मेरा नाम मनोज है मैं एक बड़े शहर में रहने वाला हूँ. मेरे घर के पास एक अंकल का परिवार रहता है. उनकी 3 बेटियां हैं.. लड़का एक भी नहीं है. मेरा उनके घर में काफी आना-जाना है, वो मुझे अपने लड़के की तरह चाहते हैं. उनकी सबसे छोटी लड़की डिम्पल 12वीं क्लास में पढ़ती है और मैं कॉलेज का स्टूडेंट हूँ.
एक बार मैं उनके घर गया.. तो डिम्पल अपने बाल सुखा रही थी.
मैं उससे बातें करने लगा. वो भी मुझसे बातें करने लगीं.
मैंने कहा- कल तुम गली में उस लड़के के साथ क्या कर रही थीं.
डिम्पल डर गई और बोली- आप प्लीज़ किसी से मत बताना.. आप जो चाहोगे मैं दे दूँगी.
उसकी ‘देने’ की बात सुन कर मैंने चुप हो गया और वो मुस्कुराने लगी.
मैंने देखा कि वहाँ और कोई नहीं था. तभी वो बाल झड़ाने के लिए झुकने लगी.. तो मैं उसके बोबे देख दंग रह गया.. एकदम गोल-गोल गोरे-गोरे बिल्कुल टाइट संतरे थे, मेरा लंड खड़ा हो गया.
उसने मुझे देखा और बोली- तुमने और क्या देखा था?
मैंने कहा- वो सब कुछ.. जो नहीं देखना चाहिए था.
वो मुस्कुरा कर बोली- आप बड़े वो हो.
मैं हँस दिया तो वो मुझसे फ्रेंक होकर बातें करने लगी.
वो बोली- मैं पहली बार उसके कहने पर गई थी, हम दोनों सेक्स के टॉपिक पर बातें करने लगे. कुछ देर बाद उसका हाथ मेरे दूध पर चलने लगा तो मैं गर्म होने लगी.
‘फिर?’
‘फिर मैंने भी उसकी पैन्ट की चैन खोलकर उसका लंड निकाल लिया और हाथों से हिलाने लगी. मैं जैसे-जैसे उसको आगे-पीछे करती जा रही थी.. वो गर्म होते जा रहा था. वो मेरे दूध को मुँह से पीने लगा और सहला रहा था. उसने मेरी कमीज़ के बटन खोल कर मेरी ब्रा को ऊपर कर दिया और मेरा एक दूध पूरा निकाल कर दबा-दबा कर पीने लगा.
मुझे डिम्पल की खुल्लम-खुल्ला बातें सुन कर मजा आ रहा था और शायद वो भी मुझे गर्म कर रही थी.
मैंने उसे उकसाते हुए पूछा- लेकिन तुम्हारी टांगें तो नंगी थीं.. क्या तुम्हारी चुदाई हुई थी?
डिम्पल- वही तो बता रही हूँ.. सुनो तो.. जैसे उसने मुझे दीवार की आड़ में खड़े करके मेरे कपड़े उतारे और खड़े-खड़े ही मुझे चोदने के लिए जैसे ही उसने अपना लंड मेरी चूत में डाला.. मैं चिल्ला उठी, मेरी चूत से खून बहने लगा. मेरे चिल्लाने से वो डर कर भाग गया और मैं बड़ी मुश्किल से कल घर आ पाई.
मैंने पूछा- अब दर्द कैसा है?
वो बोली- अब बिल्कुल ठीक है.
हम दोनों ने कुछ देर और बात की फिर नीचे आ गए.
इसके बाद मैं जब 3 दिनों के बाद उसके घर गया.. तो वो पलंग पर लेटी थी.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- अच्छा नहीं लग रहा है.
मैंने उसके माथे को छुआ तो सब नार्मल था. वो मुस्कुराने लगी और उसने मुझे अपने पास बैठा लिया. घर पर सभी थे.. तो मैंने एक पेपर उठा कर अपनी गोद में रख लिया और पढ़ने लगा. वो पेपर के नीचे से मेरे अन्दर हाथ डाल कर पैन्ट के ऊपर से मेरे लंड को पकड़ने लगी.
मैं कुछ नहीं बोला क्योंकि उसकी बहन मेरे सामने खड़ी थी. अब धीरे से उसने अपना हाथ नीचे से डाला और पैन्ट की चैन खोलकर अंडरवियर के अन्दर हाथ डाल कर मेरे लंड को सहलाने लगी.
मैंने देखा वो गर्म होने लगी थी. उसकी बहन के बाहर जाते ही उसने एकदम से मेरे लंड को पैन्ट से बाहर खींच लिया और घोंटने लगी.
वो मेरे लंड को आगे-पीछे करके मुझे गर्म करने लगी. मैं भी उसके बटन खोलने लगा, मैंने उसकी कमीज़ के दो बटन खोले दिए और देखा कि उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी.
उसकी चूचियां एकदम गर्म टाइट थीं, मैं उसकी चूचियों को हाथों से सहलाने लगा. उसने पूरी गर्म होकर अपने पैर फैला दिए.
अब मैंने उसकी स्कर्ट को हटाना चाहा तो वो बोली- पहले चादर उढ़ा दो.
मैंने चादर को उसके ऊपर डाल दिया, उसने जल्दी से स्कर्ट खोलकर पैन्टी भी नीचे खिसका दी. मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा.
उसने मुझे खड़ा कर दिया और लंड मुँह में लेते हुए पीने लगी, मैं उसकी चूत में उंगली पेल कर मज़ा लेने लगा. उसकी चूत गीली होने लगी.. जिससे मेरी उंगली आसानी से अन्दर-बाहर हो रही थी.
मैं अब 2 उंगलियां चूत में डालने लगा, वो मुझसे लिपट कर पूरा लंड मुँह में रख कर कुल्फी की तरह चूसने लगी.
मेरे लंड से अब वीर्य निकलने ही वाला था, मैंने कहा- अब मत चूसो.. मैं झड़ने वाला हूँ.
उसने कहा- तुम भी थोड़ा जोर-ज़ोर से सहलाओ.. मैं भी झड़ने वाली हूँ.
मैंने फुल स्पीड से उसकी चूत में उंगली डाल कर हिलाने लगा.. तभी एकदम से वो काँप उठी और उसने अपनी साँसों को तेज कर दिया.
मैंने देखा वो ऊपर को उठी और एकदम से अकड़ गई.. और उसी पल उसका पूरा रस मेरी उंगलियों में आ गया.
इधर मेरा लंड भी छूटने को हो गया, मैंने जल्दी से लंड बाहर निकाला ही था कि वीर्य निकलने लगा. उसने चादर के छोर को मेरे लंड के ऊपर रख दिया और सारा वीर्य उसमें ले लिया.
अब वो मुस्कुरा दी फिर बोली- कल नीता के घर एक बजे आना.. मैं वहीं मिलूँगी.
दूसरे दिन जब में उसकी सहेली नीता के घर गया.. तो वे दोनों स्कूल ड्रेस में खड़ी मेरा इंतजार कर रही थीं.
मैंने पूछा तो डिम्पल बोली- ये भी मज़ा लेना चाहती है. आज हम दोनों को मज़ा करना है तुम दोनों को चोद पाओगे?
मैंने कहा- ऐसी बात है.. तो ठीक है.
नीता मुझे अपने कमरे में ले आई.
उन दोनों ने तय किया कि पहले ये नीता चुदेगी.
फिर नीता और डिम्पल मेरे बदन से लिपट गईं.. और अपने बोबे मेरे सीने में दबाने लगीं.
मैंने भी उनकी कमीज़ और स्कर्ट खोलकर जिस्मों से अलग कर दिए, अब वो दोनों समीज़ और पैन्टी में खड़ी थीं.
मैं नीता की जाँघों को सहलाते हुए उसकी पैन्टी के पास आ गया. उसकी पैन्टी नाड़े वाली थी, मैंने एक झटका मारा तो उसकी चड्डी का नाड़ा पूरा खुलकर ढीला हो गया और पैन्टी खिसक कर नीचे आ गई.
नीता ने मेरे कपड़े उतार कर मेरे लंड को हाथ में ले लिया और सहलाने लगी, तब तक मैंने उसकी समीज़ भी ऊपर करके निकाल दी.
उधर डिम्पल ने भी अपने कपड़े उतार फेंके थे, अब सभी नंगे हो गए थे.
मैं नीता के बिस्तर पर बैठ गया और नीता के होंठों चूमने लगा, मैंने नीता के मम्मे दबाना शुरू कर दिए और वो मेरे बगल में पलंग पर चित्त लेट गई.
उसने मुझे नीचे खड़ा कर दिया, मैं नीता के मम्मों को सहलाने लगा, उधर डिम्पल ने मेरा लंड मुँह में ले लिया और लंड चूसने लगी. इधर मम्मे मसलवाने से नीता गर्म हो गई और वो अपनी चूत को मेरे लौड़े के सामने खोल दी और चूत में लंड लेने के लिए अपनी कमर उठाने लगी.
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी वो चिहुंक गई और अपनी चूत को दोनों हाथों से फैला कर मुझे चूत पिलाने लगी.
इधर डिम्पल ने मेरा लंड चूस-चूस कर बुरा हाल कर दिया था.
मैंने अब 2 उंगलियां नीता की चूत में डाल कर अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया, वो चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गई थी.
मैंने नीता से पूछा- तुमने कभी चूत चुदवाई है?
वो बोली- तुम पहले हो.
मैंने डिम्पल से कहा- तुम जाकर तेल ले आओ.
वो तेल की बोतल ले आई, मैंने उसकी चूत की दोनों फांकों के बीच में तेल डाल दिया और उंगली से हिलाने लगा.
वो तड़प गई.
अब मैंने अपने लंड में तेल लगाकर डिम्पल से कहा- तुम अपने हाथ को इसके मुँह पर रखो ताकि ये चिल्ला ना पाए.
मैंने चूत के छेद में लंड का सुपारा रख कर हल्का धक्का लगा दिया, मेरा लंड आधा घुस गया, नीता के आँसू निकल पड़े, वो छटपटाने लगी तो डिम्पल ने मुझे रुकने को कहा.
मैंने आधा लंड नीता की चूत में डाले रखा और डिम्पल नीता के मम्मे मसलने लगी. मैं भी उसको पेट पर चूमने लगा.. फिर जाँघों में चूमा.
कोई 2 मिनट बाद डिम्पल ने कहा- अब पेल धीरे से..
डिम्पल ने यह कह कर नीता के मुँह पर अपना हाथ रख दिया, मैंने झटके से लंड को चूत में पेल दिया, चूत से खून निकल आया.. वो तड़प कर चीख पड़ी और रोने लगी.
मैंने झट लंड बाहर खींच लिया क्योंकि वो दर्द सहन नहीं कर पा रही थी. मुझे भी इतनी कसी चूत में लंड पेलने से दर्द हो उठा था.. मैंने उसको छोड़ दिया.
अब डिम्पल ने लंड को पोंछ कर अपने मुँह में ले लिया और धीरे-धीरे अन्दर लेते हुए चूसने लगी. मेरे लंड में जो दर्द था वो गायब हो गया.
मैंने डिम्पल को पलंग पर पैर फैला कर लेटने को कहा उसने फैला दिए तो उसकी चूत उभर कर खिल उठी. मैंने डिम्पल की चूत में तेल लगाया और पूरा का पूरा लंड एक झटके में डाल दिया.
वो मुझसे ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ बोल कर लिपट गई, मैं स्पीड से उसको चोदने लगा. डिम्पल ने अब दोनों पैर अपने हाथों से उठा लिए और लंड का मज़ा लेने लगी.
मैं उसकी धकापेल चुदाई करने लगा.
कुछ देर बाद डिम्पल शांत होने को थी, मैंने लंड खींच कर उसे खड़ा कर दिया और उसे घोड़ी बना दिया. अब मैंने उसकी कमर पकड़ कर पीछे से चूत में लंड ठोक कर चूत की चुदाई करने लगा.
कुछ ही धक्कों बाद वो झड़ गई. मैंने तेल वाली उंगली उसकी गांड के अन्दर डाल दी.. वो दर्द से कराह उठी, उसने कहा- उंगली वहाँ से निकालो.
मैं उसकी बात को अनसुना करते हुए उसकी गांड में उंगली अन्दर-बाहर करने लगा. कुछ ही पलों में वो अपनी गांड में मेरी उंगली का मज़ा लेने लगी.
इधर नीता गर्म हो गई.. और वो खुद को चोदने के लिए कहने लगी.
मैंने कहा- तुम पहले डिम्पल की चूत चाटो और जरा गर्म हो जाओ.
जैसे ही नीता की जीभ डिम्पल की चूत में लगी.. वो ‘आह्हह..’ करके मज़ा लेने लगी. मेरा लंड भी डिम्पल की चूत में घुसा हुआ था. नीता मेरे अंडों को भी चूसती जा रही थी.
नीता ने डिम्पल की चूत चाटते हुए अपनी 2 उंगलियां अपनी चूत में डाल लीं और हिलाने लगी.
अब नीता भी गर्म हो गई थी, उसने कहा- अब मेरी चूत रेडी है तुम अपने लंड से इसे चोद दो.
मैंने लंड डिम्पल की चूत से निकाल कर नीता की चूत में डाल दिया. नीता मुझसे लिपट गई और मुझे किस करने लगी.
थोड़ी ही देर में नीता की चूत ने मेरे लंड से दोस्ती कर ली और मैंने स्पीड से उसको चोदना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में नीता झड़ गई उसकी गर्म धार से मेरे लंड ने भी उल्टी कर दी.
नीता ने मुझे गले से लगा लिया.
इस तरह मैं उन दोनों की चुदास को शांत करके खुद के लौड़े को भी मजा दे दिया था.