दोस्तो, मेरा नाम दिव्या है और मैं अहमदाबाद गुजरात की रहने वाली हूँ. मैं अट्ठाईस साल की हूँ. मेरा बदन बहुत खूबसूरत है. मेरा फिगर 34-30-36 का है. मेरी शादी हुए एक साल हो गया है. पति दूसरे शहर में जॉब करते हैं, तो महीने में एक बार घर आते हैं. पर इस बार उनकी कंपनी ने उनको चेन्नई भेज दिया. अब उनको चार महीने तक उधर ही रहना है.
इधर मेरे सास ससुर को अपने गांव जाना पड़ा, तो वे मुझे भी साथ लेकर गए. मुझे गांव में रहने की आदत नहीं थी तो वहां इधर मुझे सब अलग सा लग रहा था. हालांकि गांव में सभी ने हमारा स्वागत किया. गांव में रात को सबने खाना खाया और बाहर बैठ कर बातें कर रहे थे.
तभी एक पड़ोस का लड़का आया. वो कोई बीस साल का होगा. उसका शरीर मजबूत लग रहा था. लड़का हमको अपने घर चाय पिलाने के लिए ले गया. उनके घर पर उसके चाचा ही थे, जो पचास साल के लग रहे थे. मैंने और हमारी सास ने चाय पी. चाय पीते वक्त लड़का मेरे चुचे ही देख रहा था. उसका यूं मेरी जवानी को ताड़ना मुझे भी अच्छा लगा. मैं हल्के से मुस्कुरा दी, तो वो भी मेरी ओर देख कर मुस्कुरा दिया. मैंने भी दुबारा मुस्कुराते हुए मानो उसे स्वीकृति दे दी.
तभी मेरी निगाह एक बार के लिए चाचा जी के बलिष्ठ शरीर पर भी गई. वे भी मेरी चूचियों को बड़ी लालसा से निहार रहे थे. मैंने भी जरा बेशर्म होकर अपना पल्लू ढलका दिया, जिससे मेरी चूचियों की दरार उजागर हो गई.
मेरा आंचल ढलका देखकर वो लड़का उठकर अन्दर चला गया. हालांकि एक मिनट से भी कम समय में वो वापस भी आ गया.
चाचाजी ने उसके आते ही अपनी नजरें हटा ली थीं. इसी के साथ मुझे चाचाजी की धोती में कुछ हरकत सी होती दिखी, जिससे मेरे होंठों पर एक कातिलाना मुस्कान बिखर गई.
कुछ देर बैठने के बाद हम दोनों अपने घर पे आने लगे, तो उसने धीरे से मेरे हाथ में एक कागज की एक चिट्ठी पकड़ा दी. मैं समझ गई कि ये लड़का चिट्ठी लिखने ही अन्दर गया था.
मैंने घर आके उसको पढ़ा, तो उसमें लिखा था:
‘नमस्ते, मैं अजय हूँ, मुझे लगता है कि आपको कुछ चाहिए है. अगर आपकी मर्जी हो तो मैं आज रात को अपने चाचा को दारू पिला दूंगा. फिर हम दोनों मेरे कमरे में मजा कर सकते हैं.’
मैंने अपनी खिड़की से देखा तो वो लड़का मेरी ओर ही देख रहा था. मैंने उसे गर्दन हिलाकर हां का इशारा कर दिया. वो बहुत खुश हो गया.
रात को मैं सास ससुर के सोने का इंतजार करने लगी. मैंने सुबह ही चुत के बाल साफ कर लिए थे. रात को सोने से पहले मैंने ब्रा पैंटी सब निकाल के एक सामने से खुलने वाली नाइटी पहन ली, ताकि जल्दी से निकाली और पहनी जा सके.
रात के तकरीबन एक बजे मैं अपने कमरे से निकली. सास ससुर सो गए थे. मैं अजय के घर में घुस गई. उसमें दो कमरे थे. मैं एक कमरे में घुस गई. उसमें अजय ही एक खाट पर लेटा था. मैं उसके साथ लेट गई.
वह एक छोटी सी चड्डी पहन कर लेटा हुआ था. उसने अपनी चड्डी निकाल दी और मेरी नाइटी भी उतार दी. वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे गाल, होंठों को चूमने लगा. वो मेरे चुचे भी बड़ी जोर से दबा रहा था. मुझे उसके हाथ एकदम लोहे जैसे लग रहे थे.
हालांकि मुझे दर्द सा हो रहा था लेकिन चुदने की चाहत से मुझे इस दर्द में भी आनन्द मिल रहा था. मैं उसका साथ देने लगी थी. वो मेरे ऊपर एकदम से छाया हुआ था. उसका लंड चुत पे ही स्पर्श कर रहा था. उसके कड़क लंड का अहसास पाते ही मैं भी एकदम से गर्म हो गई थी.
उसने भी झट से मेरे पैर फैला दिए और चुत पे बहुत सारा थूक लगा दिया. उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपना लंड पकड़ा दिया. उसके शरीर के हिसाब से लंड छोटा था. शायद पांच इंच से ज्यादा बड़ा नहीं था. लेकिन एकदम हार्ड था. मैंने चुत के छेद पे लंड को रख के धक्का मारने के लिए इशारा किया. उसने हल्का सा धक्का मारा, तो उसका लंड थोड़ा अन्दर घुस गया. मुझे लंड लिए एक महीना हो गया था, तो मुझे थोड़ा दर्द सा हुआ जिसकी वजह से चुत ने लंड को कस लिया.
लेकिन तभी गर्म चूत के साथ धोखा हो गया. लंड को चूत में घुसाते ही उसके लंड से वीर्य निकलने लगा. वीर्य अन्दर न जा पाए, इसलिए मैंने जल्दी से उसके लंड को बाहर निकाल लिया. अजय थोड़ी देर मेरे ऊपर ही लेटा रहा, फिर बाजू में ही सो गया.
उसके लंड के स्पर्श ने चुत की आग को और भड़का दिया था. मैंने उसको उठाने की कोशिश की, पर उसने बोला कि अभी उसका लंड खड़ा नहीं हो सकता.
मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा था, मेरे अरमानों पर पानी सा फिर गया था. फिर मैंने पास में पड़े एक कपड़े से अपनी गीली चुत को साफ किया और नाइटी पहन के कमरे से निकल गई. मैं इस वक्त बड़ी चुदासी थी.
वापस आते वक्त देखा कि चाचाजी का कमरा भी खुला है. उसमें अंधेरा था और दारू की तेज गंध आ रही थी.
मेरे पैर चाचाजी के कमरे की ओर मुड़ गए. अंधेरे में मैंने चाचाजी को ढूंढ लिया. वो कम्बल ओढ़कर नीचे गद्दा बिछाकर ही सो रहे थे. मैंने अपनी नाइटी उतार दी और चाचा जी के कम्बल में घुस गई. चुदासी चूत ने मेरा सारा डर खत्म कर दिया था.
चाचाजी का शरीर बहुत गर्म था. उनकी धोती खुल चुकी थी. मैंने हाथ बढ़ाकर उनके लंड को पकड़ लिया. चाचाजी का लंड सोया हुआ भी बहुत बड़ा लग रहा था. मैं उनके लंड को हिलाने लगी. थोड़ी देर में लंड पूरा खड़ा हो गया.
मैं अपने दोनों पैर फैलाकर उनके ऊपर चढ़ गई. मेरी चुत लगातार पानी छोड़ रही थी. मैं उनके लंड पे चुत रखकर दबाव बनाने लगी. चुत का छेद बहुत ज्यादा फ़ैल रहा था.. पर अभी भी चाचा जी के लंड सुपारा तक अन्दर नहीं घुस पा रहा था. उनका लंड वास्तव में एक मोटे मूसल सा था.
मैंने पूरा लंड अपने थूक से चिकना किया. फिर एक हाथ से चुत को फैलाकर लंड के सुपारे को छेद पे रख दिया. मैंने लंड को मजबूती से पकड़ कर नीचे की तरफ जोर से धक्का दे दिया. इस बार चाचा जी का लंड मेरी चुत में घुस गया. मुझे बहुत तेज दर्द हुआ. थोड़ी देर रुककर मैंने फिर से पूरी ताकत लगाकर अपनी चुत को लंड पे दे मारा.
चाचा जी का पूरा लंड मेरी चुत में उतर गया था. मुझे बहुत तेज दर्द हुआ. मेरे मुँह से जोर की चीख निकल गई. इसके साथ ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.
कुछ पल ठहर कर मैंने एक बार लंड बाहर खींचकर फिर से चुत में घुसवा लिया. इस बार चूत की मलाई की चिकनाई की वजह से लंड आसानी से चुत में समाता चला गया. मैंने कमर को धीरे धीरे हिलाना शुरू किया. मुझे चाचा जी के लंड से अपनी चूत रगड़ने में बहुत मजा आ रहा था.
थोड़ी देर बाद मैं पूरी रफ्तार से अपनी चुत को लंड पे पटकने लगी. मुझे लग रहा था कि चाचाजी ने शायद बहुत ज्यादा दारू पी रखी है. इसलिए मुझे उनके होश में आने की कोई चिंता ही नहीं थी. मैं बेख़ौफ़ चाचा जी के लंड को सुपारे तक अपनी चूत से बाहर निकालती और फिर एक ही बार में पूरा लंड चुत में ले लेती.
तभी अचानक से चाचाजी ने मेरी कमर को मजबूती से पकड़ लिया और नीचे से जोर जोर से झटके मारने लगे. मुझे अब भी यही लग रहा था कि वो नशे में हैं, तो मैं भी उनका साथ देने लगी. उनके धक्के इतने तेज हो गए कि मेरी कमर में भी दर्द होने लगा. अचानक उनके लंड से वीर्य की पिचकारी मेरी चुत में ही छूट गई. इसके साथ मैं भी झड़ गई.
थोड़ी देर बाद मैं उठी और उनके बाजू में ही लेट गई. मैं उनका लंड पकड़ के सहलाने लगी. वो फिर से खड़ा होने लगा था. पर अब मेरा चुत मरवाने का इरादा नहीं था क्योंकि मेरी चुत में जलन सी हो रही थी. मैंने अपनी नाइटी खोजनी चाही, पर अंधेरे में मिल ही नहीं रही थी.
मैंने उठकर लाइट जलाई तो पूरे कमरे में रोशनी फ़ैल गई. मेरी नजर चाचाजी के लंड पे गई, तो मैं देखती ही रह गई. चाचा जी का लंड काला और बहुत मोटा अजगर सा था. उनका लंड तकरीबन आठ इंच का था. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैंने थोड़ी देर पहले ही इस विशाल लंड को अपनी चुत में लील लिया था.
चाचा जी ने भी शायद लज्जावश अपनी आंखें बंद कर रखी थीं. खैर … लज्जा वज्जा से मुझे क्या लेना देना था. मेरी चूत की खुजली तो मिट ही गई थी. इसलिए मैंने जल्दी से नाइटी पहनी और लाइट बंद करके कमरे से बाहर आ गई. मैं घर आई तो सास ससुर सोए हुए थे. मैं भी अपने कमरे में जाकर सो गई.
सुबह उठी, तो मुझे काफी ताजगी महसूस हो रही थी. अब मुझे गांव के किसी बुजुर्ग या पहलवान किस्म के आदमी के लंड की तलाश थी. जैसे ही कोई मजबूत लंड मेरी चूत के लिए मिलेगा, मैं उसके साथ अपनी चूत चुदाई की कहानी आप सभी के सामने पेश करूँगी.
दोस्तो, आपको मेरी गाँव में चुदाई कहानी कैसी लगी जरूर बताइएगा. मेरी मेल आईडी है.