हेलो दोस्तो, मैं हू स्वरना. मैं जानती हू की आज बहुत दीनो बाद कहानी लिख रही हू. लेकिन कुछ पर्सनल रीज़न्स की वजह से इतना डेले हो गया है. पर मैं आशा करती हू, की आज भी मेरे सभी प्यारे और प्यासे रीडर्स को मेरी कहानी उतनी ही पसंद आएगी, जितनी हमेशा आती है.
मेरी ये कहानी आप सब को सॅटिस्फॅक्षन भी देगी, और खुश भी कर देगी. आप सब ने आज तक मेरी सारी स्टोरीस को बहुत प्यार दिया है, और बहुत अप्रीशियेट किया है. इसलिए बस आप सब के प्यार के लिए, और आप सब की सेक्स सॅटिस्फॅक्षन के लिए आज एक नयी स्टोरी स्टार्ट कर रही हू.
इस स्टोरी को पढ़ कर हर लड़के के लंड का पानी निकल जाएगा, और लड़कियो की छूट गीली हो कर रस्स ज़रूर निकालेगी. ये बहुत लंबी कहानी है, तो आप सभी इसके सभी पार्ट्स ज़रूर पढ़ना. इससे आप इसका पूरा मज़ा ले पाएँगे. चलिए अब शुरू करते है कहानी.
मेरा नाम साहिबा है. मैं 25 साल की एक शादी-शुदा और बहुत ही सुंदर नाक-नक्शे से भारी हुई औरत हू. कोई भी मर्द कहिए, या औरत भी मुझे एक बार देख ले, तो मुझे पाने के लिए तड़प उठते है. मेरा 36″30″34″ का सेक्सी फिगर है.
मेरा निकाह अज़हर से 6 साल पहले हुआ था. अज़हर एक बिज़्नेसमॅन है, और साथ ही बहुत ही हॅंडसम और बहुत ही अची फिटटरत वाले आदमी है. वो मुझसे बहुत ही ज़्यादा मोहोब्बत करते है. मगर मेरी किस्मत में सिर्फ़ एक आदमी की मोहोब्बत नही लिखी हुई थी.
मैं आज एक बच्चे की मा बनने वाली हू. पर मेरी ऐसी किस्मत है, की मुझे मालूम ही नही की इस बच्चे का बाप कों है? हा ये ज़रूर यकीन है की खून सयद इन्ही के परिवार का है. पर ये बच्चा अज़हर के ही वीर्या से पैदा हुआ है या नही, इसके बारे में मुझे पूरा शक है.
अब इतना सस्पेनस बनाने के बाद आप लोगो को ज़्यादा परेशन नही करूँगी. मैं आपको सब बताती हू, की कैसे एक सीधी-सॅडी लड़की अपनी स्टडीस कंप्लीट करके एक बड़ी मल्टिनॅशनल कंपनी में सेक्रेटरी की पोज़िशन पे काम करती थी. और वही पर काम करते-करते, वो एक सेक्स की मशीन बन गयी.
ये बात ज़रूर है, की निकाह से पहले मैने किसी से भी जिस्मानी रिलेशन्षिप नही किया था. मैने अपने इस सेक्सी जिस्म को बहुत ही मुश्किल से मर्दो की भूखी नज़रो से बचा कर रखा था. आप सभी तो जानते ही हो, की एक अकेली लड़की के लिए, वो भी इस पोस्ट पे अकेली, अपनी इज़्ज़त संभाल कर रखना कितना मुश्किल का काम है.
लेकिन मैने इसको मुमकिन कर दिखाया था. मैने अपनी वर्जिनिटी अपने शौहर के लिए ही रखी थी. लेकिन अब ये बात तो सच है, की एक बार जब अज़हर ने मेरी छूट की सील तोड़ दी. उसके बाद तो पता नही कितने ही लंड धाधा-धड़ छूट में घुसते ही चले गये.
मैं बहुत सारे मर्दो के साथ बहुत अलग-अलग तरीके से चुदाई का मज़ा ले चुकी हू. वैसे मैं एक बहुत ही इज़्ज़त-दार और तहज़ीब-दार परिवार से हू. स्टडीस कंप्लीट होने के बाद मैने ऑफीस सेक्रेटरी का कोर्स किया था. और कोर्स ख़तम होते ही मैने बहुत जगह जॉब के लिए अप्लाइ कर दिया था.
एक बड़ी कंपनी #### इंडस्ट्रीस से मुझे प.आ. की पोस्ट के लिए इंटरव्यू कॉल आई थी. इंटरव्यू देने के बाद मैं सेलेक्ट भी हो गयी थी. मुझे उस कंपनी के फाउंडर (मालिक) मिस्टर. रामलाल मिश्रा की प.आ. की पोस्ट पे सेलेक्ट किया गया था.
जॉब लगते ही मैं बहुत मॅन लगा कर अपना काम करने लगी थी. मगर रामलाल जी की नीयत मेरे लिए कुछ अची नही थी. रामलाल जी दिखने में बिल्कुल आचे नही थे. बहुत काला रंग था उनका, और वो इतने मोटे थे, की बैंसे जैसे दिखते थे.
उनके पुर काले चेहरे पर कुछ गंदे निशान थे, जो उनके चेहरे को और गंदा बना रहे थे. जब भी वो बोलते थे, तो उनके होंठो की दोनो साइड्स से लार निकलती थी. मुझे तो उनकी शकल से ही नफ़रत थी, पर अब क्या करती मैं. इतनी अची पोस्ट पे जॉब का एक्सपीरियेन्स मिल रहा था, तो मैं भी उन्हे झेल रही थी.
मैं ऑफीस सलवार-सूट पहन कर जाती थी, जो उन्हे बिल्कुल पसंद नही था. लोंग स्लीव्स वाले लूस सलवार-सूट से उन्हे मेरे कातिल जिस्म की झलक नही मिलती थी. और ना ही मेरे शरीर के सब उभार उन्हे दिखते थे. ऑफीस के दूसरे ही दिन उन्होने मुझसे कहा-
रामलाल जी: यहा तुम्हे फॉर्मल ब्लाउस और स्कर्ट ही पहन-ना होगा. ये हमारा यहा के प.आ. का ड्रेस कोड है.
ये सुन कर मैने उन्हे कुछ जवाब नही दिया. फिर उन्होने ऑफीस ख़तम होने से पहले ही एक टेलर को बुलाया, और मेरे लिए ये ड्रेस कोड वाली ड्रेस बनाने का ऑर्डर दे दिया. ब्लाउस का नेक उन्होने काफ़ी डीप रखवाया, और स्कर्ट भी इतनी लंबी, की बस मेरी थाइस ही कवर कर पाए.
इसके साथ ही उन्होने मुझे 5000 रुपय दिए, और कहा की मैं कुछ अची हाइ हील्स वाली फुटवेर खरीद लू. अब मुझे ना चाहते हुए भी हाइ हील्स वाले फुटवेर लेने पड़े. दो दिन में ही मेरे साइज़ की सारी ड्रेसस बन कर आ गयी.
कुछ दीनो तक तो मुझे ऐसी ड्रेस पहन कर सब के सामने बहुत शरम आती थी. लेकिन धीरे-धीरे मुझे वो भूखी नज़रो को झेलने की हिम्मत जुटानी पड़ी. मेरी ड्रेस इतनी छ्होटी थी, की अगर कभी काम की वजह से मुझे झुकना पड़ता. तो आयेज से मेरी ब्रा में फ़ससे बूब्स और पीछे से मेरी पनटी दिखने लगती.
मैं घर से तो सलवार-सूट ही पहन कर निकलती थी, और ऑफीस आ कर अपना ड्रेस चेंज करती थी, और ब्लाउस स्कर्ट और हाइ हील्स पहन लेती थी. अगर मुझे मेरे घर के लोग या मोहल्ले के लोग देख लेते, तो मेरा घर से निकलना ही बंद हो जाता.
ये कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू. पर ये बहुत लंबी कहानी है. तो आशा करती हू, की आप सब इसके सभी पार्ट्स पढ़ेंगे.
अगर आपको ये कहानी अची लगी हो, तो मुझे अपनी फीबक्क ज़रूर भेजे. आप सभी की फीडबॅक आप मुझे मेरी मैल ईद पे लिख सकते हो.
कहानिया पढ़ कर मज़ा लीजिए. अगला पार्ट जल्दी ही आएगा.