दोस्तो! मैं अखिल, राजस्थान का रहने वाला हूँ. यह मेरी पहली कहानी है, उम्मीद करता हूँ कि आपको यह पसंद आएगी. यह मेरी वास्तविक कहानी है. मुझे भाभी और आंटी बहुत पसंद हैं।
अब मैं कहानी पर आता हूँ. मेरी उम्र 27 साल है. मेरा लंड 7 इंच का है, आज से एक साल पहले सर्दी के मौसम में दिल्ली किसी काम से गया था।
जब मैं वहाँ से वापस आ रहा था तो बस में ज्यादा लोग नहीं थे. मेरी पास वाली सीट पर कोई नहीं था. बस जब वहाँ से चली तो थोड़े टाइम बाद एक 30 साल की भाभी आई.. उसकी सीट, मेरे पास वाली ही थी.
कुछ समय तक हम दोनों चुपचाप बैठे रहे, फिर जब हमारी बात शुरू हुई तो उस ने अपना नाम रिया बताया वो बहुत ही खूबसूरत और मादक थी. उसका फिगर 32-28-34 का था. उसने उस समय काले रंग का सूट पहन रखा था.
कुछ समय तक हमारी नॉर्मल बात होती रही फिर जब बस की लाइट बंद हो गई तो वो बोली- मुझे नींद आ रही है.
उस टाइम उसे देख कर मेरी तो नींद उड़ गई थी. उसने अपने बैग से एक चादर निकाल कर अपने आप को उससे ढक लिया. वो सोती हुई भी बहुत मासूम लग रही थी। उसके मासूम चेहरे को देखकर मेरा लण्ड टाइट होना शुरू हो गया था लेकिन अभी मैं उसके साथ कुछ भी नहीं कर सकता था क्योंकि मुझे नहीं पता था कि उसके मन में क्या चल रहा है. वो सोती हुई बहुत ही प्यारी लग रही थी. मन तो किया कि अभी पकड़ कर चोद दूँ उसको, मगर डर था कि कहीं कोई देख ना ले.
उसने मेरे कंधे पर सिर रखा हुआ था. मैं उसके अहसास को महसूस करने लगा था और मेरा लण्ड पैंट में तनाव में आना शुरू हो चुका था. कुछ टाइम बाद उसने अपने हाथ को उठाया और मेरे पेट पर रख दिया, जब उसका हाथ मेरे पेट पर आ गया तो मेरे अंदर की वासना और तेज़ होने लगी और मेरा लंड भी पूरा टाइट होने लगा था, लेकिन अभी मैं किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा था. इसलिए मैं अपनी तरफ से कुछ भी पहल नहीं कर रहा था।
क्योंकि पहले तो मैंने सोचा कि ग़लती से उसका हाथ मेरे पेट पर आ गया होगा. मगर बाद में उसने अपनी चादर मेरे पैर पर भी डाल दी और अपना हाथ मेरी पैंट पर रख दिया और धीरे-धीरे अपना हाथ चलाने लगी. शायद वो अपने पति को याद कर रही होगी. मैंने भी मौका देख कर अपनी पैंट की चेन खोल दी और उसका हाथ पैंट में डाल दिया।
वह अपने हाथ से मेरे लण्ड को मसलने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने भी अपना हाथ उसके बोबों पर रख दिया और मसलने लगा. उसकी साँसे तेज़ चलने लगीं.
मैंने अब उसके कुर्ते में हाथ डाल कर उसके बोबों को दबाना शुरू कर दिया, उसे बहुत मज़ा आ रहा था. वो “आह … आह …” की कामुक आवाज़ें करने लगी तो मैंने उसको चुप करवा दिया और हल्के से कहा कि ऐसे नहीं करो वरना सबको पता चल जाएगा.
वो चुप हो गई और अपने हाथ से मेरे लण्ड को पैंट से बाहर निकाल कर आगे-पीछे करने लगी मैंने भी अपने एक हाथ से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और हाथ अंदर पैंटी में डाल दिया. मेरे हाथ को महसूस हुआ कि उसकी चूत गीली हो गई थी।
मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा।
इतने में वो बोली- मुझे चोदो अभी!
तो मैंने कहा- अभी कैसे चोदूँ?
तो बोली- कुछ भी करो वरना मैं मर जाऊंगी!
मैंने सोचा यहाँ तो सब लोग सो रहे हैं, यदि मैंने इसको यहीं पर चोदना शुरू कर दिया तो किसी न किसी को ज़रूर पता लग जाएगा। मैंने दिमाग से काम लिया और सोचा कि बस वाले भैया से सेटिंग करनी पड़ेगी.
मैंने उस भाभी को एक तरफ हटने के लिए कहा। जब वो हट गई तो मैंने अपने कपड़े ठीक किये और आगे केबिन में जाकर बस वाले से स्लीपर सीट के लिए पूछा, तो उसने एक स्लीपर सीट भी दे दिया। फिर मैंने रिया भाभी को स्लीपर के केबिन में भेज दिया।
कुछ टाइम बाद मैं भी चला गया. अंदर जाते ही मैंने उसको पकड़ कर होठों पर किस करना शुरू कर दिया.
तब वो बोली- आराम से करो, मैं कहीं नहीं जा रही.
केबिन में आने के बाद एक सेफ फीलिंग आने लगी जिसके कारण मेरा जोश हर पल बढ़ता जा रहा था। मैं उसके होठों को चूसने-काटने लगा, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
भाभी ने कई बार कहा कि मुझे होठों पर दर्द हो रहा है लेकिन मैं उसके होठों को जैसे खा ही जाना चाहता था। मेरा लण्ड मेरी पैंट में धमाल मचाने लगा था। वो बाहर आकर उसकी चूत में घुसने के लिए तड़प रहा था। लेकिन अभी मैं उसके होठों के रस का आनंद लेने में लगा हुआ था.
किस करते-करते मैंने उसके कुर्ते में हाथ डालकर उसके बूब्स को दबाने लगा. उसके कोमल और मुलायम स्तन दबाने के बाद टाइट होने लगे थे। फिर उसके कुर्ते को निकल दिया और ब्रा के ऊपर से बूब्स को चाटने लगा.
फिर मैंने ब्रा को निकाल दिया. उसके तने हुए चूचुक मेरी आंखों के सामने थे जिन पर बिना देर किये ही मैं टूट पड़ा और उसके निप्पलों को अपने दांतों से काटने लगा।
वाह! क्या बूब्स थे उसके, मैंने दोनों बूब्स को मस्त तरीके से चूसा. मेरा जोश बढ़ता ही जा रहा था। बहुत दिनों बाद मुझे इतना मस्त माल हाथ लगा था, इसलिए मैं उसका पूरा मज़ा ले रहा था. फिर मैं धीरे-धीरे नीचे की तरफ आने लगा. फिर उसकी सलवार को खोल दिया और पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को किस करने लगा.
साथ में ही उसकी चूत को मसलने लगा. जब मैं उसकी चूत को किस करता था तो उसके मुंह से कामुक सिसकारी निकल जाती थी। उसको तड़पती हुई देखकर मेरे अंदर का सेक्स और बढ़ता जा रहा था. मैं भी उसकी चूत मारने के लिए मरा जा रहा था लेकिन अभी कुछ देर और उसकी चूत को चाटने का मज़ा लेने लगा था।
अब वो बोलने लगी- अब नहीं रहा जा रहा … मुझे चोदो!
और उसने मेरी पैंट खोल कर मेरे लण्ड को अपने हाथ में ले लिया और उससे खेलने लगी. मैंने चुपके से उसके कान में कहा- जान! मुँह में ले लो ना!
पहले तो वो नखरे करने लगी लेकिन जब मैंने उसको दोबारा कहा तो वो मान गई और मेरे लण्ड को अपने मुंह में लकर चूसने लगी। उसकी गर्म जीभ से टच होकर मेरे लण्ड को बहुत मज़ा आने लगा। मैं उसके मुंह को वहीं लेटा हुआ चोदने लगा. फिर उसको अचानक खांसी आने लगी तो मैंने लण्ड को बाहर निकाल लिया।
मैंने देखा कि मेरा पूरा लण्ड ऊपर से नीचे तक उसकी लार में सन गया था।
मैंने अब दोबारा से उसके चूचों को चूसना शुरू कर दिया. अब जल्दी से मैंने उसकी पैंटी को निकाल दिया और चूत पर अपनी जीभ लगा दी और चूत को चूसने लगा. जब मैं उसकी चूत पर अपनी गर्म जीभ लगा रहा था तो उसके मुंह से ‘इस्स्स …’ करके एक कामुक सिसकी निकल जाती थी।
मुझे उसकी चूत को चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने उसकी चूत में अंदर तक जीभ को घुसाने लगा था और वो तड़पने लगी थी. वो अब आवाजें निकालने लगी और मेरे सिर को अपने पैरों में दबाने लगी और आहें भरने लगी.
मुझे उसकी चूत को चाटने में बहुत ही ज्यादा आनंद मिल रहा था. उसकी चूत की खुशबू बहुत प्यारी थी. मैं चूत के दाने को काट रहा था. कुछ टाइम बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो हांफने लगी. अब मैं उस के ऊपर आ गया और उसके पैरों को मैंने अपनी कमर पर लपेट लिया और अपने लण्ड को चूत में रखा और चूत पर पटकने लगा.
फिर लण्ड को चूत में सेट करके मैंने पहले झटका दिया तो मेरा लण्ड थोड़ा अंदर गया और वो आहें भरने लगी. उसकी चूत काफी टाइट थी!
कुछ टाइम रुक कर जब वो नॉर्मल हुई तो मैंने उसके होंठों पर अपने होठों को रख दिया और चूसने लगा और साथ में बूब्स को भी दबाने लगा। फिर दूसरे झटके में पूरा लण्ड अन्दर कर दिया। दर्द से उसके आँसू आने लगे। मैं कुछ पल रुक कर लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा फिर उसका दर्द कम हुआ तो वो भी अपनी गांड उठा-उठा कर मारने लगी, साथ में ही अपने हाथों को मेरी कमर पर रख कर ऊपर-नीचे करने लगी।
उसके कोमल-कोमल हाथ मेरी कमर को सहला रहे थे जिसके कारण मेरा जोश भी बढ़ता जा रहा था, मैं उसकी चूत में लण्ड को जल्दी-जल्दी अंदर-बाहर पेलने लगा था। मुझे उस वक्त बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था। इससे पहले भी मैंने कई बार चूत मारी थी लेकिन वह भाभी बहुत ही मस्त थी. उसकी चूत उससे भी ज्यादा मस्त थी और मुझे पूरा मज़ा दे रही थी.
मैंने भी अब तेज़ झटके लगाने शुरु कर दिए. अब उसकी चूत से पच-पच की आवाज़ आने लगी. अब वो मस्ती से चुदने लगी. 15 मिनट तक मैंने उसको जमकर चोदा. इस बीच वो दो बार अपना पानी छोड़ चुकी थी। मेरी ज़बरदस्त चुदाई के बाद वो काफी थकी हुई लगने लगी थी।
अब उसकी हालत देखकर मेरे लण्ड में भी कड़ापन और ज्यादा बढ़ने लगा था। मेरे लण्ड के अंदर जैसे तूफान उठा हुआ था और मैं उसकी चूत को रगड़ने में लगा हुआ था। वो दर्द से कराहने लगी थी। मैं उसकी चूत को चोदने में लगा हुआ था जैसे आज अपने लण्ड से चूत को फाड़ ही दूंगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। साथ ही साथ मैं उस भाभी के होठों के रस को भी पी रहा था।
अब मेरा कंट्रोल मेरे लण्ड पर से धीरे-धीरे कम होने लगा था और मैं जल्दी ही उसकी चूत में झड़ने वाला था। जब उसने चूत को मेरे लण्ड पर पटकना शुरू किया तो मेरे अंदर अकड़न सी महसूस होने लगी। मैं समझ गया कि मेरा पानी अब निकलने ही वाला है. इसलिए मैंने अपनी स्पीड और भी तेज़ कर दी। मेरा लण्ड उस भाभी की चूत में जैसे हथोड़े की तरह टकराने लगा था। वो फिर से कराहने लगी थी। अब मेरा लण्ड कड़ा होने लगा था तो मैं समझ गया कि अब ज्यादा देर तक कंट्रोल नहीं कर पाऊंगा.
मेरा पानी आने वाला था तो मैंने पूछा- कहाँ निकालूँ?
वो बोली- मेरी चूत में ही निकाल दो!
एक मिनट बाद मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया और पूरा पानी उसकी चूत में भर दिया और लण्ड को अंदर ही डाल कर रखा।
अब हम दोनों की साँसें तेज़-तेज़ चल रही थीं और मैं भाभी के ऊपर पड़ा हुआ हाँफ रहा था, उसकी चूत मारकर मैं शांत हो गया था। मैंने फिर से उसके होठों को किस करना शुरू किया लेकिन वो मुझसे ज्यादा थकी हुई लग रही थी. मैं समझ गया कि शायद रिया को नींद आने वाली है। मैंने कुछ देर तक उसके होठों को चूसा और जिस्म से खेलता रहा।
जब मैं उसके जिस्म को चाट कर थक गया तो हम दोनों अलग हो गए। रात भी काफी हो चुकी थी. मैंने सोचा कि अब सो जाना चाहिए. वो भी मुझसे अलग हो गई और फिर हमने अलग होकर अपने कपड़े पहने और वहीं सो गए।
जब मैं सुबह उठा तब तक वो जा चुकी थी. मैंने बस वाले भैया से भी बातों ही बातों में उसके बारे में पूछने की कोशिश की लेकिन मुझे उसके बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया। लेकिन उस दिन के बाद से कई बार मैंने उसको याद करके मुट्ठ मारी।
आज भी वो बहुत याद आती है, मेरा बहुत मन करता है कि ऐसी भाभी यदि फिर से मुझे मिल जाए तो मज़ा आ जाए. उस रात की चुदाई के बारे में सोचकर ही मेरा लण्ड चूत के लिए त़ड़पने लगता है।
अगर इस कहानी में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो मुझे करना।
कहानी पर अपनी राय ज़रूर दें. धन्यवाद।