हेल्लो दोस्तो, मैं हर्ष पाटिल एक बार फिरसे आया हूँ एक नयी कहानी लेकर. कैसे हो आप सब आशा है आप सब खुश होंगे और अपने अपने चुदाई मे मस्त होंगे.
जो नये रीडर्स है उनके लिए अपना परिचय देता हूँ. मैं नवी मुंबई मे रहता हूँ. मेरी एज 27 इयर्स है.
ये जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ वो कहानी जब मैं कालेज मे था तब घटी थी. इस कहानी की दो हीरोइन है..
एक है मेरे फ्रेंड अमय की गर्ल फ़्रेंड जिसका नाम मेधा है और दूसरी उसकी फ्रेंड है जिसका नाम नेहा है. अमय और मैं हम दोनो स्कूल से ही एक दूसरे को पहचान ते थे. इसीलिए हमने सेम कालेज मे अड्मिशन ले लिया.
फिर जब हम सेकेंड इयर मे थे तभी हमारे कालेज मे फर्स्ट इयर के लिए मेधा और नेहा ने अड्मिशन ले लिया. मेधा दिखने मे एकदम मस्त थी.
मेरे फ्रेंड को वो पसंद आई. और उसने उसे पट्टा भी लिया था. अब वो दोनो मे जो भी होता था अमय मुज़े बताते रहता था.
ऐसेही दिन निकलते जा रहे थे मैं अभी तक सिंगल ही था. फिर एक दिन उन दोनो का मूवी का प्लान हुआ. और उन्होने मुझे ऐसेही पूछ लिया.
अमय: यार हर्ष चल मूवी देखने जाते है.
मैं: अरे यार मैं क्या करूँगा आके तुम दोनो जाओ मस्त एंजाय करो.
अमय: अरे यार उसकी फ्रेंड भी आ रही है नेहा. तू उसे कंपनी दे देना.
मैं: नही यार मैं इन सब चक्कर मे नही पड़ता. तुम लोग जाओ.
तभी वाहा पे मेधा आई और अमय ने उसे बताया के मैं नही आ रहा हूँ. फिर वो भी मुझे चलने के लिए मनाने लगी.
मेधा: अरे चल ना हर्ष . मेरी फ्रेंड भी आ रही है. तो प्लीज़ तू उसे कंपनी दे देना.
अमय: प्लीज़ यार और तू आया तो हमे भी थोड़ा एंजाय करने मिलेगा नही तो फिर मूवी ही देखनी पड़ेगी.
और फिर हम तीनो हसने लगे फिर मैने भी हा कर दी. और हम लोग मूवी देखने चले गये. सुबह का वक़्त था तो ज़्यादा भीड़ नही थी.
हम चारो ने कॉर्नर की सीट ली थी. अब पहले अमय बैठा था उसके बाजू मे मधु उसके बाजू मे नेहा और फिर मैं. और हमारे आगे की सीट पर भी एक कपल बैठा था.
मूवी चालू हो गयी. अब उसमे बीच मे बीच मे कुछ रोमॅंटिक सीन आ रहे थे. और अब अमय और मेधा भी चालू हो गये और हमारे सामने वाला कपल भी.
अब मैं और नेहा दोनो ही कभी इधर उधर देखते कभी मूवी देख रहे थे. शायद उसकी भी हालत मेरी जैसी ही हो रही थी. फिर हम दोनो बातें करने लगे.
नेहा: तुम्हारी कोई गर्ल फ़्रेंड नही है क्या.
मैं: नही तभी तो तुम्हारे साथ बैठा हूँ. वैसे मुझे प्यार व्यार के चक्कर मे इंटेरेस्ट नही है ज़्यादा.
नेहा: तो फिर किसमे इंटेरेस्ट है.
मैं: है जब कभी टाइम आएगा तब बताउँगा.
बातें करते करते हमारी नज़र सामने पड़ी वाहा जो कपल बैठा था. उसका काम तो जोरो शोरो से चालू था. और उसकी वजह से अब मैं भी गरम होने लगा था.
मैने एक बार नेहा को देखा वो भी उन्ही को देख रही थी. फिर उसने भी मुझे देखकर उनकी तरफ इशारा किया.
अब मैने जान बुझ कर अपने होंठ उसके कान के पास ले गया और उससे बात करते करते उसके कानो को अपने लिप्स से टच करने लगा था.
उसे भी शायद ये अच्छा लगा और उसने धीरे से मेरा हाथ पकड़ लिया. और अब मैं भी आगे बढ़ने के लिए तयार था. अब वो भी मेरे करीब आई.
नेहा: हर्ष.
मैं: ह्म्म्म्मम कहो ना.
नेहा: मुझे कुछ हो रहा है. अब और रहा नही जाता ये सब देखकर.
मैं: मुझे भी कुछ हो रहा है ज़रा वाहा देखो ना अमय और मेधा.
मैने ये कहा और वो भी वाहा देखने लगी. दोनो किस कर रहे थे और एकदुसरे के बदन सहला रहे थे. फिर नेहा ने मेरे तरफ देखा और हम दोनो भी रुक नही पा रहे थे माहॉल थोड़ा गरम था.
अब मैने आगे बढ़कर उसके होंठो को किस किया, पहले तो वो स्टॅच्यू की तरह थी. लेकिन फिर वो भी रेस्पॉन्स देने लगी.
अब मेरे हाथ भी उसके बदन पर घूमने लगे उसे भी अच्छा लगने लगा था. अब मैं भी बीच बीच मे उसे चूमता और उसके बूब्स को दबा रहा था.
बस उतना ही मज़ा हम दोनो थियेटर मे ले पाए उस दिन लेकिन जो आग लगी थी वो सुलग रही थी दोनो के मन मे.
उसके बाद कुछ दिन गुजर गये. हम दोनो जब भी सामने आते तो कुछ ना कुछ दोनो के मन मे हो रहा था. फिर एक दिन मेधा का बर्तडे था. और हम सब शाम को उसका बर्तडे सेलेब्रेट करने उसके घर गये थे. उधर नेहा भी आई थी.
फिर मेधा का बर्तडे सेलेब्रेशन और सब लोग यूँही बातें कर रहे थे. और हम दोनो चुपके चुपके एक दूसरे को देख रहे थे.
तब मैं वाहा से उठा और फोन का बहाना करके टेरेस पर आगया. उधर साइड मे एक छोटासा रूम भी था. शायद सोने के लिए बनाया था. फिर थोड़ी देर बाद वाहा पे नेहा भी आ गयी मुझे पता था वो ज़रूर आएगी.
नेहा: हे हर्ष क्या कर रहे हो?
मैं: अरे तुम यहा बाकी सब क्या कर रहे है.
नेहा: सब नीचे है एंजाय कर रहे है. तुम क्या कर रहे हो अकेले यहा पे.
मैं: कुछ नही यार मन नही लग रहा था नीचे इसीलिए उपर आ गया.
नेहा: क्यू क्या है आजकल तुम गुम्सुम से से रहते हो. मेधा भी कह रही और अमय भी.
मैं: सच कहु तो उस दिन जब हम मूवी से आए तब से कुछ अधूरा अधूरा लग रहा है पता नही क्यूँ.
नेहा: एक बात कहु
और वो मेरे करीब आकर बातें करने लगी.
मैं: कहो ना.
नेहा: मुझे भी ऐसेही लग रहा है. कुछ अधूरा अधूरा.
अब मैं भी उसके और करीब गया लेकिन वो हिली नही वैसे ही खड़ी रही.
मैं: शायद ये सब उसी की वजह से है जो हमने मूवी थियेटर मे अधूरा छोड़ा था.
नेहा ने अब अपनी पलके नीचे करली और हल्की सी स्माइल दी. मैं भी समझ गया यही सही मौका है. टेरेस पे हमे कोई भी देख लेता था.
इसीलिए मैने उसका हाथ पकड़ कर उस रूम मे ले गया. और दीवार के सहारे उसे खड़ा किया. अब हम दोनो की साँसें तेज हो गयी शायद उसे भी पता चल गया था. लेकिन फिर भी उसने कहा.
नेहा: हर्ष कोई आ गया तो.
मैं: कोई नही आएगा नीचे सब अपनी मस्ती मे है.
अब मैं उसका हाथ पकड़ कर धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था उसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी. और फाइनली मैने उसके होंठों को चूमना चालू कर दिया. वो भी मस्त रेस्पॉन्स दे रही थी.
हम दोनो एक दूसरे को चूमते चूमते बेहद गरम हो रहे थे. फिर मैं धीरे से उसके गाल, कान गर्दन पर चूमने लग गया. और मेरे हाथ उसके पूरे बदन को सहला रहे थे.
नेहा: ऑश हर्ष ह्म.
मैं: ह्म नेहा तुम बोहोत प्यारी हो उम्माआअ.
फिर मैं धीरे धीरे उसके बूब्स को उसके ड्रेस के उपर से ही दबाने लग गया था. वो भी अब मेरे पीठ को सहला रही थी और धीरे धीरे मेरा टी-शर्ट निकाल दिया. अब मैने भी सोचा ज़्यादा देर कर दी तो गड़बड़ हो सकती है इसीलिए उसका भी टॉप और लेगैंग्स उतार दिया.
उसने अंदर मरून कलर की ब्रा और पेंटी पहनी थी वाह कयामत लग रही थी उसमे. मैं भी अब अंडरवेर मे था.
फिर मैने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके बाजू मे लेट गया. अब हम दोनो एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे थे.
नेहा: ऊहह. हर्ष जल्दी करो अब मुझसे और रहा नही जाता.
और इतना कहकर वो मेरे अंडरवेर मे से लंड बाहर निकाल कर अपने हाथों से सहला रही थी. अब मैं भी उसकी चूत मे उंगली डाल कर उसके बूब्स चूसने लगा था. वो भी मेरा लंड ज़ोर ज़ोर से हिला रही थी.
मैं: नेहा तुम्हारे बूब्स कितने प्यारे है, इन्हे चूसने मे बेहद मज़ा आरहा है, अहह उम्म्म्ममम.
नेहा: तो चूसो ना हर्ष. मूज़े बोहोत अच्छा लग रहा है आअहह, लेकिन अब देर ना करो जल्दी से मेरी चूत मे तुम्हारा लंड डाल दो, काफ़ी देर हो गयी है हमे उपर आए हुए.
मैने भी वक़्त की नज़ाकत देखते हुए. उसे सीधा किया और मिससिओनेरी पोज़ मे अपना लंड उसकी चूत के मूह पर रखा और रगड़ने लगा था. फिर धीरे धीरे अंदर डाल दिया.
नेहा: आआहहहाः हर्ष प्लीज़ धीरे धीरे ही करना तुम्हारा लंड बड़ा है. आआहहहहः प्लीज़.
मैं: हा जानू डॉन’त वरी. तुम्हे तकलीफ़ नही होगी.
अब मैने फिर से उसे धक्के लगाने शुरू किए, अब उसे भी मज़ा आरहा था. अब वो भी नीचे से मेरा साथ दे रही थी. फिर मैं उसको गोद मे उठाके चोदने लगा.
तभी मुझे लगा कोई खिड़की पे है. मैं वाहा देखा तो मेधा थी और उसने मेरी और देखकर मुस्कुराया और वाहा से चली गयी. लेकिन मैने ये बात नेहा को नही बताई.
वो बस अपनी आँखे बंद किए मोन कर रही थी. अब मैने उसे डॉगी पोज़ मे बेड पर बिठाया और पीछेसे उसे चोदने लगा. सच मे दोस्तो पोज़ बदल बदल चोदने मे बेहद मज़ा आता है.
फिर थोड़ी देर बाद मैने उसे अपने उपर लिया और वो उपर से मुझे चोदने लगी.
नेहा: अहह हर्ष ई कूम्म्मिंग अहह.
मैं: एसस्स, बेबी मईए तूऊऊ आअहह.
फिर दोनो भी एकसाथ झड़ गये. आआहहहहाआहहाः, उसके बाद पाँच दस मिनिट हम लेटे रहे फिर कपड़े पहन कर नीचे आ गये. नीचे सब खाना खाने की तयारि करने लगे हुए थे. फिर हम भी उनमे शामिल हो गये.