हॉट गर्ल नीड सेक्स … शादी तय होने के बाद मंगेतर से मिलना हुआ तो दोनों वासना की आग में जल रहे थे पर लड़की पारिवारिक बन्धनों के कारण पीछे हट रही थी.
दोस्तो, आपको मेरी कहानियों में रस आता है, यह आपसे मिलते ई-मेल से पता चलता है।
मेरी पिछली कहानी थी: देवर भाभी की चुदाई बनी हकीकत
आज की कहानी पिंकी और विजय की है।
पिंकी दिल्ली के एक धनाड्य परिवार की बिगड़ी हुई लड़की थी। उसमें गज़ब की सेक्स अपील थी। भरे हुए जिस्म और खरबूजे जैसे मम्मों के साथ उसको भगवान ने खूबसूरती और शोखपन भरपूर दिया था।
उसके पैसे वाले माता-पिता को उसके लक्षण अच्छे से मालूम थे इसलिए उसके 20 साल के होते ही पढ़ाई बीच में छुड़ाकर उसकी शादी लखनऊ के एक व्यापारी परिवार के लड़के विजय के साथ कर दी।
विजय अपने माँ बाप का इकलौता 25 साल का लड़का था पर उसके माता-पिता कानपुर रहते थे और विजय इतनी बड़ी कोठी में नौकरों के सहारे अकेला रहता था।
व्यापार खूब ज़ोरों पर था और विजय भी शौकीन था।
मारवाड़ी था तो व्यापार से तो कोई समझौता नहीं करता … पर व्यापार के बाद ऐश में कोई कमी नहीं।
बढ़िया जोड़ी बनी पिंकी और विजय की।
लड़की दिखाई की रस्म के दिन ही एकांत में बातचीत के दौरान पिंकी और विजय को समझ में आ गया था कि दोनों की आपस में खूब पटेगी।
शादी तय होने से शादी होने तक के पाँच महीनों में विजय 7-8 बार रात की ट्रेन से दिल्ली आया, दिन में होटल में रुका, पिंकी और विजय खूब मस्ती करते।
अगली रात को विजय वापिस चला जाता।
पिंकी के पिता ने दोनों को कई बार समझाना चाहा तो दोनों ने ही स्पष्ट किया कि वे अब अलग नहीं हैं. अगर बड़े चाहें तो वे कल ही कोर्ट मैरेज करवा दें।
बड़ी मुश्किल से पिंकी की माँ ने पिंकी को उसकी नानी से कसम देकर कहलवाया कि वो जो चाहे करे पर शादी से पहले सेक्स नहीं करे।
पिंकी को भी समझ में आया।
अब वो उनसे यह तो नहीं कह पायी कि विजय क्या वो तो अपने बॉयफ्रेंड के साथ पहले भी कितनी बार सेक्स कर चुकी है।
विजय होटल में बहुत कसमसाता।
पिंकी सब कुछ करती पर विजय को अपने जिस्म के अंदर नहीं आने देती।
और पिंकी बहुत तेज़ थी। उसने बचाव के लिए विजय के साथ कितनी ही अंतरंग फोटो अपने मोबाइल में ले रखी थीं।
पर दोनों एक दूसरे के लिए बहुत समर्पित थे।
दोनों ने ही अपने विगत को भूलते हुए एक दूसरे के लिए जीने की कसमें खाईं।
पिंकी कोशिश करती कि होटल के रूम में कम से कम देर को रुकें और बाहर ज्यादा घूमें।
तो वह अपनी गाड़ी लेकर आती थी. गाड़ी में दोनों चूमा चाटी जम कर करते।
पिंकी ने विजय को अपना दीवाना बना रखा था।
विजय ने पिंकी को एक से एक महंगे गिफ्ट दिये जिनको देखकर पिंकी की माँ की भी आँखें फटी रह गईं।
शादी से सवा महीने पहले पिंकी की नानी को गहरा हार्ट अटेक आया तो उनकी जिद पर उनके अस्पताल से आते ही एक पाँच सितारा होटल में आनन-फानन में दोनों की सगाई का कार्यक्रम करवाया गया।
अब शादी में मात्र एक महीना से भी कम समय बचा था।
आने वाले इतवार को विजय को दिल्ली आना था तो उसने पिंकी को पहले ही बता दिया।
पिंकी ने कहा भी कि कहीं बाहर मिलते हैं.
पर विजय बोला कि उसे हनीमून का डेस्टिनेशन फाइनल करना है तो वो उसे लैपटाप में कुछ फ़ोटोज़ दिखाएगा और कुछ शादी की प्लानिंग भी डिस्कस करनी है. तो पिंकी होटल ही आ जाये। इस बार वो ज्यादा समय होटल में रुकेंगे, फिर जैसा मन करेगा बाहर चले चलेंगे।
पिंकी समझ गयी कि इस बार विजय कुछ गड़बड़ जरूर करेगा।
सही बात तो यह थी कि अब उसकी जिस्म की आग भी बेकाबू हो रही थी।
सगाई के चक्कर में पिछले दो हफ्तों से दोनों अकेले में मिले भी नहीं थे।
पिंकी ने शनिवार को काफी समय अपने जिस्म को चिकना और चमकाने में दिया।
हालांकि पिछले हफ्ते सगाई से पहले पूरे जिस्म की पोलिश हुई थी।
पर बड़े लोगों का क्या … और फिर जवानी होती ही शौक पूरे करने के लिए है।
रविवार को सुबह आते ही विजय ने पिंकी को फोन किया और फोन पर ही जम कर चूमा-चाटी हुई दोनों की।
विजय पीछे पड़ गया कि जल्दी आ जाओ।
पिंकी ने उसे समझाया- अभी आऊँगी तो मम्मी समझ जाएंगी कि मैं होटल जा रही हूँ। मैं 11 बजे करीब निकलूँगी, उनसे कह दूँगी कि बाहर लंच करेंगे और मूवी देखेंगे। कुछ शॉपिंग भी करनी है। इस तरह हमें 6-7 घंटे मिल जाएँगे।
विजय मचलता रहा और पिंकी उसे बहलाती रही।
उसका फोन से चिपकना देख कर उसकी मम्मी ने उसे प्यार से डांटा- इससे तो तेरे को सगाई के दिन ही विदा कर देते तो चैन पड़ता।
दोनों हंस दीं।
पिंकी दस बजे घर से निकल ही ली।
उसने बहाना बनाया कि कुछ कपड़े ड्राईक्लीनिंग को देने हैं और रास्ते में उसकी सहेली प्रिया का घर पड़ता है तो वो उसे भी अपने साथ ले जाएगी।
यह सुनकर उसकी मम्मी को कुछ तसल्ली हुई।
पिंकी ने प्रिया को पहले ही कह दिया था कि वो सवा दस बजे मम्मी को फोन करके पूछे कि पिंकी फोन भी नहीं उठा रही और वो उसका इंतज़ार कर रही है।
अब मम्मी को बेवकूफ बना कर पिंकी साढ़े दस तक होटल पहुँच गयी।
विजय नीचे रिसेप्शन पर ही टहल रहा था।
उसने लपक कर पिंकी को गले लगाया. वो इससे आगे बढ़ता कि पिंकी ने उसे धकेल दिया और कहा- चलो कॉफी पिलाओ।
दोनों कॉफी शॉप में चले गए।
वहाँ विजय उसे छेड़ता ही रहा।
आज पिंकी की खूबसूरती उबाल खा रही थी, गुलाबी रंग की स्लीवलेस फ्रॉक और रेड नेल पेंट से सजे उसके हाथ पैर के नेल्स, महकता जिस्म और ऊंची पेंसिल हील उसके गदराए जिस्म को और दीवाना बना रहे थे।
कॉफी शॉप से फ्री होकर दोनों लिफ्ट से रूम में पहुंचे।
लिफ्ट में विजय ने हर हद पार करने की कामयाब कोशिश की।
आज तो पिंकी भी उसका पूरा साथ दे रही थी।
रूम में पहुँचते ही विजय ने पिंकी को चिपटा लिया।
दोनों बेल की तरह लिपट गए।
पिंकी बोली- विजय, अब बर्दाश्त नहीं होता। आई नीड सेक्स … कैसे काटेंगे ये 20 दिन?
विजय शरारत से बोला- एक काम करते हैं, दोनों भाग चलते हैं। सीधे शादी वाले दिन आएंगे।
पिंकी हंस कर बोली- फिर शादी वाले दिन क्यों आएंगे, सीधे 9 महीने बाद बच्चे को लेकर आएंगे.
विजय ने कहा- चलो, आज तैयारी शुरू कर लें फिर तो!
पिंकी ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा- खबरदार जो हाथ लगाया तो! कुछ तो सुहागरात के लिए छोड़ दो।
विजय उसके लिए हीरे के टॉप्स और ब्रेसलेट लाया था।
बहुत सुंदर थे।
पिंकी खुश हो गयी और एक बार फिर चुंबनों की बौछार कर दी उसने विजय के ऊपर!
विजय ने उसे घुटनों से उठा कर गोदी में उठा लिया और उसकी फिर हाथ ढीले किए तो पिंकी फिसल कर नीचे आ गयी.
पर इस खुराफात में अब विजय ने उसकी फ्रॉक कमर तक उठा दी और अपने हाथों से उसकी नाजुक कमर पर घेरा बना दिया और अपने होठ पिंकी के होठों से मिला दिये।
यह पहला मौका था कि पिंकी को घबराहट हुई।
इससे पहले वो बहुत आगे तक जा चुके थे, पर पिंकी को आज हालात बेकाबू दिख रहे थे।
पिंकी और ज़ोर से विजय से चिपट गयी।
दोनों की साँसें और धड़कनें बढ़ गयी थीं।
विजय ने पिंकी की फ्रॉक को और ऊपर उठाना चाहा तो पिंकी ने थरथराती आवाज़ में विजय से कहा- नहीं विजय, ये गलत होगा।
पर वो खुद चाह रही थी आज कुछ गलत हो ही जाये।
विजय ने पिंकी को फिर गोद में उठा लिया और बेड पर लिटा दिया।
दोनों फिर लिपट गए।
विजय ने उसकी फ्रॉक उतार दी।
पिंकी एक झीनी ब्रा पेंटी सेट सेट में रह गयी।
विजय ने झटपट अपने कपड़े उतार दिये और सिर्फ अंडरवियर में आ गया। वह पागलों-सा पिंकी के बदन को चूम रहा था।
पिंकी की ब्रा खोल कर विजय ने उसके कबूतरों को आज़ाद कर दिया।
विजय तो मानों पागल हो उठा ये नज़ारा देख!
मम्मों को आहिस्ता-आहिस्ता चूमते हुए विजय नाभि से होता हुआ नीचे बढ़ा और पेंटी के ऊपर से ही उसने पिंकी की गीली चूत को चूमते हुए जीभ नीचे पहुंचाई।
विजय ने पिंकी के गोरे गोरे तलवों को चूमते हुए उसके अंगूठे को मुख में ले लिया।
धीरे धीरे विजय उसकी गोरी टांगों को चूमता हुआ वापिस पिंकी की पेंटी तक पहुंचा।
उसने पेंटी को एक तरफ सरका कर पिंकी की चिकनी मखमली चूत में जीभ घुसा दी।
पिंकी सिहर गयी।
वो बिन पानी मछली सी तड़पने लगी।
उसने विजय को ऊपर खींच लिया और एक हाथ से उसका फनफनता लंड जकड़ लिया।
दोनों के होंठ मिल गए।
विजय पिंकी में समाने को बेताब था।
पिंकी के हाथों में मचलता लंड पिंकी की चूत में घुसने को बेताब था।
और पिंकी की चूत भी अपने दीवाने को आत्मसात करने के लिए पानी बहा रही थी।
पिंकी नीड सेक्स … उसने विजय के लंड को धीरे से अपनी चूत के मुहाने पर रखा।
इससे पहले कि बात आगे बढ़ती, पिंकी का फोन बज उठा।
उसकी मम्मी का फोन था कि नानी नहीं रहीं।
पिंकी रो पड़ी।
वो रोते हुए बोली- नानी नाराज़ होकर गईं हैं, मैंने उनसे किया वादा आज तोड़ना चाहा था।
पिंकी और विजय दोनों अस्पताल गए।
वहाँ उन्हें बताया गया कि पिंकी कि नानी की आखिरी ख़्वाहिश यह थी कि पिंकी की शादी न टाली जाये और खूब धूमधाम से की जाए।
अब पिंकी और विजय ने तय किया कि अब शादी के दिन ही मिलेंगे।
प्रिय पाठको, अभी तक की कहानी आपको कैसी लगी?