हैलो फ्रेंड्स, यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है. बात करीब 6 साल पहले की है. मेरी एक बड़ी बहन कविता (मौसी की लड़की) है, जो सिवनी (मध्य प्रदेश) में रहती थी. मैं नागपुर (महाराष्ट्र) में रहता हूँ.
वो और मैं बहुत अच्छे दोस्त हैं. मेरी सारी निजी बातें उनको पता थीं और मुझे उनकी सारी बातें मालूम थीं. हम अपनी बातें हमेशा शेयर करते थे. उस वक्त मैं 18 साल का था और वो 20 साल की थीं. हम दोनों में अंडरस्टैंडिंग बहुत ही अच्छी थी. अगर मुझे कोई तकलीफ होती तो उनको तुरंत पता चल जाता था और उन्हें कुछ हो तो मुझे खबर मिल जाती थी.
एक दिन मैं उनसे फोन पर बात कर रहा था तो मुझे लगा कुछ गड़बड़ है, मैंने पूछा- दीदी क्या हुआ?
उन्होंने बताया कि मेरे भैया ने मुझे और मेरे ब्वॉयफ्रेंड को एक साथ में देख लिया. इसके बाद भैया ने उस लड़के की बहुत पिटाई की.
मैंने बोला- आपका प्यार सच्चा है क्या?
उन्होंने बोला- हां, और मैं उससे मिलना चाहती हूँ.
मैंने बोला- तो मिल लो.
दीदी बोलीं- कैसे..? भैया ने कहीं भी आने जाने को मना किया है.
मैंने उनसे बोला- आप नागपुर आ जाओ. फिर एक दिन उसे भी नागपुर बुला लेंगे. आप यहां पर मिल लेना, पर कुछ ही घंटे मिलने मिल पाएगा.
दीदी बोलीं- ठीक है.
फिर योजना के अनुसार दीदी नागपुर आ गईं. उन्हें देखते ही मेरे चेहरे पर एक अलग ही चमक आ गई. हालांकि मैं कभी भी उन्हें बुरी नज़र से नहीं देखता था, वो मेरी सबसे अच्छी बहन थी. वो माँ पिताजी से मिलीं और सीधा मेरे कमरे में आ गईं.
वो बोलीं- लो मैं ला गई, आगे क्या सोचा है?
मैंने बोला- वो कब आ रहा है?
दीदी ने बोला- वो कल ही आ जाएगा.
मैं- अच्छा.. और आप कितने दिन के लिए आई हो?
वो बोलीं- सात दिन के लिए.
मैं बोला- बढ़िया है.. बहुत मस्ती करेंगे.
अब हम यहां वहां की बातें करने लगे. फिर रात को खाना खा कर सोने चले गए. जैसे कि हम बचपन से ही साथ में सोते हैं, वैसे ही आज भी हम साथ में लेट गए. मैंने उनके हाथ को अपने गालों के नीचे रखा और सो गया.
दूसरे दिन योजना के हिसाब से हम घर से निकले और उसके ब्वॉयफ्रेंड को मिलने चले गए. दीदी मेरी साथ गई थीं, इसलिए कोई संदेह भी नहीं कर सकता था. वो एक गार्डन में मिले, मैंने कुछ देर उन दोनों को अकेला छोड़ दिया.
मैं दीदी से बोला- मैं बाद में आता हूँ.
मैं चार घंटे बाद गया, तब भी उनकी बातें खत्म नहीं हुई थीं. मैं बोला- अब चलो.
फिर हम दोनों घर आ गए.
आज वो बहुत खुश थीं, उन्होंने मुझको बहुत बार थैंक्स बोला.
मैं बोला- अब खुश तो हो.
दीदी बोली- बहुत..
वो ख़ुशी से कूदने लगीं, तब पहली बार मेरी नज़र उनके मचलते मम्मों पे पड़ी. वो हिल ही ऐसे रहे थे. दीदी की हाइट कुछ 5 फुट 2 इंच थी, साइज़ लगभग 34-28-30 का रहा होगा. उभरे हुए चूचे और पतली कमर गोरा रंग. मैं साढ़े पांच फुट की हाइट थी और तब जिम जाता था, तो मेरी बॉडी भी ठीक ही थी.
रात को खाना खाने के बाद हम हमेशा की तरह सोने की तैयारी करने लगे. मैंने बरमूडा और टी-शर्ट पहन लिया और दीदी ने नॉर्मली रेड सूट पहन लिया था. हम दोनों बिस्तर पर लेट गए. बहुत देर तक दीदी और मैं बातें करते रहे. बाद में हम दोनों सो गए, पर पता नहीं उसे रात मुझे क्या हुआ. उस रात मुझे कुछ अलग ही सेक्सी सपने आ रहे थे और बहुत में बेचैन हो रहा था. पर जैसे तैसे मुझे नींद लग गई.
पर जब रात को मेरी नींद खुली तो मेरा हाथ दीदी के चूचे पे था. मैं थोड़ा सा डर गया, पर न जाने क्यों मैंने दीदी के मम्मों से हाथ नहीं हटाया. मैंने सोचा अगर एकदम से हाथ हटा लूँ, तो शायद दीदी जाग जाएंगी. मैं उन्हें वैसे ही देखता रहा, दीदी बहुत ही खूबसूरत लग रही थीं. उनका गोरा बदन उस पर रेड कलर का सूट.. और कमरे की डिम लाइट.. हाय.. क्या बताऊं क्या मस्त माल लग रही थीं, मेरी कामवासना मुझे दीदी की चुदाई के लिए कह रही थी.
ये सोचते सोचते ही पता ही नहीं चला कि मेरे हाथों ने उनके मम्मों को कब धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया. मुझे भी अच्छा लग रहा था. पर कुछ देर बाद मैंने अपने हाथ को वापस खींच लिया.
मैं बहुत देर तक दीदी के बारे में सोचता रहा. फिर मैंने सोचा केवल दबा ही तो रहा था, वैसे भी दीदी को कुछ पता नहीं चला.
मैंने फिर से दीदी के तरफ मुड़ा और थोड़ी हिम्मत करके फिर से दीदी के मम्मों पर एक हाथ रख कर धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया.
दीदी नहीं उठीं तो मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ गई. मैंने धीरे से उनके होंठों को हाथ लगाया. बड़े ही कोमल होंठ थे. मैंने फिर से दीदी के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. एकदम से दीदी मेरी तरफ पलटीं मैं डर गया, मुझे ऐसा लगा कि जैसे वो जाग गई हों. पर उन्होंने केवल करवट ली और सो गईं.
मैंने फिर से मम्मों को दबाना शुरू कर दिया और अपने चेहरे को उनके चेहरे के पास ले जाकर उनके होंठों को धीरे से चूम लिया.
दीदी फिर भी सोती रहीं.
मेरी हिम्मत और अधिक बढ़ गई. मैंने धीरे धीरे उनके पूरे बदन पे हाथ फेरा, अब मेरी नींद पूरी तरह से उड़ गई और मुझे बहुत मजा आ रहा था.
अब तक तो मैं ये भी भूल गया था कि ये मेरे दीदी हैं.
मैं अपने आपको रोक ही नहीं पा रहा था. मैंने धीरे से दीदी के सूट के अन्दर हाथ डाला और उनके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. फिर अपने हाथ को उनके पीछे ले गया और उनकी ब्रा का हुक खोल दिया. फिर मैं अपने हाथों को आगे लाकर उनके मम्मों को दबाने लगा.
बहुत देर तक दूध दबाने के बाद भी दीदी नहीं उठीं, तो मेरी हिम्मत पूरी तरह से खुल गई. मैं अपने हाथ दीदी के नीचे ले ही जा रहा था कि अचानक दीदी ने मेरे हाथों को पकड़ लिया. मुझे लगा दीदी उठ गईं, मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और सोने का नाटक करने लगा. पर मैं बहुत डर गया था, इसलिए मैं सो गया.
अगले दिन सुबह जब हम दोनों उठे, तो दीदी ने मुझे हमेशा की तरह एक हल्की सी मुस्कान दी और चली गईं. पर मैं दीदी से नज़र नहीं मिला पा रहा था. मुझे लगा दीदी को पता ही नहीं चला. क्योंकि वो हर राज की तरह ही मुझसे बात कर रही थीं.
फिर दूसरी रात को हम कल की तरह सो गए. मेरी नींद फिर से खुल गई. मैंने फिर से हिम्मत की और पहले दिन की तरह हाथ से बढ़ा कर उनके अन्दर डाला, दूध दबाए.. पर आज मैंने हाथ नीचे नहीं ले गया. थोड़ा सा करीब हो कर उनके पजामे का नाड़ा खोल दिया. जब दीदी बेसुध पड़ी रहीं तो धीरे से अपने हाथों को पजामे से बाहर निकाल लिया.
फिर मैंने धीरे से उनका शर्ट ऊपर करना शुरू किया. उनका शर्ट मम्मों तक ऊपर लाने के बाद मैंने दीदी के हाथ पकड़ को अपने बरमूडे में डाल दिया और दीदी के पजामे को धीरे से नीचे करना शुरू किया.
तभी मैंने महसूस किया कि दीदी का हाथ मेरा लिंग को हल्का हल्का दबा रहा है. मैंने सोचा दीदी जानबूझ कर दबा रही हैं.
इसके बाद मेरी और हिम्मत बढ़ गई. मैंने धीरे से दीदी का पजामा और अंडरवियर उतार दिया. इस सब में मुझे पूरा आधा घंटा लग गया. मैंने दीदी की योनि देखी, तो देखता ही रह गया. क्योंकि आज तक मैंने केवल टीवी पे ब्लू फिल्म में ही योनि देखी थी.
अब मैंने अपना बरमूडा भी उतार दिया और दीदी के हाथों में अपना लिंग पकड़ा दिया. अपने हाथों से दीदी को अपनी ओर खींचा और उन्हें धीरे धीरे चूमना शुरू कर दिया.
मैंने महसूस किया कि चूमने में भी दीदी मेरा साथ दे रही थीं और देखते ही देखते हम एक दूसरे में डूब गए. हम एक दूसरे को जोर जोर के चूमने लगे.
करीब 20 मिनट हम लोग तक चूमते रहे. अब मैं खुल कर दीदी के मम्मों को पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा. दीदी भी मादक सिसकारियां ले रही थीं. दरअसल हम दोनों की जवानी उफान मार रही थी. दीदी भी मुझे जोर के जकड़ लिया था.
फिर मैंने दीदी की योनि में हाथ लगाया और सहलाना शुरू किया.. तो एकदम से दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं- राहुल नहीं.. बस इतना ही.. और आगे नहीं.
पर तब तक तो मेरे अन्दर हवस भर चुकी थी, मैंने दीदी से कहा- दीदी प्यार अलग है और शरीर की जरूरत अलग बात है.
फिर उसने मुझसे बोला- पर तू मेरा छोटा भाई है.
मैंने उनसे बोला- दीदी जिस्म की आग के सामने क्या बड़ा और क्या छोटा, क्या भाई और क्या बहन, क्या बाप और क्या माँ, क्या बेटा और क्या बेटी, क्या ब्वॉयफ्रेंड और क्या पति, क्या जीएफ और क्या पत्नी.. ये सब बेकार की बातें हैं. बस जिस्म तो जिस्म को ही जानता है.
दीदी की हवस भी जागने लगी थी.
मैं अपनी रौ में कहे जा रहा था- अभी हम दोनों को केवल एक शरीर की जरूरत है. मुझे एक लड़की की और आपको एक लड़के की.
उनकी हवस जागने के बावजूद भी वो समझ नहीं पा रही थीं, वो बोलीं- पर राहुल..
मैंने दीदी को रोकते हुए बोला- दीदी प्लीज़ और कुछ मत कहो.
मैं उनको जबरदस्त चूमने लगा.
कुछ देर बाद दीदी भी मुझे चूमने लगीं. मैंने धीरे से दीदी का हाथ पकड़ कर अपना लंड थमा दिया. दीदी ने भी लंड पकड़ लिया और लंड को दबाना भी शुरू कर दिया.
मैं समझ गया कि दीदी के ऊपर भी प्यार का नशा चढ़ने लगा है, मैं भी दीदी की योनि को सहलाने लगा.
अब मैंने दीदी के सूट को ऊपर से खींच कर निकाल दिया और अपने भी पूरे कपड़े उतार लिए. अब हम दोनों बिना कपड़े के थे. पर अब फिर से दीदी ने आँखें खोलीं और फिर बोलीं- राहुल ये सही नहीं है.
मैं उठा और कमरे की नाइट लाइट भी बुझा आया. मैं दीदी के कान में बोला- कविता.. मैं सौरभ हूँ.. तुम कैसी हो.
सौरभ दीदी के ब्वॉयफ्रेंड का नाम था.
दीदी बोलीं- पर तू तो राहुल है ना?
मैंने बोला- आपको मेरा चेहरा दिख रहा है क्या?
वो बोलीं- नहीं..
मैंने उनसे कहा- तो आप मुझे सौरभ ही समझ लो.
वो अचानक मुझसे लिपट गईं और भूखी शेरनी की तरह मुझे चूमने लगीं. मैंने भी पूरा पूरा साथ दिया और अपने हाथों से उनके मम्मों को खूब दबाया और योनि पर हाथ भी रगड़ने लगा. फिर धीरे से उनके गालों को किस किया.. गले पे चूमा.
दीदी कामुक सिसकारियां भर रही थीं. फिर दीदी ने मुझे नीचे किया और वो चूमने लगीं. मुझे चूमते चूमते वो नीचे की ओर आने लगीं. दीदी ने मेरे लिंग को पकड़ लिया और हल्के से किस किया. मैं झनझना गया. दीदी ने मुझे फिर से किस किया और वो ऐसा करते करते मेरे ऊपर की तरफ आ गईं. मैं भी उनको किस करने लगा और किस करते करते मैं नीचे की तरफ आ गया.
कविता दीदी तड़पने लगीं और जोर जोर से सिसकारियां भरने लगीं. मैं उनकी योनि के पास तक पहुँचता, इससे पहले कविता दीदी ने मुझे ऊपर की तरफ खींचा और मेरे ऊपर चढ़ गईं.
दीदी मुझसे बोलने लगीं- प्लीज़ करो ना.
मैंने मेरे लिंग को उनकी योनि पे रखा और डालने की कोशिश की, पर उन्हें बहुत दर्द हो रहा था.
वो वापस उठ गईं और बोलीं- सौरभ, बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने उनसे कहा- डार्लिंग, थोड़ा तो दर्द होता ही है.
शायद ये उनका भी पहली बार था.. मेरा तो था ही पहली बार. मैंने उसे नीचे किया और मैं उनके ऊपर चढ़ गया.
मैंने अपने लिंग को उनकी योनि पे रखा और अपने हाथों से उनके पैरों को ऊपर की तरफ खींचा. उनके हाथों को अपनी पीठ पर रखवा दिए और कहा- अगर थोड़ा भी दर्द हुआ, तो मुझे जोर से पकड़ लेना.
अब मैंने धीरे से अपने लिंग को प्रेस किया, उन्हें थोड़ा दर्द हुआ और वो बोलने लगीं- आह.. सौरभ बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ मत करो ना.
मैंने लिंग को थोड़ा बाहर निकाला और फिर से जोर से अन्दर डाला. तब भी पूरा नहीं गया. दीदी थोड़ा चिल्लाईं और मैंने जल्दी से एक बार फिर जल्दी से लिंग बाहर निकाल कर उतनी तेजी से वापस अन्दर पेल दिया.
इस बार दीदी की आँखों से आंसू निकल आए.
वो जोर से चिल्ला उठीं- आहह.. आआअहह.. सौरभ बहुत दर्द हो रहा है.
दीदी ने अपने पैने नाखून मुझे गड़ा दिए. मैं और भी जोश में आ गया. फिर मैं उन्हें झटके देने लगा.
कुछ देर बाद दीदी की चुत का दर्द खत्म हो गया और वो चिल्लाने लगीं ऊऊ.. ओहोहो.. ऊऊह.. सौरभ और करो.. तेज करो.. और तेज करो.
मैं और ज़्यादा तेज चुदाई करने लगा.
फिर मैंने उनके पैर छोड़े और उनके मस्त रसीले मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. क्या मस्त चूचे थे, एकदम कड़क और पूरे गोल.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. उन्होंने भी अपने पैरों से मुझे जकड़ लिया था, जैसे कोई अजगर अपने शिकार को पकड़ लेता है.
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि कविता में इतना दम किधर से आ गया है. पर बहुत मजा आ रहा था.
अब मैंने उन्हें लिप किस करना शुरू किया, यहां एक हाथ से उनके मम्मों को जोर जोर से दबा रहा था, दूसरे हाथ से उनकी गांड जोर जोर दबा रहा था. इसके साथ ही मैं अपने लिंग को अन्दर बाहर कर रहा था.
वो भी भी पूरा साथ दे रही थीं, उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और जबरदस्त किस कर रही थीं, दीदी अपने दोनों हाथों से मेरे पीठ पर नोंच रही थीं.
उनके पैरों के बारे में तो पहले ही बता चुका हूँ. सेक्स करने में हम दोनों नए थे इसलिए जैसे जैसे हम आगे बढ़े… हम दोनों को और ज़्यादा मजा आने लगा. कुछ देर बाद दीदी झड़ गईं, पर मेरे लंड में अभी भी जान थी, मैं दीदी की चुदाई करता रहा.
अब उन्होंने बोलना शुरू कर दिया- आह.. बस अब और नहीं, मुझे जलन हो रही है.. अब और नहीं..
ये सुन कर मुझे अचानक और जोश आ गया. मैं और जोर जोर से चुदाई करने लगा. मुझे तो ऐसा लग रहा था कि अपने लिंग को इनकी योनि के आर पार कर दूँ.
वो अब चिल्लाने लगीं- अह.. नहीं करो.. दर्द हो रहा है.. प्लीज़ रुक जाओ.
दीदी के आंसू रुक ही नहीं रहे थे और वो रोते ही जा रही थीं.
तब मुझे ये सब नहीं देख रहा था, मेरे ऊपर तो बस चोदने का भूत सवार था. फिर कुछ देर बाद मैं एकदम से तेज हो गया और उनकी योनि के अन्दर ही अपना पूरा रस छोड़ दिया.
अब मैं भी शांत हो गया और उनके ऊपर वैसे ही लेटा रहा.
कुछ देर बाद उठा, लाइट जलाई और दीदी के बाजू में लेट कर उनको प्यार से देखने लगा. यह देख के दीदी को भी शरम आ रही थी, वो अपना मुँह छुपाने लगीं.
मैंने अपने हाथों से उनके मुँह को ऊपर किया और एक जोरदार लिप किस करके थैंक्स बोला.
वो थोड़ा हंसी और उसने मुझे किस करके मुझे भी थैंक्स बोला.
फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और सो गए.
सुबह जब उठा को बड़ा थका थका सा लग रहा था, पर अच्छा भी लग रहा था. वो मेरे पास आईं और बोलीं- मैं प्रेग्नेंट तो नहीं हो जाऊंगी ना?
मैंने उन्हें मना कर दिया- नहीं ना कविता दीदी.. एक बार में थोड़ी ना कुछ होता है.
मैंने कह तो दिया, पर टेंशन तो मुझे भी बहुत हो रही थी. मैंने जल्दी से कंप्यूटर ऑन किया और गूगल से सब जानकारी निकाली. वहां से पता चला कि दीदी प्रेग्नेंट हो सकती हैं तो उससे बचने के तरीके निकाले. अब पता चला कि कुछ गोलियां आती हैं.
मैंने गोली का नाम लिखा और मार्केट से ले कर आ गया. मैंने दीदी को गर्भनिरोधक गोली खिला दी.
अब ज़रा सांस में सांस आई.
सुबह शाम अब तो बस मैं दीदी की चूत और चुदाई के बारे में ही सोचता रहता.
मैंने फिर कंप्यूटर ऑन किया और सेक्स के बारे में पढ़ना शुरू किया. वहां से मुझे चुदाई की बहुत सारी जानकारी मिली. सेक्स के पूरे 52 स्टेप मिले, सेक्स से पहले क्या करना चाहिए और बाद में क्या करना चाहिए. फिर मैंने कुछ वीडियो भी डाउनलोड किए.
इसके बाद मैंने और दीदी ने बहुत मजे किए.. उस सबकी सेक्स स्टोरी बाद में लिखूंगा.
अब मैं ये कहानी खत्म करता हूँ. अगली कहानी में बताऊंगा कि कैसे कैसे दीदी को चोदा और हमने सेक्स किया. मेरे दोस्तों ने भी दीदी की चुदाई की, दीदी से सेक्स किया, हमने हर वो चीज़ करने का प्रयास किया जो हमको पता चली.
सच मानिए हर एक चीज़ में अपना ही एक मजा है. मैं आशा करता हूँ कि आपको मेरी दीदी की चुत चुदाई की कहानी पसंद आई होगी. आप मुझे मेल करके बताएं कि आपको यह स्टोरी कैसी लगी.