कजिन सिस्टर सेक्स कहानी मेरी बुआ की लड़की की चूत मारने की है। वो हमारे घर आई। रात में सोते हुए उसने मेरी छाती पर हाथ रख दिया और मेरा लंड खड़ा हो गया।
दोस्तो, मेरा नाम दयानन्द है। मैं मध्य प्रदेश का रहने वाला हूं।
मैं आपको बताऊंगा कि मैंने किस तरह अपनी बुआ की छोटी बेटी हीरल (बदला हुआ नाम) को रात के अंधेरे में छत पर चोदा।
मेरा लंड 7.5 इंच लंबा और 3.5 इंच मोटा है और मेरी उम्र 20 साल है।
पाठिकाएं अभी से अपनी चूत में उंगली करना शुरू कर दें और मेरे भाई लोग लंड को मुट्ठी का मजा दिलाना शुरू कर दें क्योंकि कहानी में आपको पूरा मजा आने वाला है।
अब कजिन सिस्टर सेक्स कहानी शुरू करते हैं।
मेरी बुआ की लड़की हीरल को मैं बहुत पसंद करता था।
बात तब की है जब गर्मी की छुट्टियां चल रही थीं और मेरी बुआ की लड़की स्कूल खत्म करके अपनी मां के साथ यानि मेरी बुआ के साथ मेरे घर आए हुए थे।
पूरा दिन अच्छे से निकला।
दिन में हम दोनों ने बहुत मस्ती की।
छुपा-छुपी वाले खेल में तो मैंने कई बार उसको अपनी बांहों में भी दबोचा।
उसके प्यारे प्यारे बूब्स को भी बहाने से दबाने का मौका मिला।
फिर भी उसने कोई विरोध नहीं किया और इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
मैंने सोच लिया कि इसको तो कैसे भी करके अपने लंड पर बैठाकर ही रहूंगा, अपनी कजिन सिस्टर से सेक्स का मजा लूंगा।
शाम को हम सबने साथ में खाना खाया और फिर सब सोने के लिए छत पर चले गए।
दोस्तो, आपको बता दूं कि गांव में पहले बिजली सप्लाई कम हुआ करती थी। इस वजह से सब छत पर सोना पसंद करते हैं।
मेरी बुआ मेरी दादी के पास सोने चली गई और हीरल हमारे पास छत पर सो गई।
छत पर हम चार भाई बहन सब साथ में लेटे हुए थे। हीरल मेरे और मेरी बड़ी बहन के बीच में लेटी हुई थी।
मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं हीरल के बारे में ही सोच रहा था।
रात के करीब 12:30 बजे उसने अपना हाथ मेरी छाती पर रखा और मैं घबरा गया और आंख बंद करके लेट आ रहा।
लेकिन मेरी कुछ करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
डर था कहीं वह मेरी दीदी या घर में किसी को बता देगी तो मेरी बहुत बदनामी होगी।
इसी डर के कारण मैंने कुछ नहीं किया और सो गया और करीब रात 1:00 बजे के आसपास मुझे नींद भी आ गई।
फिर मेरी नींद करीब 4:00 बजे खुली।
नींद खुली तो पता चला मेरा लंड भी तना हुआ था।
सुबह की उत्तेजना बहुत ही ज्यादा होती है, तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
मैं भी हीरल को छूना और प्यार करना चाहता था।
मैंने थोड़ी सी हिम्मत की और उसकी छाती पर हाथ रखा।
थोड़ी देर हाथ रखे रहा और उसने कोई विरोध नहीं किया।
फिर मेरी हिम्मत और बढ़ी।
मैं अपना हाथ नीचे उसकी चूत के ऊपर ले गया।
फिर भी उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की।
मेरी हिम्मत और बढ़ती चली गई।
मेरे लंड में तनाव के कारण अब प्रीकम भी निकलने लगा था। मेरे हाथ कांप रहे थे फिर भी उत्तेजनावश मैंने उसके कुर्ते में हाथ डाला और चूचियों तक लाया।
मैं हैरान रह गया; उसकी चूचियां बहुत टाइट हो चुकी थीं। मैं तो हवस में और पागल हो गया और उसकी चूचियों को धीरे धीरे दबाने लगा।
वो अब भी आराम से लेटी हुई थी।
मैं करीब पांच मिनट तक उसकी चूचियों को दबाता रहा।
फिर अचानक से वो करवट बदलने लगी तो मैंने घबरा कर हाथ बाहर निकाल लिया और आराम से लेट गया।
लेकिन अब तक सेक्स की आग धधक चुकी थी।
खुद को रोक पाना बहुत मुश्किल था।
अब मैं फिर से हाथ उसके बदन पर ले गया और उसकी चूत को सहलाने लगा।
कुछ देर तक मैं उसकी चूत के ऊपर हाथ फेरता रहा और उसने धीरे धीरे कसमसाना शुरु कर दिया।
अब मैं जान गया कि वो भी जाग रही है और मजा ले रही है।
इसलिए अब मेरी हिम्मत जाग गई और मैंने डरना बंद कर दिया।
मैंने आगे बढ़ते हुए उसके पजामे में हाथ दिया और उसकी चूत पर रख दिया।
मगर उसने मेरे हाथ पर हाथ रखा और उसको वहीं दबोच दिया।
मेरी तो गांड फट गई; मैं सोच रहा था कि पता नहीं क्या करेगी अब!
लेकिन उसको भी मजा आ रहा था।
उसने कुछ नहीं किया और मैंने हाथ को छुड़वा कर फिर से उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
उसकी चूत गीली हो चुकी थी।
मैंने धीरे से अब चूत में उंगली दे दी।
वो थोड़ी उचक गई।
उसकी चूत काफी टाइट थी।
मेरी उंगली को साफ पता चल रहा था कि अंदर का रास्ता टाइट है।
अब वो गर्म हो चुकी थी और अब मेरा हाथ खुद से पकड़ कर अपनी चूत के ऊपर से सहलाने लगी।
कुछ ही समय में उसका पानी ही निकल गया।
वो तो खाली हो गई थी लेकिन मेरे लंड में तो तूफान उठा था।
मैंने उसको पलटने का इशारा किया।
वो पलट गई।
फिर मैंने एक साथ उसके पजामे और पैंटी को खींच दिया और पीछे से उसकी मोटी गांड के बीच रगड़ते हुए लंड को चूत पर सटा दिया।
मैंने उसको चूचियों से भींचते हुए अपने आगोश में लिया और झटका सा देकर लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
मैंने उसका पिछवाड़ा देखा तो मेरी हालत और ज्यादा खराब हो गई।
इतनी मोटी गांड थी दोस्तो, क्या बताऊं … ऐसा लग रहा था जैसे दो तरबूज रखे हों!
उसका पानी तो पहले ही निकल चुका था जिस वजह से चूत पूरी चिकनी हो रही थी और वह पानी मेरे लंड पर भी लग चुका था जिस वजह से मुझे लंड को चूत में प्रवेश करने में ज्यादा कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा।
मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुंह में थोड़ा सा घुसाए रखा, उसको गर्दन पर किस करता रहा और एक हाथ से उसके बूब्स दबाता रहा।
चूत टाइट थी और मैं ज्यादा जोर नहीं लगाना चाहता था।
फिर मैंने उसकी चूत के दाने को मसलना शुरू किया।
धीरे धीरे उसको भी मजा आने लगा और वह अपनी गांड हिलाने लगी।
जिससे मुझे पता लग गया कि हां, अब बंदी लंड की सवारी करने के लिए तैयार हैं।
फिर मैंने भी उसको चोदना शुरू कर दिया।
हल्के हल्के धक्के देते हुए मैंने अपना लंड उसकी चूत में उतार दिया।
वो कसमसा रही थी और मैं जैसे स्वर्ग में पहुंच चुका था।
इतनी टाइट चूत थी कि लंड रगड़ खाता हुआ अंदर फंसा जा रहा था।
धीरे-धीरे अब चुदाई स्पीड पकड़ने लगी थी लेकिन इतने में एक गांड फाड़ घटना हो गई।
दीदी जाग गई थी।
जैसे ही उसने हलचल की तो हीरल ने अपना पजामा ऊपर खींचा और मैं लंड खींचकर एकदम से पलट गया।
दीदी शायद गहरी नींद में थी, उसने कुछ नहीं देखा और पलटकर सो गई।
दो मिनट तक इंतजार करने के बाद मैंने फिर से हीरल के पजामे को खींच दिया।
उसने भी पैंटी नीचे कर ली।
मैंने फिर से उसकी चूत में लंड लगाया और अंदर सरका दिया।
एक बार फिर से मैं उसकी चूत को पेलने लगा।
मैंने चूचियों को थामा हुआ था और वो हल्के हल्के कसमसाते हुए चुद रही थी।
दोस्तो, क्या बताऊं चूत चीज ही ऐसी है … उस वक्त लग रहा था जैसे दुनिया की कोई आफत भी आ जाए लेकिन मैं चूत चोदना बंद नहीं करूंगा।
इतना मजा आ रहा था कि मैं स्वर्ग में था।
बीच-बीच में मैंने हीरल की गर्दन पर चूमते हुए उसकी चूचियों को जोर जोर से भींच रहा था।
इस बीच वो भी अपनी चूत के दाने को सहला रही थी।
उसको दर्द तो रहा था लेकिन वो मजा भी ले रही थी।
फिर वो एकदम से मेरी तरफ घूम गई और हम दोनों के होंठ मिल गए।
ये पहली बार था जब हम इस चुदाई में किस कर रहे थे।
वो मेरे ऊपर से लेटते हुए मेरी दूसरी तरफ आ गई और मुझे बांहों में भरे हुए मेरे होंठों को चूसती रही।
मैं भी उसकी चूत को चोदने के ख्याल छोड़कर किस करने में उसका साथ देने लगा।
हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे के होंठों का रस पीते रहे।
फिर उसने खुद ही मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी।
अब मेरे मन में उसको लंड चुसवाने का ख्याल भी आने लगा।
मैंने उसके कान में फुसफुसा कर कहा- यार … चुसवाने का मन कर रहा है।
एक बार कहने पर ही वो नीचे की तरफ सरक गई और लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी।
हमारे लिए वहां पर बहुत रिस्क था लेकिन फिर भी हम दोनों इतना जोखिम ले रहे थे।
मैंने भी घूमकर दूसरी तरफ हो लिया और उसकी चूत में मुंह लगाकर लेट गया।
उसकी चूत तो पहले से ही काफी चिकनी और रसीली हो चुकी थी।
अब वो मेरे लंड पर चुप्पे मार रही थी और मैं उसकी चूत में जीभ से चाट रहा था।
दो-तीन मिनट तक एक दूसरे को चूसने के बाद हम फिर से सीधे हो गए और हीरल ने हाथ से पकड़ कर लंड को अपनी चूत पर रखवाया और मुझसे लिपट गई।
मैंने भी लिपटते हुए एक धक्के के साथ लंड को चूत में सरका दिया और एक बार फिर से उसको चोदने लगा।
अब हम साथ में स्मूच भी कर रहे थे।
कुछ देर चोदने के बाद मैंने उसको नीचे ले लिया और खुद उसके ऊपर आकर चोदने लगा।
चुदते हुए उसकी चूत फूल चुकी थी और अब चोदने में और ज्यादा मजा आ रहा था।
मैंने उसके कुर्ते को ऊपर उठा दिया और साथ में उसकी ब्रा को भी ऊपर सरका दिया।
मैं उसकी चूचियों पर टूट पड़ा और उनको चूसते हुए नीचे से धक्के लगाने लगा।
वो भी उससे और ज्यादा उत्तेजित हो गई और मेरे सिर को अपनी चूचियों में दबाने लगी।
हम दोनों बार-बार दूसरे लोगों की तरफ भी देख रहे थे कि कहीं कोई उठ न जाए और हम दोनों रंगे हाथों पकड़े जाएं।
एक तरफ चुदाई में जहां स्वर्ग सा मजा आ रहा था, वहीं दूसरी ओर पकड़ जाने पर गांड पिटाई का भी डर था।
मेरा लंड भी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था।
फिर हीरल की हालत खराब होने लगी थी; उसकी चूत दुखने लगी थी और वो अब ऊपर से उतरने के लिए कहने लगी।
मगर मेरे लिए अभी चुदाई को रोकना संभव नहीं था।
मैं अपनी मंजिल के करीब आने वाला था और ऐसे चरमसुख को पाने का मौका मैं नहीं छोड़ सकता था।
मैंने धीरे से उसके कान में कहा- बस जान … 2 मिनट और!
वो फिर मेरे कान में फुसफुसाकर बोली- अंदर नहीं … अंदर नहीं।
मैंने कहा- ठीक है।
अब मैं दोबारा से उसको पेलने लगा; उसकी चूचियों को काटते हुए धक्के जोर जोर से लगाने लगा।
धीरे-धीरे अब मैं चरम की ओर पहुंच रहा था।
मेरा वीर्य बस ज्वालामुखी की तरह फूटने ही वाला था।
मैं हीरल के होंठों को चूसने लगा।
जब मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया तो नीचे से लंड को मिल रहे चूत के इस आनंद में मैं खुद को कंट्रोल नहीं कर पाया और मैंने चोदते हुए उसकी चूत में वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे मेरे धक्के थम गए और मैं रुक गया।
हीरल भी दो पल के लिए शांत हो गई।
मगर एकदम से उसे पता चला कि मेरा हो गया है तो वो उसने मुझे अपने ऊपर से धकेल दिया और गुस्से में मेरी ओर देखा।
फिर उसने जल्दी से पजामा ऊपर किया और उठकर तेजी से नीचे चली गई।
मुझे भी शर्मिंदगी हुई कि मैं खुद को रोक नहीं पाया।
मैं लेटा रहा।
वो वापस आई तो बात नहीं कर रही थी।
मैंने उसे किसी तरह समझाया कि मैं गर्भ से बचने वाली दवाई ला दूंगा।
फिर वो नॉर्मल हुई।
लेकिन इस सब के बीच दीदी को हमारी इस चुदाई का पता लग गया और उसने बाद में हमें ये बात बताई।
आपको हैरानी होगी कि दीदी भी बाद में मुझसे चुद गई।
मैंने फिर अपनी दीदी की चुदाई कैसे की, वो मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊंगा।
उसके बाद मैंने दिन में हीरल को गोली लाकर दी।
उसकी चूत में दर्द हो रहा था और मैंने दर्द की गोली भी उसको दी।
फिर वो कई दिन हमारे घर रुकी, इस दौरान मैंने कई बार मौका पाकर उसको चोदा।
कजिन सिस्टर की चूत खुल गई थी ठीक से … और हम चुदाई का भरपूर का मजा लेने लगे थे।
इस बीच दीदी की चुदाई भी हुई।
आपको ये कजिन सिस्टर सेक्स कहानी कैसी लगी मुझे अपने मैसेज और कमेंट्स में जरूर बताना। मुझे आप सब पाठकों की प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।