बहन की गांड की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मेरे मामा की बेटी हमारे घर रहने आयी तो मैं उसकी चुदाई करना चाहता था. लेकिन मुझे उसकी गांड मिली.
मेरा नाम दीप सिंह है, मैं राजस्थान का रहने वाला हूं. मुझे सेक्स में बहुत रुचि है. मेरी उम्र बीस साल है मेरा लंड सात इंच लंबा और दो इंच मोटा है. मैंने आज तक सेक्स नहीं किया है.
यह मेरी पहली गरम सेक्स कहानी है और पिछले साल की है. यह एकदम असली घटना पर आधारित है. यह कहानी मेरी और मेरी मामा की लड़की की है.
मेरे मामा के दो लड़कियां और एक लड़का है.
यह बहन की गांड की चुदाई कहानी सबसे बड़ी लड़की की है, जिसका नाम गगन है. उसकी उम्र इस समय बीस साल है. वो राजस्थान में रहती है.
मेरी बहन दिखने में ठीक-ठाक है. वो एकदम दुबली पतली और बहुत शर्मीली है.
अब आप मेरे बारे में भी कुछ जान लीजिए.
मेरी उम्र उससे एक साल बड़ी है. मैं गांव का रहने वाला देसी लौंडा हूं. मेरे घर में मेरे माता पिता और दादा दादी हैं.
सर्दी की छुट्टियों में मामा की दोनों लड़कियां हमारे घर आई थीं. तब मैं सेक्स की बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानता था, बस कभी कभार सेक्स वीडियो देख लिया करता था.
जब गगन और उसकी छोटी बहन अमन घर आईं, तो वो मुझसे काफी घुलमिल गईं.
मैं हंसी मजाक में गगन की चूचियां छू दिया करता तो भाई बहन का रिश्ता होने के कारण गगन इस बात पर ध्यान नहीं देती थी.
कई बार मैंने उसकी गांड को छुआ, तो भी उसने कुछ नहीं कहा.
ऐसे ही उन्हें आए एक सप्ताह हो गया था.
उसी समय अचानक मेरी बुआ की सासु मां स्वर्ग सिधार गईं.
मेरे माता पिता को वहां जाना पड़ा.
मेरे घर में मैं, दादा दादी और दोनों लड़कियां गगन और अमन रह गए थे.
रात को मैं, गगन और अमन के साथ एक ही पलंग पर सो गया था.
गगन पलंग की बीच में सोई थी, एक साइड अमन सोई थी. मैं एक किनारे लेट गया था और अपने मोबाईल में सेक्स वीडियो देखने लगा.
सर्दी का टाईम था तो सभी ने अपने ऊपर रजाई डाल रखी थी.
मैं अपनी रजाई में मोबाइल की आवाज बंद कर सेक्स वीडियो देखने लगा जिससे मुझे सेक्स करने का मन करने लगा.
कमरे में पूरा अंधेरा था.
मैंने मोबाईल बंद किया और गगन की तरफ खिसक कर अपना एक हाथ गगन की तरफ डाल दिया.
मैं अपने हाथ को हल्के से आगे ले जाने लगा.
मेरा हाथ गगन की गांड से जा लगा.
मैंने अपने हाथ को और आगे बढ़ाया तो मेरा पूरा हाथ उसकी गांड पर आ गया.
मैं अपनी एक उंगली उसकी गांड की दरार में फेरने लगा.
उसके चूतड़ बहुत छोटे थे जिस कारण मेरी उंगली उसकी गांड के छेद तक आराम से चली गई.
अब मुझसे रुका ना गया और मैंने अपनी उंगली उसकी गांड के छेद में घुसा दी. इससे वो एकदम से उचक गई और जाग गई.
वो मेरी तरफ पलट गई और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी रजाई से बाहर निकाल दिया, पर कुछ बोली नहीं.
मैंने फिर से अपना हाथ उसकी रजाई में डाल दिया तो उसने मेरे हाथ में अपने नाखून गड़ा दिए पर मैंने हाथ बाहर नहीं निकाला.
वो नाखूनों से मेरे हाथ को नौंचने लगी, तो मैंने उसकी कमर पर हाथ डाल कर अपनी तरफ खींच लिया.
अब वो एकदम शांत हो गई.
मैंने भी सीधे उसकी सलवार में हाथ डाल दिया.
वो अभी भी कुछ नहीं बोली तो मैं उसकी गांड में उंगली करने लगा. वो चुप पड़ी रही और कुछ नहीं बोल रही थी.
मैं उसकी गांड में उंगली अन्दर बाहर करता रहा.
फिर उंगली उसकी चूत में लगाई तो उसने हटा दी.
मैं उसकी चूत के बजाये गांड में उंगली करने लगा और मेरी उंगली उसकी गांड में काफी अन्दर तक जा रही थी.
मुझे लगा कि इसका भी चुदवाने का मन हो रहा है.
पर एक बात हैरान कर देने वाली भी हुई कि इतनी कम उम्र में इसकी गांड आसानी से उंगली कैसे ले रही है क्योंकि गांड में उंगली लेना कोई साधारण बात नहीं होती है.
फिर मैंने सोचा कि आजकल इंटरनेट का जमाना है इसलिए छोटी उम्र में ही इसे गुदा-मैथुन का मजा मिल गया हो या इसने खुद ही अपनी गांड में उंगली या खीरा मूली डाली हो.
खैर … मुझे मजा आ रहा था, तो मैं उसकी गांड में उंगली करता रहा.
मैं उसके होंठों को चूमने लगा तो उसने अपना मुँह घुमा लिया.
मैंने उसके सर को पकड़ कर उसके होंठों को चूस लिया तो वो गुस्सा हो गई.
वो बोली- अगर तुम नहीं रुके, तो मैं अमन को जगा दूँगी. घर में भी सबको बता दूंगी.
पर वह यह सब धीरे से बोली, जैसे उसे डर हो कि कहीं अमन न जाग जाए.
मैं उसकी बात को अनसुना करते हुए उसके एक चूतड़ पर हाथ फेरने लगा.
वह अमन को बीच में से उठ कर खुद अमन की दूसरी तरफ जाकर लेट गई.
उसने अमन को बीच में कर दिया जिससे अमन उठ गई.
वो बोली कि क्या हुआ?
पर गगन ने बात टाल दी.
फिर अमन पेशाब करने चली गई.
अमन के आने से पहले में अमन की जगह लेट गया. अमन ने जब मुझे उसकी जगह पर लेटा दिखा तो उसने पूछा.
मैंने कहा- ऐसे ही … रात को बीच में से उठने में तुझे तकलीफ नहीं होगी. मैं रात को कम ही उठता हूं.
गगन भी हमारी बात सुन रही थी पर वो कुछ नहीं बोली.
एक मिनट बाद वो बाथरूम में चली गई.
उसके आने के बाद हम सब फिर से सोने लगे.
थोड़े समय बाद मैंने अपना काम फिर से चालू कर दिया.
अब की बार मैंने अपना हाथ रजाई में घुसा कर सीधे गगन की सलवार में डाल दिया.
वो कुछ नहीं बोली, यहां तक कि हिली तक नहीं.
मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा.
मुझे इस बार उसकी गांड में कुछ चिकनाई सी लगी तो मैं समझ गया कि ये बाथरूम में जाकर अपनी गांड में तेल या कुछ चिकनी चीज लगा आई है.
दस पन्द्रह मिनट बाद मैंने अपनी दूसरी उंगली भी अपनी बहन गगन की गांड में डाल दी.
अब मैं उसकी गांड में दोनों उंगलियों को घुमाने लगा.
उसकी गांड का छेद काफी खुल गया था शायद उसे हल्का दर्द भी हो रहा था पर कुछ बोली नहीं.
उसका मुँह दूसरी तरफ था इसलिए मैं धीरे से उसकी रजाई में घुस गया पर मैंने अपनी उंगलियां उसकी गांड से नहीं निकालीं.
मैं अब तक उसकी गांड में अपनी उंगलियां जड़ तक पेल चुका था.
अब मेरा मन अपनी तीसरी उंगली डालने को करने लगा तो मैंने तीसरी उंगली भी डाल दी.
जैसे ही मैंने तीनों उंगलियां एक साथ गांड में घुसाईं तो वो आगे को खिसक गई.
पर पलंग की उस साइड दीवार से चिपका था तो वो आगे नहीं हो पाई.
मेरी तीनों उंगलियां अन्दर घुस गईं तो गांड का छेद पूरा खुल गया.
उसने भी अपनी टांगों को खोल दिया था.
ये देख कर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार नीचे कर दी.
गगन कुछ खास हलचल नहीं कर रही थी.
मैंने अपनी पैन्ट खोल कर लंड बाहर निकाल लिया, यह सब मैंने एक हाथ से किया.
उसकी गांड से उंगलियां बाहर नहीं निकालीं थीं.
अब मैंने जैसे ही गांड से उंगलियां निकालीं, झट से अपना लंड गांड के छेद पर रख दिया.
गांड पहले से ही खुली थी तो लंड आराम से घुस गया.
लंड की गर्मी पाकर गगन ने गांड सिकोड़ ली जिससे लंड गांड में फिट हो गया.
उसके मुँह से हल्की सी आह निकली और वो लंड खा गई.
उसकी गांड की गर्मी से मेरा लंड भी पूरा टाइट हो गया.
कुछ देर तक मैं गांड में लंड डाले लेटा रहा और अपनी एक उंगली चूत में घुसा दी.
चुत में उंगली देखकर गगन ने मुझे रोकना चाहा और मेरा हाथ पकड़ लिया.
गांड में लंड घुसवाने की इतनी देर बाद उसने कोई हलचल की थी.
मैंने अपना हाथ उसकी चूत से हटा लिया और उसके चेहरे पर फेरने लगा.
उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे. वो धीमी आवाज में आहें भर रही थी.
मैंने उसके कान में कहा- तुमको कैसा लग रहा है?
जब वो कुछ नहीं बोली तो मैं अपना लंड उसकी गांड में हल्के हल्के से हिलाने लगा.
अब उसने अपना मुँह हल्का मेरी तरफ किया और धीमी आवाज में बोली- भैया, अगर करना ही है, तो पहले अमन को देख लो, कहीं वो जाग ना जाए. भैया में नहीं चाहती कि इस सबके कारण हमारी बदनामी हो.
मैंने कहा- तुम चिंता मत करो, कुछ नहीं होगा.
ये सुनकर गगन चुप तो हो गई मगर वो फिर से कराहने लगी.
वो कराहती रही और मैं उसकी गांड में लंड अन्दर बाहर करता रहा पर वो मुझे अपनी चूत को हाथ नहीं लगाने दे रही थी और बिना हिले ही अपनी गांड की चुदाई करवा रही थी.
दस मिनट तक गांड चुदाई का मजा लेने के बाद अब मैं झड़ने के करीब था इसलिए मैं अपना हाथ उसकी चूत पर ले जाना चाहता था.
पर उसने चूत को छूने तक नहीं दिया.
मैंने अपना हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया गांड पेलने लगा.
जब मेरा वीर्य निकलने को हुआ तो मैं उससे चिपक गया और पूरा लंड गांड की जड़ में पेल दिया.
फिर मैं तेज तेज झटके मारने लगा और उसकी गांड में झड़ गया.
वीर्य की गर्मी से उसने गांड को और सिकोड़ लिया और उसकी गांड ने झटके लेकर लंड का सारा वीर्य निचोड़ लिया.
झड़ने के बाद मैंने उसके कान में आई लव यू कहा, पर वह बस मीठी आह ले रही थी.
मुझे अब नींद आ रही थी. मैं बिना लंड गांड से निकाले उससे चिपक कर सो गया.
सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि अमन मेरे बाजू में सो रही थी.
मेरा लंड अब भी गगन की गांड में था और पूरी तरह से तना हुआ था.
मेरे हिलने से लंड में हलचल से गगन जाग गई और मेरी तरफ गुस्से से देखने लगी.
मैं उसे चुम्मी करने के लिए जैसे ही आगे हुआ, लंड उसकी गांड में पूरा अन्दर चला गया और किसी गुदगुदी चीज से टकरा गया.
मुझे समझते देर न लगी कि ये गगन का मल है. मेरा लंड पूरा गगन के मल से सन गया.
गगन भी समझ गई कि मेरा लंड उसकी गांड में उसके मल से लिपट गया है, इसलिए वह खड़ी नहीं हुई.
मैंने उसके कान में कहा- लंड गांड से बाहर मत निकालना, बिस्तर खराब हो जाएगा.
वो कराहती हुई बोली- अमन जाग जाएगी … इसे बाहर निकालो प्लीज़.
मैंने कहा- पर तुम्हारे मल से बिस्तर खराब हो गया तो?
वह शर्मा कर मुँह छिपाने लगी.
मुझे लगा कहीं अमन ना जाग जाए इसलिए मैं गगन को यूं ही अपनी गोद में उठाकर बाथरूम में ले गया और लंड को बाहर निकाल दिया.
मेरा लंड मल से सना हुआ था.
जिसे देख गगन ने मुझे गुस्से से देखा और शर्माती हुई बोली- भाई तुम बहुत गंदे हो.
मैं हंस दिया और कहा- तुम पहले भी अपनी गांड में लंड ले चुकी हो क्या?
उसने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कुरा दी.
मैं खड़ा खड़ा उसे देखता रहा.
मैंने फिर से पूछा तो उसने कहा- तुम पहले हो, मैं उधर कुछ डालती रहती थी.
फिर वो मल साफ़ करके और अपने कपड़े ठीक करके अपने बिस्तर में जाकर लेट गई.
मैंने भी अपना लौड़ा साफ किया और बिस्तर में जाकर लेट गया.
उसने मेरी तरफ पीठ कर रखी थी तो मैंने उससे चिपक कर पूछा- क्या हुआ?
वो कुछ नहीं बोली.
मैं सीधा लेट गया.
उसके बाद उसने मुझसे कम ही बात की.
तब भी जितने दिन मेरे माता पिता नहीं आए, वो मेरे पास ही सोती और मैं रोज उसकी गांड में लंड डाल कर सोता.
वो कुछ नहीं बोलती. बस रात को गांड में लंड डलवा लेती और चिपकी रहती.
सारे दिन में मुझसे ज्यादा बात नहीं करती मगर रोज रात को मेरी तरफ गांड करके सो जाती.
मैं उसकी गांड में लंड डाल देता और सुबह तक लंड गांड में रखता.
वो भी रात को लंड गांड से बाहर नहीं निकलने देती, पर चूत को हाथ तक नहीं लगाने देती.
फिर वो दोनों अपने घर चली गईं.
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