रोज़ बात होने लगी. धीरे धीरे मैं उसे पटाता गया. फिर हम रोज़ रात को फोन पर लम्बी बात करने लगे.
वो मुझसे काफी खुल गई थी. अब मैंने भी डबल मीनिंग की बातें शुरू कर दी थीं. धीरे धीरे मैंने उसे फोन सेक्स के लिए पटा ही लिया. अब हम रोज़ रात को फोन सेक्स चैट करने लगे थे.
एक दिन मैंने उसे मैसेज किया- क्या कर रही हो?
तो वो बोली- फ्री बैठी हूँ.
मैंने कहा- क्यों आज कोई काम नहीं है क्या?
वो बोली- आज मेरे पार्लर का हाफ डे है.. तो बस अकेली बैठी हूँ, बाकी सब लोगों की छुट्टी हो गई, पर मेरा कुछ काम था.. तो मैं अभी यही हूँ. अब काम ख़त्म कर दिया तो बस ऐसे ही कंप्यूटर पर फ़ोटो देख रही थी.
इतना सुनते ही मेरे मन में सेक्स का भूत जाग गया. मैंने सोचा यही अच्छा मौका है, मैंने उससे बोला- क्या मैं आ जाऊं?
उसने भी हां बोल दिया- हां आ जाओ.
मैं ऑफिस से छुट्टी लेकर सीधा उसके पार्लर में आ पहुंचा.
वो बैठी थी, मैंने जाते ही पहले दरवाजा बंद कर दिया और उसके पास वाली कुर्सी पर बैठ गया.
बातों ही बातों में मैंने उसके कंधे पर हाथ रख दिया. उसने कुछ नहीं कहा मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरना शुरू कर दिया. फिर धीरे धीरे उसकी पीठ की बगल से उसकी चूचियों को टच करना शुरू कर दिया. उसको मजा आने लगा था, इसलिए उसने मुझे नहीं रोका.
मैंने उसको अपनी तरफ घुमाया और अपने होंठ उसकी तरफ बढ़ा दिए. उसने भी अपने होंठ आगे कर दिए तो हमारी किसिंग भी चालू हो गई.
चूमाचाटी अपने चरम पर आ गई थी हम दोनों एक दूसरे के मुँह में जीभ डाल कर गरम होना शुरू हो गए थे. पार्लर का दरवाजा बंद था तो चिंता नहीं थी. मैंने उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया तो उसने भी मेरा सर अपनी चूचियों पर लगा दिया. मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखवा लिया तो वो मेरे लंड को मसलने लगी.
फिर मैंने वहीं पड़ी टेबल पर उसे चित लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया. कुछ ही देर में चुदाई का मूड बन गया और मैंने जल्दी जल्दी उसकी कमीज़ उतार दी. उसने अन्दर ब्लू ब्रा पहनी हुई थी.. जो कि उनको बहुत सूट कर रही थी. चूचियों को नंगा कर दिया तो उसने खुद ही अपनी सलवार खोल दी. मैंने भी उसकी चड्डी को निकाल दिया. अब वो पूरी नंगी मेरे सामने थी. मैंने नजर भर के उसको देखा, उसकी फिगर 36-30-37 की थी.
फिर मैं उसके के पूरे शरीर को चूमने चाटने लगा. मैंने उसको उल्टा लेटाया और पास रखी तेल की शीशी से तेल निकाल कर उसकी पीठ पर डाल कर मसाज करने लगा.
वो गरम आहें भर रही थी.
मैंने उसे सीधा किया तो उनकी चुत पूरी तरह क्लीन थी. मैं सफाचट चुत को देखते ही पागल हो गया और उसकी टाँगें अपने कंधों पर रख के सीधा चुत चूमने लगा. मैंने एकदम से उसकी चुत के होंठ खोल दिए और अपनी जीभ को अन्दर-बाहर करने लगा. वो गर्म होने लगी और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चुत पर दबाने लगी.
इस वक्त वो जोर जोर से कह रही थी- आह खा जाओ मेरी फुद्दी.. अह.. चाटो चूस.. चूस लो.. और जोर से.. आह.. और जोर से.
इस तरह काफी देर चूत चुसवाने के बाद आखिर में वो झड़ ही गई.
फिर वो मेरे लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगी.
मैंने पूछा- क्या तुम लंड चूसना चाहोगी?
पहले तो वो नानुकुर करने लगी. फिर अचानक उसने मेरे लंड को मुँह में डाल लिया और किसी एक्सपर्ट की तरह लंड चूसने लगी.
मैं पूरी तरह से पागल हो रहा था. निशा अपनी जीभ को लंड से आंडों तक रोल करने लगी और अंडकोषों को चूसने लगी. वो जोर जोर से लंड सक कर रही थी.
मैंने कहा- सच में यार तुम बड़ा मस्त तरीके से लंड चूसती हो.
तो वो शर्मा गई.
मैंने उसकी चूची दबा कर कहा- बताओ न किधर से सीखा.
तो बोली- अभी मजा लो बस.
मैंने भी सोचा कि मुझे जानकर भी क्या करना है. अभी तो बस इसकी चूत चुदाई का मजा लो और बाकी सब बाद में देखेंगे.
फिर मैं उसके ऊपर आ गया और अपने लंड को उसकी चुत पर रगड़ने लगा. वो तड़पने लगी और अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरे लंड को अपनी चुत के अन्दर लेने की कोशिश करने लगी. मैं समझ गया कि उसकी कामुकता पूरे उफान पर पहुँच चुकी है. अब मैंने सोचा कि अब इसकी गीली चूत में लंड घुसाने का सही वक्त आ गया है.
मैंने उसको टेबल से उठाया और दीवार के साथ खड़ा करके उसकी एक टांग उठाई और चुत में अपना लंड सीधा डाल दिया, जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में घुसा, वो दर्द से चीखने लगी.
मेरे पूछने पर उसने बताया कि वो काफी दिनों से किसी से नहीं चुदी है तो चूत टाइट हो गयी है.
जैसे तैसे उसकी चूत को ढीला करके लंड ने खुद के आने जाने के लिए रास्ता बनाया और हमारी धकापेल चुदाई शुरू हो गई. अब वो दीवार के सहारे घोड़ी बन गई थी और मैं पीछे से लंड पेल कर उसकी चुदाई कर रहा था. उसकी चूचियों को मस्ती से मसकता हुआ, मैं उसको दबा कर चोदे जा रहा था.
इस आसन में मैं उसे काफ़ी जोर-जोर से चोद रहा था. वो तो पागल हुई जा रही थी. उसकी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ जैसी गर्म आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं.
मैंने उसे लगातार 15 मिनट तक चोदा और आख़िर में मैंने नीचे फर्श पर लेट कर उसको अपने ऊपर बिठा लिया. चुत में लंड डाल कर मैं उसको फिर से पेलने लगा.
कुछ देर तक उसने मेरे लौड़े की सवारी की और इस फौरान मैं उसकी चूचियों को मरोड़कर गूँथता रहा, चूसता रहा. अब वो थक गई थी, तो उसको कमर से पकड़ कर मैं उसे ऊपर नीचे करने लगा.
आख़िर में मैंने उसे अपने नीचे लिया और मिशनरी पोज में चोदने लगा. वो एकदम शिथिल हो चुकी थी और जल्दी खत्म करने का कह रही थी.
अंत में मैंने अपना सारा लंड रस उसकी चुत में भर दिया.
तब तक काफी देर हो चुकी थी और उसको भी घर जाने में भी देर हो रही थी. हम दोनों ने कपड़े पहने, चुम्मा लिया और निकल गए.
उसके बाद हमने बहुत बार चुद्म चुदाई का खेल खेल कर मजे किए.. जिसके बारे में मैं आगे भी लिखता रहूंगा.
आप सभी से गुजारिश है कि आप मुझे मेल करके जरूर बताएं कि आपको मेरी हिंदी सेक्स कहानी कैसी लगी.